Difference Between Iron Deficiency And Thalassemia In Hindi: आयरन की कमी और थैलेसीमिया, दोनों ही ऐसी स्थितियां हैं, जो आपके रक्त को प्रभावित करता है। हालांकि, दोनों समस्याएं एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं, दोनों का उपचार और इलाज भी अलग-अलग है। जहां एक ओर थैलेसीमिया जेनेटिक डिस्ऑर्डर है। इसकी वजह से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा में कम हो जाती है। वहीं, आयरन की कमी के कारण व्यक्ति को एनीमिया हो सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि ये दोनों बीमारियां एक-दूसरे से किस तरह अलग हैं। इनके लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से समझेंगे। इस बारे में Neuberg Ajay Shah Laboratory के Managing Director डॉ. अजय शाह से बात की।
आयरन की कमी- Iron Deficiency In Hindi
जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि आयरन की कमी के कारण एनीमिया हो सकता है। एनीमिया एक घातक बीमारी है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि जब शरीर में पर्याप्त आयरन नहीं होता है, तो इससे शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है। हीमोग्लोबिन की कमी के कारण शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने लगती है। जब शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई सही तरह नहीं होता है, तो इसकी वजह से कई अन्य समस्याएं होने लगती है। सवाल है, शरीर में आयरन की कमी क्यों होती है? ऐसा खराब आहार, महिलाओं में हैवी ब्लीडिंग, गर्भावस्था या शरीर में ब्लड की कमी के कारण हो सकता है। शरीर में आयरन की कमी की पुष्टि करने के लिए एक साधारण ब्लड टेस्ट किया जाता है। इससे आयरन के स्तर और फेरिटिन (आयरन स्टोर) की जांच की जाती है। वहीं, इसके उपचार की बात करें, तो आयरन की कमी को दूर करने के लिए मांस, बीन्स और हरी पत्तेदार सब्जियां आदि का सेवन किया जाना चाहिए।
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आयरन की कमी के लक्षण
- थकान या बहुत थका हुआ महसूस करना
- त्वचा का पीला पड़ना
- कमजोरी
- सिरदर्द
- सांस लेने में तकलीफ
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थैलेसीमिया- Thalassemia In Hindi
थैलेसीमिया एक आनुवंशिक ब्लड डिस्ऑर्डर है। अगर घर में पहले से किसी को यह बीमारी है, तो भावी पीढ़ी को भी इस बीमारी के होने का रिस्क रहता है। थैलेसीमिया होने पर यह समस्या शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने के तरीके को प्रभावित करती है। थैलेसीमिया में शरीर कम हीमोग्लोबिन बनाता है। इसके अलग-अलग प्रकार हैं, जैसे कि अल्फा और बीटा थैलेसीमिया। यह माइल्ड से लेकर सीरियस लक्षण तक इसमें नजर आ सकते हैं। वैसे तो जब थैलेसीमिया माइल्ड हो, तो इसे इलाज की जरूरत नहीं होती है। जबकि गंभीर मामलों में रेगुलर ब्लड टेस्ट किया जाता है। हैरानी की बात ये है कि थैलेसीमिया होने पर कई बार इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। ऐसी स्थिति में इसे एनीमिया से कंफ्यूज कर दिया जाता है। थैलेसीमिया की पुष्टि के लिए सीबीसी टेस्ट किया जाता है।
एनीमिया और थैलेसीमिया के बीच अंतर- What Is The Difference Between Thalassemia And Iron Deficiency In Hindi
थैलेसीमिया होने पर मरीज को आयरन की आपूर्ति पर ध्यान देने की जरूरत नहीं होती है। एनीमिया कम आयरन के कारण होता हैं। आयरन की कमी की की पुष्टि करने के लिए ब्लड टेस्ट किए जाते हैं। इसे बाद आयरन सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जा सकती है। वहीं, थैलेसीमिया वंशानुगत होता है। इसके लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। सामान्य व्यक्ति को थैलेसीमिया है या आयरन की कमी है, दोनों की जानकारी के लिए एक्सपर्ट से मिलना चाहिए। टेस्ट करवाना चाहिए। तभी इस बात की पुष्टि हो सकेगी।
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FAQ
मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे लो आयरन या थैलेसीमिया है?
आयरन की कमी है या थैलेसीमिया, इनकी पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट किए जाते हैं। लाल रक्त कोशिका गणना (आरबीसी) और मेंटजर इंडेक्स (एमसीवी/आरबीसी) दो टेस्ट हैं।थैलेसीमिया और एनीमिया में क्या अंतर है?
थैलेसीमिया आनुवांशिक बीमारी है। जबकि शरीर में आयरन की कमी होने पर एनीमिया होता है।आप आयरन की कमी और एनीमिया में अंतर कैसे बता सकते हैं?
आयरन की कमी होने पर कई तरह के लक्षण नजर आते हैं, जैसे थकान, कमजोरी और त्वचा का पीला पड़ना आदि। एनीमिया एक गंभीर समस्या है, जो आयरन की कमी की वजह से हो सकती है। इसके लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना और सीने में दर्द शामिल हैं।