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बर्थ प्लान क्या है और डिलीवरी से पहले इसे प्लान करना क्यों जरूरी है? जानें गायनोकॉलोजिस्ट से

बर्थ प्लान क्या है और प्रेग्नेंसी के कौन से महीने में बर्थ प्लानिंग करनी चाहिए, इसकी जानकारी दे रही हैं डॉ. प्रियंका सुहाग।
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बर्थ प्लान क्या है और डिलीवरी से पहले इसे प्लान करना क्यों जरूरी है? जानें गायनोकॉलोजिस्ट से


Birth Plan Importance in Pregnancy: घर में एक बच्चे की किलकारी की गूंज हर शादीशुदा कपल की ख्वाहिश होती है। पहले घर में बच्चे बिना किसी प्लानिंग के आते थे, लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर कपल बच्चे की प्लानिंग के लिए एक लंबा वक्त लेते हैं। बच्चे को किस टाइम पीरियड में कंसीव करना है, कहां जाकर कंसीव करना है और भी बहुत प्लान किया जाता है। प्रेग्नेंसी कंसीव (Pregnancy Planning) करने के बाद कपल्स डिलीवरी किस तारीख को करवानी है, इसकी भी प्लानिंग करते हैं। डिलीवरी के लिए भी एक तारीख तय करने वाले कपल्स को बर्थ प्लान कराने की सलाह दी जाती है। हालांकि बर्थ प्लान क्या होता है इसकी जानकारी आज भी बहुत कम कपल्स को होती है।

आज इस लेख के माध्यम के हम आपको बताने जा रहे हैं बर्थ प्लान क्या है, बर्थ प्लान में किन चीजों को शामिल (Birth Plan Importance in Pregnancy) किया जाता है और प्रेग्नेंसी पीरियड में बर्थ प्लान (What is Birth Plan) कब तैयार करना चाहिए। इस विषय पर ज्यादा जानकारी दे रही हैं दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल और स्माइल फेम क्लीनिक की गायनोकॉलोजिस्ट डॉ. प्रियंका सुहाग। 

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बर्थ प्लान क्या है? गायनोकॉलोजिस्ट से जानें क्यों है ये प्रेग्नेंसी में जरूरी | Birth Plan Importance in Pregnancy in Hindi

बर्थ प्लान क्या है?- What is Birth Plan

डॉ. प्रियंका सुहाग के अनुसार, 'बर्थ प्लान एक सरल गाइड है जो प्रेग्नेंसी पीरियड पूरा होने के बाद लेबर पेन, डिलीवरी और डिलीवरी के बाद आपके और बच्चे की देखभाल कैसे करनी है, इसकी जानकारी देता है।' डॉक्टर का कहना है कि जब कोई कपल लेबर पेन के दौरान अपने बर्थ प्लान के साथ अस्पताल पहुंचता है, तो डॉक्टर को मरीज का इलाज करने में आसानी होती है। क्योंकि बर्थ प्लान में पहले ही व्यक्ति की सभी प्राथमिकताओं को शामिल किया जाता है।

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बर्थ प्लान में क्या शामिल है- What a Birth plan includes

बर्थ प्लान को आम तौर पर तीन खंडों में विभाजित किया जाता है, प्रत्येक खंड आपके लेबर और डिलीवरी के एक अलग चरण को संबोधित करता है।

लेबर पेन के दौरान

डॉक्टर का कहना है कि जब प्रेग्नेंट महिलाओं को लेबर पेन शुरू होता है, तो यह कई घंटों तक चलता है। कुछ मामलों में लेबर पेन की अवधि 12 से 18 घंटों भी हो सकती है। लेबर पेन के दौरान आप मेडिकल टीम से क्या चाहते हैं, इसकी जानकारी को बर्थ प्लान में शामिल किया जाता है। जैसे: 

  • आपको दर्द को बर्दाश्त करने के लिए कोई दवा चाहिए।
  • आपको एपिड्यूरल या कुछ और चाहिए?
  • आप उठकर घूमना-फिरना चाहते हैं?
  • आप IV लगवाना चाहेंगे?
  • आप अपने साथ कमरे में किसे आने देना चाहेंगे - शायद बच्चे के पिता या परिवार का कोई अन्य सदस्य?

इन सभी चीजों की जानकारी बर्थ कार्ड में पहले से ही मौजूद होती है, ताकि मेडिकल टीम और डिलीवरी कराने वाले डॉक्टरों को किसी तरह की परेशानी न हो।

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डिलीवरी के लिए

प्रेग्नेंसी के बाद आप बच्चा नॉर्मल या सिजेरियन किस प्रक्रिया से चाहते हैं इसकी जानकारी भी बर्थ कार्ड में लिखी हुई होती है। साथ ही, जन्म के बाद बच्चे की कॉर्ड डॉक्टर काटेंगे या परिवार का कोई सदस्य, डिलीवरी के बाद महिला बच्चे के साथ स्किन टू स्किन टच चाहती है या नहीं इसकी जानकारी भी बर्थ कार्ड में लिखी हुई होती है।

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प्रसव के बाद

अपने शिशु को जन्म देने के बाद, आप अपने और अपने शिशु के लिए किस तरह की देखभाल, मार्गदर्शन या सहायता चाहते हैं? यदि आप किसी अस्पताल या प्रसव केंद्र में हैं, तो आप संभवतः एक या दो रात के लिए वहां रहेंगे, इसलिए इस बारे में सोचें कि आप अपने बच्चे के ठीक होने और उसके साथ बंधन बनाने के दौरान अपने प्रवास को कैसे बिताना चाहेंगे।

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बर्थ प्लान कब बनाया जाता है- When is a birth plan made

हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है प्रेग्नेंसी के दौरान डिलीवरी के लिए दी गई तारीख से कुछ वक्त पहले महिलाएं अपने डॉक्टर और फैमिली के साथ मिलकर बर्थ प्लान तैयार कर सकती हैं। इसके अलावा प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही की शुरुआत में भी बर्थ प्लान किया जा सकता है। डॉ. प्रियंका सुहाग हर प्रेग्नेंट महिला को सलाह देती हैं कि बर्थ प्लान तैयार करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात करें, ताकि उन्हें आपकी प्राथमिकता और विकल्प दोनों की जानकारी हो।

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