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किसी महिला की रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर उसके इमोशंस (मूड और भाव) का कैसे प्रभाव पड़ता है? जानें डॉक्टर से

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं महिला के प्रजनन स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती हैं। डॉक्टर से जानें इस बारे में विस्तार से।  
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किसी महिला की रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर उसके इमोशंस (मूड और भाव) का कैसे प्रभाव पड़ता है? जानें डॉक्टर से


How Do Emotions Affect Fertility: सुख और दुख हर किसी की जिंदगी के अहम पहलू होते हैं। अगर आज किसी की जिंदगी में दुख हैं, तो कल खुशियां भी होंगी। आपने अक्सर सुना होगा कि जब हम ओवरथिंक करते हैं या टेंशन में होते हैं, तो इसका असर हमारी सेहत पर भी पड़ सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे इमोशंस रिप्रोडक्टिव हेल्थ को भी प्रभावित कर सकते हैं? जी हां, महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हेल्थ और इमोशंस के बीच गहरा संबंध पाया जाता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में तनाव से खास दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाती है। इमोशंस महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हेल्थ से कैसे जुड़े होते हैं, इस बारे में जानने के लिए हमने बात कि मनस्थलि की संस्थापक-निदेशक और वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ ज्योति कपूर से। 

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अलग-अलग भावनाएं प्रजनन स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती हैं-  How Do Emotions Affect Reproductive Health

बहुत ज्यादा तनाव होना 

अगर कोई महिला ज्यादा तनाव लेती है, तो इसका सीधा असर उसके प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। तनाव होने पर शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन ज्यादा प्रड्यूस होता है, जो हार्मोन्स असंतुलित होने का कारण बन सकता है। इसके कारण पीरियड्स असंतुलित होना, ओवुलेटरी डिसफंक्शन या फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। 

किसी बात की चिंता या डर होना 

किसी बात को लेकर बहुत ज्यादा चिंता करने या डरने से प्रजनन स्वास्थ्य को नुकसान होता है। ज्यादा चिंता लेने से महिला में प्राकृतिक रूप से सेक्स की इच्छा कम होने लगती है या उसे सेक्सुअल सेटिस्फेक्शन की कमी महसूस हो सकती है। वहीं डर और चिंता पार्टनर से इमोशनली कनेक्ट होने से रोक सकती है, जिससे रिश्ते में कमी महसूस हो सकती है। 

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किसी दुख या सदमें में होना 

जब कोई महिला किसी गहरे दुख या सदमें में होती है, तो उसके प्रजनन स्वास्थ्य में काफी बदलाव आते हैं। दरअसल, ऐसे में इमोशंस कंट्रोल में नहीं होते और इसके कारण शरीर में हार्मोन्स असंतुलित होना शुरू हो जाते हैं। हार्मोन्स असंतुलित होने से प्रजनन स्वास्थ्य को भी नुकसान हो सकता है, जो महिला के लिए कंसीव करना मुश्किल बना देता है। वहीं इसके कारण फर्टिलिटी भी प्रभावित होती है और प्रेग्नेंट महिलाओं में मिसकैरेच होने की संभावनाएं भी रहती हैं।  

ज्यादा गुस्सा आना 

जिन महिलाओं को ज्यादा गुस्सा आता है, उन्हें फिजिकल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। इसके कारण ब्लड फ्लो बढ़ सकता है, जिसके कारण ब्लड प्रेशर नर्वस इशुज जैसी परेशानियां हो सकती हैं। वहीं फिजिकल और मेंटल हेल्थ खराब होने से कंसीव करना मुश्किल हो सकता है। 

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जानें इमोशंस को कंट्रोल रखने के कुछ तरीके- How To Control Your Emotions 

  • अगर आपके इमोशंस कंट्रोल में नहीं हैं, तो किसी अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करें। इससे आपको अपनी भावनाएं समझने में मदद मिल पाएगी। 
  • किसी करीबी से अपनी परेशानी साझा करें या काउंसलिंग लें, इससे आपको इमोशंस पर कंट्रोल करने में मदद मिल पाएगी। 

इस तरह से इमोशंस आपकी रिप्रोडक्टिव हेल्थ को नुकसान कर सकते हैं। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें। 

 

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