प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीज के कारण, लक्षण और बचाव

प्रेग्नेंसी में जेनिटल हर्पीज होने से नवजात शिशु को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह मां और शिशु दोनों का प्रभावित करता है।
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प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीज के कारण, लक्षण और बचाव


जेनिटल हर्पीज यानी जननांग दाद की समस्या ज्यादातर लोगों को होती है। जेनिटल हर्पीज एक यौन संक्रामक रोग (STD) है, जो संक्रमित व्यक्ति से फैलता है। लेकिन गर्भावस्था में जेनिटल हर्पीज नवजात शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकता है। पर ध्यान रखें कि जेनिटल हर्पीज सामान्य दाद से बिल्कुल अलग होता है। प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीज होने पर जननांगों पर फफोले पड़ते हैं। इसके शुरूआती लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) पर प्रकाशित शोध के मुताबिक, 100 में से 13 प्रेगनेंट महिलाएं जिनको जेनिटल हर्पीज (Genital herpes during pregnancy) की दिक्कत होती है उनमें प्रसव के समय यह इंफेक्शन की परेशानी और बढ़ जाती है। 

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प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीज के खतरे प्रेगनेंसी के समय पर निर्भर करते हैं। प्रेग्नेंसी में जेनिटल हर्पीज मां और शिशु के लिए कितना खतरनाक है और इससे बचाव क्या हैं, इस पर गोंडा जिले में जीवनदीप चिकित्सालय ऐंड आइवीएफ सेंटर में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गुंजन भटनागर ने ओन्ली माई हेल्थ को जवाब दिए। तो आइए डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से समझते हैं। 

जेनिटल हर्पीज क्या है?

अमेरिकी संस्था सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) के मुताबिक, जेनिटल हर्पीज एक यौन संचारित रोग (STD) रोग है जो दो तरह के वायरस से होता है। हर्पीज सिंप्लैक्स वायरस टाइप-1 (HSV-1) और हर्पीज सिंप्लैक्स वायरस टाइप-2 (HSV-2) के कारण होता है। 

डॉ. गुंजन भटनागर का कहना है कि जेनिटल हर्पीज टाइप 2 से होता है। सीडीसी के मुताबिक अमेरिका में जेनिटल हर्पीज बहुत कॉमन है। यहां हर 6 में से 1 को यह वायरस होता है। अमेरिका में 22 फीसद प्रेगनेंट महिलाओं जेनिटल हर्पीज होता है। जेनिटल हर्पीज नितंबों, जननांगों और गुदा क्षेत्र में हो सकता है। 

प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीज को कैसे पहचानें?

गर्भावस्था के दौरान जेनिटल हर्पीज के लक्षण निम्न प्रकार हैं। 

  • जननांगों पर फफोले होना
  • गुप्तांगों पर होने वाले फफोलों से रिसाव होना
  • फफोलों में जलन या दर्द होना
  • बुखार आना
  • बदबूदार योनि स्राव होना
  • पेशाब करने के दौरान जलन होना
  • भूख कम लगना

प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीज होने के कारण

जेनिटल हर्पीज टॉइलेट सीट, बिस्तर या स्वीमिंग पूल से नहीं होता है। प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीज निम्न कारणों से होता है। 

  •  -अगर पार्टनर को जेनिटल हर्पीज है तो महिला को भी हो सकता है। 
  • -यौन संबंध बनाते समय प्रिकॉशन्स के प्रयोग न करने से जेनिटल हर्पीज होता है। 
  • -ओरल सेक्स से भी जेनिटल हर्पीज हो सकता है, अगर पार्टनर को ओरल हर्पीज है तो।

प्रेग्नेंसी से पहले या शुरूआत में जेनिटल हर्पीज होना 

डॉक्टर गुंजन का कहना है कि प्रेग्नेंसी के शुरूआती महीनों में महिला के शरीर में नेचुरल एंटीबॉडी बनते हैं। जिसकी वजह से शिशु सुरक्षित रहता है। एनबीसीआई के मुताबिक अगर हर्पीज इन्फेक्शन प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन में होता है शिशु को नुकसान नहीं पहुंचता है। एक शोध के मुताबिक 100 में से एक शिशु इंफेक्शन का शिकार होता है। अगर गर्भावस्था के शुरूआती महीनों में जेनिटल हर्पीज के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो डॉक्टर से मिलें और इलाज कराएं। इस अवस्था में शिशु नेचुरल तरीके से जन्म दिया जा सकता है। 

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प्रेग्नेंसी के अंतिम चरण में जेनिटल हर्पीज होना

डॉ. गुंजन का कहना है कि प्रेगनेंसी के अंतिम चरण में अगर जेनिटल हर्पीज होता है तो यह शिशु के लिए घातक हो सकता है। इस समय तक शरीर में एंटीबॉडीज बनने की क्षमता उतनी नहीं होती कि शिशु को बचाया जा सके। 

डॉ. गुंजन भटनागर का कहना है अगर अंतिम तीन महीनों में जेनिटल हर्पीज हुआ है तो शिशु को बचाने के लिए सिजेरियन ऑपरेशन करना पड़ता है। प्रेग्नेंसी के अंतिम तीन महीनों में अगर आप इंफेक्शन से बचना चाहते हैं तो संक्रमित व्यक्ति के साथ संबंध न बनाएं। 

प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीज के अन्य खतरे क्या हैं?

  • शिशु का जन्म समय से पहले हो सकता है।
  • शिशु का गर्भ में सही विकास नहीं होगा
  • गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है। 
  • लिवर या मस्तिष्क संबंधी परेशानियां होने लगती हैं। 

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नवजात शिशु पर जेनिटल हर्पीज का खतरा?

डॉ. गुंजन का कहना है कि अगर प्रसव के समय जेनिटल हर्पीज के बारे में मालूम नहीं हुआ तो शिशु को निम्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

  • -प्रेग्नेंसी में शुरू के तीन महीने में जेनिटल हर्पिज हुआ है तो बच्चे में बनावटी खराबी होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • -गर्भपात होने की वजह से शिशु मृत पैदा होता है। 
  • -अंधापन
  • -बहरापन
  • -गंभीर इंफेक्शन जैसे viral meningitis होना।
  • -त्वचा, आंख, जेनिटल या मुंह पर बार-बार घाव होना।
  • -समय पर इलाज न मिलने से दिमागी बुखार होना
  • -शिशु को जीवनभर स्वास्थ्य समस्याएं रहती हैं। 

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प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीज से कैसे बचें?

डॉ. गुंजन भटनागर का कहना है कि प्रेग्नेंसी में जेनिटल हर्पीज होने से मां और शिशु दोनों का खतरा रहता है। डॉक्टर का कहना है कि प्रसव के दौरान इस इंफेक्शन को रोकने के लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं जो प्रेग्नेंसी के 35वें हफ्ते में दी जाती हैं, जिससे नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन शुरूआती लक्षणों पर ध्यान नहीं दिया गया तो परेशानी बढ़ जाती है।  इससे बचने के निम्न उपाय हैं।

  • -अगर दोनों पार्टनर में से किसी को भी जेनिटल हर्पीज के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उसके बारे में अपने पार्टनर को बताएं। 
  • -समय रहते डॉक्टर से बात करें। 
  • अगर आपको जननांगों में कोई फफोला हुआ है और उसमें जलन, खुजली या झुनझुनी हो रही है तो डॉक्टर से बात करें। 
  • जेनिटल हर्पीज में एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं, जिससे इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। 
  • -गर्भावस्था के तीसरी तिमाही में पार्टनर को संबंध बनाने से बचना चाहिए। 
  • -संबंध बनाते समय प्रिकॉशन्स का ध्यान रखें।
  • -असुरक्षित संबंध न बनाएं। 
  • -संबंध बनाते समय कंडोम का प्रयोग करें। 
  • -साफ-सफाई का ध्यान रखकर भी जेनिटल हर्पीज से बचा जा सकता है। 
  • -अगर आपको लगता है कि प्रसव होने से पहले आपको हर्पीज के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो डॉक्टर को बताएं।  

प्रेगनेंसी महिलाओं को कई तरह की परेशानियां होती है, कुछ परेशानियां वे होती हैं जो पहले दिखाई नहीं देती लेकिन गर्भावस्था में दिखाई देती हैं। ऐसे में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए। डॉ. गुंजन का कहना है कि प्रेग्नेंसी में जेनिटल हर्पीज गंभीर परेशानी हो सकती है अगर समय रहते इसके लक्षणों पर ध्यान नहीं दिया गया तो। नवजात शिशु को भी यह वायरस हो सकता है। जिस वजह से उसे जीवनभर परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। गर्भावस्था के शुरुआत में ही अगर जेनिटल हर्पीज के लक्षणों को पहचान लिया तो नॉर्मल डिलीवर की जा सकती है, पर अगर प्रेग्नेंसी के अंतिम चरण में होता है तो सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चा करना पड़ता है। 

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