आज के समय में सिजेरियन से क्यों हो रहे हैं ज्यादातर बच्चे? (Why the rate of cesarean sections increased)
डॉक्टर के अनुसार, डिलीवरी डेट से 1 सप्ताह पहले हल्का फुल्का दर्द होना सामान्य होता है। ऐसे में इस दर्द हो लेकर घबराएं नहीं। दर्द होने पर डॉक्टर से सलाह लें। ध्यान रखें कि 24 घंटे दर्द के बाद शिशु का जन्म होता है। इस वजह से अगर आपको दर्द महसूस हो रहा है, तो दर्द को सहने की कोशिश करें।
सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी की संभावना कितनी है? (Chances of Normal Delivery After c-section)
डॉक्टर नीरा सिंह का कहना है कि सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना इस बात पर निर्भर होती है कि पहली डिलीवरी सिजेरियन क्यों हुई? अगर महिला की शारीरिक परिस्थितियों के कारण जैसे-पेल्विक का स्पेस कम होना, यूट्राइन रप्चर की स्थिति पर, प्लेसेंटा प्रीविया की स्थिति (इस स्थिति में प्लेसेंटा गर्भाशय के नीचे होती है और आंशिक या पूरी तरह से गर्भाशय ग्रीवा को ढक देती है।) या फिर पहले से गर्भाशय की सर्जरी होने के कारण सिजेरियन डिलीवरी हुई थी, तो ऐसी महिलाओं की अगली डिलवरी भी सिजेरियन होने के चांस ज्यादा होते हैं। हालांकि ऐसे मामलों में भी करीब 10-20 फीसदी डिलीवरी नॉर्मल होने की संभावना होती है।
इसे भी पढ़ें - गर्भावस्था में रोजाना खाएं साबूदाना, सेहत को होंगे ये 5 अद्भुत फायदे
लेकिन अगर गर्भवती महिला का इस तरह का इतिहास ना रहा हो और पहली डिलीवरी बच्चे की स्थिति के कारण सिजेरियन हुई होती है, तो नॉर्मल डिलीवरी के चांसेज हो सकते हैं। इसके लिए गर्भवती महिला को पूर्णरूप से डॉक्टर की निगरानी में रखा जाता है। लेबर पेन होने के करीब 10 से 12 घंटे के ट्रायल के बाद डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि डिलीवरी नॉर्मल होगी या नहीं। इस ट्रायल के दौरान ब्लीडिंग किस तरह से हो रही है और यूरीन के सैंपल जैसे कुछ टेस्ट किए जाते हैं।
टॉप स्टोरीज़
किन महिलाओं को सिजेरियन डिलीवरी की संभावना होती है? (Which women are most likely to have a Cesarean delivery?)
डॉक्टर नीरा कहती हैं कि जिन महिलाओं की हाइट 5 फिट से कम होता है या पेल्विक साइज सही नहीं होता है, तो उन्हें सिजेरियन डिलीवरी होने का चांस अधिक होता है। इसके अलावा पीआईएच (Pregnancy-Induced Hypertension) के मरीजों को भी सिजेरियन डिलीवरी होने का चांस अधिक रहता है।
क्या महिला की सेहत के आधार पर भी डिलीवरी का तरीका निर्भर करता है?
डॉक्टर नीरा कहती हैं कि कुछ ऐसे मामले होते हैं, जिसमें डॉक्टर महिला को सिजेरियन डिलीवरी करने की सलाह देते हैं। इसका कारण उनकी शारीरिक कमजोरी होती है।
किन महिलाओं को डॉक्टर दे सकते हैं सिजेरियन डिलीवरी की सलाह? (Which women can the doctor recommend for Caesarean delivery?)
Cardiac Arrest (दिल की बीमारी): जो महिलाएं पहले से ही कार्डिक अरेस्ट जैसी गंभीर बीमारी से परेशान हैं, उन्हें डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी के बजाय सिजेरियन डिलीवरी करने की सलाह देते हैं।
High Blood Pressure (उच्च रक्तचाप): हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित महिलाओं को भी डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दे सकते हैं।
डॉक्टर नीरा कहती हैं कि अगर किसी महिला की पहले से ही पेल्विक सर्जरी हुई हो, तो उन्हें भी डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा बैक में सर्जरी और पोलियो से ग्रसित महिलाओं को भी डॉक्टर नॉर्मल के बजाय सिजेरियन डिलीवरी करने की सलाह दे सकते हैं।
इसे भी पढ़ें - गर्भावस्था में मुनक्का खाने से आयरन की कमी होगी दूर, एक्सपर्ट से जानें किस तरह करें इसका सेवन
किस डिलीवरी से बच्चा रहता है स्वस्थ (Which delivery keeps baby healthy)
डॉक्टर नीरा कहती हैं कि जो बच्चा डिलीवरी डेट के आसपास होता है, वह पूर्णत: स्वस्थ होता है। इससे नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी का कोई फर्क नहीं पड़ता है। भले नॉर्मल डिलीवरी के दौरान शिशु के सिर पर थोड़ा प्रेसर पड़ता है, लेकिन इससे शिशु को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। वहीं, सिजेरियन डिलीवरी में भी शिशु के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता है।
नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी में से किससे शरीर पर पड़ता है असर (Effect on health after delivery)
कुछ लोगों का मानना है कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद मोटापा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। डॉक्टर नीरा इसे एक मिथ बताती हैं। उनका कहना है कि सिजेरियन में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। प्रेग्रेंसी के बाद मोटापा का कारण फिजीकल एक्टिविटी की कमी है। जिन महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन से होती है, वे कोई काम नहीं करना चाहती हैं और सिजेरियन की वजह से काम से बचना चाहती हैं, जिसकी वजह से उनका मोटापा बढ़ता है। डॉक्टर नीरा का कहना है कि प्रेग्नेंसी के बाद मोटापा का कारण ब्रेस्ट फीडिंग ना कराना भी हो सकता है। कुछ महिलाएं अपने फिगर में बदलाव ना आए, इसके कारण शिशु को दूध नहीं पिलाती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। ब्रेस्ट फीडिंग कराने से वजन भी कम होता है। इसके साथ-साथ ब्रेस्ट कैंसर होने की सभावना भी काफी घट जाती है।