हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को कुछ समय पहले तक बड़ी उम्र की बीमारी माना जाता था। मगर आजकल नौजवान लोगों में भी इस तरह के मामले सामने आने लगे हैं। आपने भी अपने आसपास ऐसे लोगों के बारे में जरूर देखा/सुना होगा, जिनकी सीने में दर्द होने के कुछ समय बाद ही अचानक मृत्यु हो गई हो। मेडिकल साइंस में इसे अचानक कार्डियक अरेस्ट (Sudden Cardiac Arrest) कहते हैं। सडेन कार्डियक अरेस्ट के कई कारण हो सकते हैं। नई उम्र के युवाओं में लगातार बढ़ते कार्डियक अरेस्ट के मामलों को देखते हुए ओनलीमायहेल्थ की टीम ने मैक्स सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक कुमार (Dr. Viveka Kumar) से इस बारे में बातचीत की और उनसे कुछ सवालों के जवाब जाने, जो युवाओं के लिए बहुत जरूरी हो सकते हैं।
सडेन कार्डियक अरेस्ट क्या है?
डॉ. विवेक बताते हैं कि सडेन कार्डियक अरेस्ट एक इमरजेंसी मेडिकल स्थिति है, जिसमें व्यक्ति का हृदय अचानक फंक्शन करना बंद कर देता है, जिसके चलते उसे कार्डियक अरेस्ट हो जाता है। ये खतरनाक हो सकता है क्योंकि कई बार लक्षण दिखने के 1 घंटे के भीतर ही व्यक्ति की मौत हो सकती है।
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अचानक कार्डियक अरेस्ट का खतरा किन लोगों को होता है?
सडेन कार्डियक अरेस्ट का खतरा 30-35 साल की उम्र के बाद किसी को भी हो सकता है। आमतौर पर जिन लोगों की हार्ट पंपिंग कैपेसिटी (हृदय की खून को पंप करने की क्षमता) 40% से कम होती है, उन्हें इसका खतरा बहुत ज्यादा होता है। युवाओं में इन दिनों इसके मामले काफी बढ़े हैं और इसका एक कारण तनाव है। कोविड के समय में सडेन कार्डियक अरेस्ट के मामले अचानक बढ़े हैं क्योंकि कोविड के मरीजों को भी हार्ट से जुड़ी परेशानियां आ रही हैं।
इस स्थिति को रोकने के लिए लोग क्या कर सकते हैं?
सडेन कार्डियक अरेस्ट की स्थिति को रोकने के लिए जरूरी है कि अगर आपको हार्ट से जुड़ी कोई भी परेशानी होती है, तो आप डॉक्टर से संपर्क करें और इसकी जांच कराएं। इस बीमारी के होने की संभावना का पता इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography) जांच द्वारा लगाया जा सकता है। जिन लोगों को पहले कभी हार्ट अटैक आया हो, जिन्हें पहले से हार्ट की समस्या हो, जिन्हें अचानक सीने में दर्द की शिकायत हो या हार्ट अटैक के अन्य लक्षण दिखें, तो ऐसे सभी लोगों को डॉक्टर से संपर्क करके ये जांच करानी चाहिए और सलाह लेनी चाहिए।
अचानक कार्डियक अरेस्ट का इलाज कैसे किया जा सकता है?
अगर मरीज कार्डियक अरेस्ट के लक्षणों के दिखते ही तुरंत बिना समय गंवाए हॉस्पिटल पहुंच जाए, तो उसकी जान बचाई जा सकती है। इसके लिए हम लोग मरीज को कुछ दवाएं देते हैं, जिनमें बीटा ब्लॉकर्स प्रमुख हैं। इसके अलावा मरीज की स्थिति के अनुसार इलाज करके उसकी जान को बचाया जा सकता है।
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युवा अपने हृदय को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?
युवाओं को तनाव कम लेना चाहिए, किसी भी तरह की हार्ट की परेशानी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर किसी को ये परेशानी आती है, तो हम लोग उसे दवाओं के साथ कुछ लाइफस्टाइल से जुड़े बदलाव भी बताते हैं, जिनसे इस तरह की स्थिति से आगे बचा जा सके।
यह लेख मैक्स सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक कुमार से फोन पर की गई बातचीत पर आधारित है।
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