शोध में हुआ खुलासा, महिलाओं की तुलना पुरुषों में ज्यादा है कोरोना एंटीबॉडी प्रोड्यूस करने की क्षमता

कोरोना महामारी के कारण अब तक कुल 1,17,956 लोग जान गंवा चुके हैं, ऐसे में जरूरत है कि लोग अपने इम्यून सिस्टम की मजबूती पर ध्यान दें।
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शोध में हुआ खुलासा, महिलाओं की तुलना पुरुषों में ज्यादा है कोरोना एंटीबॉडी प्रोड्यूस करने की क्षमता


कोरोनावायरस का कहर  (Coronavirus) देश और दुनिया में जारी है। भारत में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों के ताजा आंकड़ों की बात करें, तो कुस मामलों की संख्या अब 78 लाख के पार है।  स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शनिवार सुबह जारी आंकड़ों के मुताबिक, COVID-19 के अब तक कुल 78,14,682 मामले आए हैं, जिसमें पिछले 24 घंटे में  53,370 नए मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, इस दौरान 650 लोगों की वायरस की वजह से मौत हुई है। पर इस बीच राहत की बात ये है कि देश में कोरोनावायरस की स्थिति में सुधार आया है। हाल के दिनों में नए मामलों में कमी के साथ वायरस से ठीक होने लोगों की संख्या बढ़ी है। वहीं कोरोनावायरस से इतनी बड़ी तादाद में लोगों की इस रिकवरी के पीछे एक बड़ा हाथ मजबूत इम्यूनिटी और शरीर द्वारा एंटीबॉडी बनाने की क्षमता है। इसे लेकर हाल ही में आया शोध महिलाओं और पुरुषों द्वारा एंटीबॉडी बनाने की क्षमता को लेकर भी एक बड़ा खुलासा करता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस शोध के बारे में।

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कोरोनावायरस एंटीबॉडी से जुड़ा शोध  (coronavirus antibodies)

कोरोना एंटीबॉडी को लेकर किए गए इस शोध की मानें, तो महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कोरोनावायरस के खिलास एंटीबॉडी प्रोड्यूस करने की क्षमता ज्यादा है। यूरोपीय जर्नल ऑफ इम्यूनोलॉजी (European Journal of Immunology) में प्रकाशित इस शोध की मानें, तो कोरोना के खिलास एंटीबॉडी प्रड्यूस करने की क्षमता किसी की उम्र से जुड़े कारकों पर निर्भर नहीं करती है, बल्कि रोग की गंभीरता इसे तय करता है कि शरीर कितना एंटीबॉडी प्रोड्यूस कर सकता है। 

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पुरुषों में ज्यादा होती है कोरोनावायरस एंटीबॉडी

इस शोध में एक बात पर और जोर दिया गया कि औसतन, पुरुषों की बॉडी महिलाओं की तुलना में अधिक कोविड -19 एंटीबॉडी प्रोड्यूस करती है। इस शोध के दौरान पता लगाया गया कि 90 प्रतिशत रोगियों में SARS-CoV-2 वायरस के बाद सात महीने तक शरीर में एंटीबॉडी होता है। शोध में बताया गया है कि  हमारा इम्यून सिस्टम वायरस SARS-CoV-2 को के बाहरी दुश्मन के रूप में पहचानती है और इसके जवाब में एंटीबॉडी का उत्पादन करती है, जो वायरस से लड़ने में मदद करती है।

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शोध में इस एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए 300 से अधिक कोविद -19 अस्पताल के रोगियों और स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं के एंटीबॉडी स्तर को नापा गया। उसके बाद 200 से अधिक पोस्ट-कोविद -19 स्वयंसेवकों में एंटीबॉडी स्तर को नापा गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि छह महीने के अनुभागीय अध्ययन के परिणाम में कोविद -19 लक्षणों के बाद पहले तीन हफ्तों के भीतर एंटीबॉडी के स्तर में तेजी से वृद्धि में एक क्लासिक पैटर्न देखा गया। इस प्रारंभिक प्रतिक्रिया चरण में, औसत पुरुष महिलाओं की तुलना में अधिक एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं, लेकिन रिजॉल्यूशन चरण के दौरान स्तर संतुलित होते हैं और SARS-CoV-2 संक्रमण के बाद के महीनों में लिंगों के बीच समान होते हैं। इस तरह ये सही ढंग से नहीं कहा जा सकता है कोरोना एंटीबॉडी बनाने की क्षमता किसमें कितना है।

इसके अलावा, परिणाम बताते हैं कि उम्र या लिंग एंटीबॉडी के उत्पादन के लिए एक जटिल कारक नहीं है, क्योंकि शोध में आयु समूहों के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं देखा गया था। इस तरह इस विषय में शोध करना और भी जरूरी है। वहीं कोरोना के कारण विश्व भर में स्थिति बेहद गंभीर है। हर किसी को अब वैक्सीन और दवा का इंतजार है, ताकि इस महमारी पर रोक लगाया जा सका।

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