कोरोनावायरस का कहर (covid 19 updates india) देश और दुनिया में जारी है। भारत की बात करें, तो कोरोना मामले की संख्या 40 लाख के पार पहुंच चुकी है। शुक्रवार को COVID-19 मामले देश में 39 लाख के पार जा चुके थे। पिछले 24 घंटे में देश में 86,432 नए कोरोनावायरस केस सामने आए हैं, इसके साथ ही कुल कोरोना मामलों का आंकड़ा 40,23,179 हो चुका है। इस बीच एक अच्छी खबर भी है। रूस की कोरोना वायरस (russian vaccine for covid 19 news in hindi) वैक्सीन ‘Sputnik V’ जिसे लेकर दुनियाभर को शक था, उसे लोगों में परीक्षण के दौरान सुरक्षित पाया गया है।
लांसेट का दावा कोरोना वैक्सीन है सुरक्षित
द लांसेट जर्नल में शुक्रवार को प्रकाशित एक अध्ययन की मानें, तो कोविड-19 (Coronavirus Vaccine) के रूसी टीके ‘Sputnik V’ को मानवों पर किए गए परीक्षणों में कोई गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला परिणाम सामने नहीं आया है और इसने परीक्षणों में शामिल किए गए सभी लोगों में एंटीबॉडी विकसित की।
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बता दें कि रूस ने पिछले महीने इस टीके को मंजूरी दी थी, जिसके बाद दुनियाभर में इस वैक्सीन को लेकर सवाल खड़े किए गए थे। टीके के शुरूआती चरण का यह परीक्षण कुल 76 लोगों पर किया गया और 42 दिनों में टीका सुरक्षा के लिहाज से अच्छा नजर आया। इसने परीक्षणों में शामिल सभी लोगों में 21 दिनों के अंदर एंटीबॉडी विकसित की। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि परीक्षण के द्वितीय चरण के नतीजों से यह पता चलता है कि इस टीके ने शरीर में 28 दिनों के अंदर टी-कोशिकाएं (Killer T-cells) भी बनाई।
कैसे काम करता है ये वैक्सीन?
इस टीके का उद्देश्य ऐंटीबॉडी और टी-सेल विकसित करना है, ताकि वे उस वक्त वायरस पर हमला कर सकें जब यह शरीर में घूम रहा हो और साथ ही SARS-CoV-2 द्वारा संक्रमित कोशिकाओं पर भी हमला कर सकें। रूस के गेमालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के अध्ययन में कहा गया है कि जब यह वैक्सीन शरीर में दाखिल होती है, तो स्पाइक प्रोटीन जेनेटिक कोड डिलिवर करती है। स्पाइक प्रोटीन जेनेटिक कोड ही SARS-CoV-2 वायरस को पहचानने और हमला करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रेरित करने में मदद करता है। रूस स्थित महामारी और सूक्ष्म जीवविज्ञान गामेलिया राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र के वैज्ञाानिक और अध्ययन के प्रमुख लेखक डेनिस लोगुनोव ने कहा, 'जब ऐंटीवायरस टीका शरीर में प्रवेश करता है तो वह SARS-CoV-2 को खत्म करने वाले हमलावर प्रोटीन पैदा करता है।'
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ट्रायल्स में वैक्सीन के दो तरह के फॉर्मुलेशन इस्तेमाल किए गए थे। ये दोनों ही फॉर्मुलेशन वैक्सीन के बड़े स्तर पर प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल होने हैं। इसमें से एक था फ्रोजन वर्जन और दूसरा रिमोट इलाकों के लिए फ्रीज-ड्राइड वर्जन। इस दो हिस्से वाले टीके में रीकोम्बीनेंट ह्यूमन अडेनोवायरस टाइप 26 (आरएडी26-एस) और रीकॉम्बिनेंट ह्यूमन अडेनोवायरस टाइप 5 (आरएडी5-एस) शामिल हैं। अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक 'अडेनोवायरस' के चलते आमतौर पर जुकाम होता है। टीके में इसे भी कमजोर कर दिया गया है ताकि वे मानव कोशिकाओं में प्रतिकृति नहीं बना पाएं और रोग पैदा नहीं कर सकें।
वैसे तो दुनियाभर में कई वैक्सीन ट्रायल स्टेज पर हैं और इनमें से कुछ ने भारत के सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के साथ प्रोडक्शन के लिए टाईअप किया है। वहीं स्पुटनिक V वैक्सीन की बात करें, तो खबरों के अनुसार रूस के एक सरकारी अधिकारी ने कहा है कि स्पुटनिक V वैक्सीन के प्रोडक्शन के लिए भारत से बातचीत चल रही है।
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