कैंसर के कारण हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवाते हैं। एक खबर से इसके इलाज में उम्मीद की एक नई किरण दिखाई दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार रूस ने कैंसर को रोकने वाली वैक्सीन बना ली है। रूस में विकसित की गई Enteromix वैक्सीन ने शुरुआती क्लिनिकल ट्रायल में 100% असर दिखाया है। खास बात यह रही कि टेस्टिंग के दौरान किसी भी मरीज को गंभीर साइड इफेक्ट नहीं हुआ। इस खबर की इतनी चर्चा है कि पिछले कुछ घंटों में ये खबर गूगल ट्रेंड्स पर ट्रेंड कर रही है।
जानकारी के मुताबिक, यह वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित है, ठीक वैसे ही जैसे कोविड-19 के टीके बने थे। यह शरीर की इम्यून कोशिकाओं को कैंसर सेल्स पहचानने और उन्हें खत्म करने में मदद करता है। अभी तक कैंसर का जो इलाज मौजूद है, उसमें कीमोथेरपी और रेडिएशन थेरेपी सबसे प्रमुख तकनीक हैं, मगर इनके दुष्प्रभाव भी हैं। ऐसे में यह नई वैक्सीन करोड़ों लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण बन सकती है।
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शुरुआती नतीजों में कारगर पाई गई वैक्सीन
वैक्सीन का पहला ट्रायल 48 वॉलेंटियर्स पर किया गया, जिसके नतीजे चौंकाने वाले रहे। इन सभी मरीजों में वैक्सीन लगाने के बाद कैंसर के ट्यूमर की ग्रोथ पर असर दिखा और कैंसर सेल्स धीरे-धीरे खत्म होने लगा। खास बात यह रही कि इस पहले ट्रायल में किसी भी मरीज में कोई भी गंभीर साइड इफेक्ट सामने नहीं आया। शोधकर्ताओं का कहना है कि वैक्सीन को व्यक्तिगत रूप से मरीजों की स्थिति और आनुवंशिक संरचना के हिसाब से तैयार किया गया, इसलिए इसका असर और बढ़ गया।
किन कैंसर पर दिखा असर?
अभी तक यह वैक्सीन मुख्य रूप से कोलोरेक्टल कैंसर पर टेस्ट की गई है। आगे इसे ब्रेन कैंसर और स्किन कैंसर (मेलेनोमा) पर भी आजमाने की तैयारी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि तकनीक सही साबित हुई, तो आने वाले वर्षों में यह कई गंभीर कैंसर पर कारगर साबित हो सकती है।
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शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि यह सिर्फ पहला कदम है। अब इस वैक्सीन को बड़े पैमाने पर दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल में आजमाया जाएगा। जिससे यह पता चलेगा कि यह वास्तव में कितनी सुरक्षित और असरदार है। इसके बाद ही इसे आम मरीजों के लिए उपलब्ध कराया जा सकेगा। लेकिन अगर ये सभी ट्रायल्स में सफल साबति हुई, तो ये दुनिया के लिए एक बड़ी खोज साबित होगी।
भारत जैसे देश में जहां कैंसर तेजी से बढ़ती बीमारी है, यह खोज एक बड़ी उम्मीद बन सकती है। हालांकि इसे आम लोगों तक पहुंचने में समय लगेगा, साथ ही इसकी लागत, तकनीकी तैयारी और मरीजों के हिसाब से व्यक्तिगत वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया जैसी चुनौतियां भी सामने आएंगी।