कोरोना वायरस को लेकर अब दुनियाभर में लोगों की गंभीरता कम हो गई है। इसका कारण यह है कि ज्यादातर लोगों ने मान लिया है कि कोरोना वायरस सामान्य इंफेक्शन जैसी बीमारी है, जो सही समय पर इलाज मिल जाने से ठीक हो जाती है। लेकिन दुनियाभर में लगातार इस वायरस पर अध्ययन हो रहे हैं और आए दिन कुछ न कुछ चौंकाने वाली बात सामने आती रहती है। हाल में ही सामने आई एक स्टडी रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया, जिसमें बताया गया कि कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाने के बाद पुरुष अपने पिता बनने की क्षमता खो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने इसकी वजह यह बताई है कि कोविड-19 संक्रमण का शिकार होने पर कोरोना वायरस व्यक्ति के उन टेस्टिकुलर सेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है, जो स्पर्म बनाते हैं। ये स्टडी इजराइल के वैज्ञानिकों के द्वारा की गई है।
50% तक कम हो सकता है स्पर्म का प्रोडक्शन
Jerusalem Post में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ये स्टडी Sheba Medical Center की Dr. Dan Aderka ने किया है। स्टडी को Fertility and Sterility नामक जर्नल में छापा गया है। रिपोर्ट की मानें तो इस अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस के कारण पुरुषों के स्पर्म बनाने की क्षमता में लगभग 50% तक की गिरावट आ सकती है, जिससे प्रति मिलीमीटर वीर्य (सीमेन) में स्पर्म की संख्या काफी कम हो जाती है। इससे स्पर्म की मोटैलिटी पर भी फर्क पड़ता है।
आपको बता दें कि पहले ही दुनियाभर के पुरुष लो-स्पर्म काउंट की समस्या से ग्रसित हैं, जिसके कारण इनफर्टिलिटी बढ़ी है। अगर वैज्ञानिकों का ये दावा सच है, तो ये चिंता की बात हो सकती है।
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सामान्य लक्षणों वाले लोगों में भी स्पर्म काउंट घटने का दावा
स्टडी के अनुसार स्क्रीनिंग के दौरान वैज्ञानिकों को 13% पुरुषों के स्पर्म में कोरोना वायरस मिला। वहीं संक्रमित होने के 30 दिन बाद भी कई पुरुषों के स्पर्म के वॉल्यूम, कंसंट्रेशन और मोटिलिटी में 50% तक की कमी देखी गई। ये कमी उन मरीजों में भी देखी गई जो सामान्य लक्षणों वाले थे। आपको बता दें कि ये अपनी तरह की पहली स्टडी नहीं है, बल्कि इसके पहले भी कोरोना वायरस और पुरुषों की फर्टिलिटी को लेकर अध्ययन किए जा चुके हैं और लगभग यही बातें उन अध्ययनों में भी कही गई थीं।
कोरोना वायरस नष्ट कर देता है स्पर्म बनाने वाले सेल्स
स्टडी करने वाले वैज्ञानिक Dr. Aderka का कहना है कि कोविड-19 मरीजों के स्पर्म प्रोडक्शन पर जो असर देखा गया है, उसका कारण यह हो सकता है कि टेस्टिस में पाए जाने वाले सेल्स में भी फेफड़ों, किडनी और हार्ट की तरह ACE2 रिसेप्टर्स हो सकते हैं। आपको बता दें कि कोरोना वायरस शरीर में पाए जाने वाले इन्ही ACE2 रिसेप्टर्स से जाकर चिपक जाता है और सेल्स को नष्ट करने लगता है। ऐसे में अगर कोरोना वायरस टेस्टिस तक पहुंचता है तो संभव है कि ये स्पर्म बनाने वाले सेल्स को नष्ट कर दे।
Dr. Aderka ने कहा, "सामान्यतः स्पर्म को मेच्योर होने में 70 से 75 दिन का समय लगता है। इसलिए संभव है कि मरीज के रिकवर होने के दो-ढाई महीने बाद अगर उनके स्पर्म का टेस्ट किया जाए, तो उनकी फर्टिलिटी और भी घटी हुई मिल सकती है और ये और ज्यादा परेशान करने वाला हो सकता है।"
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कितने समय तक रहता है असर, नहीं पता
इस रिसर्च के सामने आने के बाद कई हेल्थ एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिकों की चिंता इस बात को लेकर बढ़ गई है कि अगर ये दावा सही है, तो यह पता लगाना बहुत जरूरी है कि कोरोना वायरस द्वारा डैमेज किए गए सेल्स पर कितने समय तक असर बना रहता है और कितने समय तक पुरुष की फर्टिलिटी प्रभावित रह सकती है। ऐसा ही एक और अध्ययन पिछले दिनों सामने आया था। कोरोना वायरस के शरीर के प्रभावों के बारे में अभी और अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
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