जब लोगों को डायबिटीज होने का पता चलता है,तो वे काफी परेशान हो जाते हैं। ये जानना बहुत जरूरी है कि डायबिटीज की समस्या दुनियाभर में लगातार बढ़ रही है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1990 में दुनियाभर में दो करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे जो साल 2022 में बढ़कर 8 करोड़ 30 लाख हो गए हैं। इस बीमारी की बढ़ोतरी गरीब और मिडिल इनकम देशों में ज्यादा हुई है। ये आंकड़ें आपको परेशान कर सकते हैं, लेकिन इसके साथ अच्छी खबर ये है कि अगर समय पर पता चल जाए तो मरीज कुछ बातों का ध्यान रखकर इसे कंट्रोल कर सकता है और इससे जुड़ी बीमारियों को भी रोक सकता है। कौन से ऐसे महत्वपूर्ण कदम हैं, जिसे मरीज को उठाने चाहिए, ये जानने के लिए हमने ग्रेटर नोएडा के शारदा केयर हेल्थसिटी के इंटरनल मेडिसन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पंकज बंसल (Dr. Pankaj Bansal, Senior Consultant - Internal Medicine, Sharda Care Healthcity, Greater Noida) से बात की।
डायबिटीज रोगी करें ये 5 काम
डॉक्टर और न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लें
डॉ. पंकज कहते हैं, “जब भी डायबिटीज का पता चले, सबसे पहले डायबिटीज एजुकेटर या फिर न्यूट्रिशनिस्ट से जरूर मिलें क्योंकि वही लोग आपकी मेडिकल हिस्ट्री, उम्र, वजन और डायबिटीज के टाइप के अनुसर इलाज प्लान करेंगे। इसका फायदा ये होगा कि मरीज को अपना शरीर समझने में मदद मिलेगी और ध्यान रहेगा कि किन बातों का खास ध्यान रखना है। जब मरीज अपने पर्सनलाइजड प्लान पर काम करेगा, तो वह भविष्य में होने वाली गंभीर बीमारियों से बच सकता है। इसलिए मैं हमेशा मरीजों को कहता हूं कि जो भी आपके सवाल है, दिक्कतें हैं, उसके बारे में डॉक्टर से पूछे। इससे डॉक्टर को आपका प्लान बनाने में भी आसानी होगी।”
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डायबिटीज से जुड़े टेस्ट जरूर कराएं
डॉ. पंकज कहते हैं कि जिन्हें डायबिटीज का पता चलता है, उन्हें इस बात की टेंशन होती है कि उनका शुगर लेवल कितना होगा, लेकिन डायबिटीज में सिर्फ शुगर लेवल पर नजर रखने के साथ-साथ कुछ टेस्ट भी कराने चाहिए। शुगर लेवल चेक करने के लिए ग्लूकोमीटर काफी विकल्प है।इसके अलावा, मरीजों को टेस्ट कराने चाहिए।
- इंसुलिन रेजिस्टेंस टेस्ट ( insulin Resistance Test) - इस टेस्ट के जरिए पता चलता है कि आपका शरीर इंसुलिन के प्रति कितना संसेटिव है।
- सी- पेपटाइड टेस्ट (C-Peptide Test) - इस टेस्ट के जरिए पता चलता है कि शरीर में इंसुलिन प्राकृतिक रुप से कितना बन रहा है। इसे नापने का काम करता है। इस टेस्ट से डॉक्टर को समझने में मदद मिलती है कि मरीज के शरीर को इंसुलिन की कितनी जरूरत है।
इन दोनों टेस्ट से डॉक्टर को पता चलता है कि मरीज का इलाज कैसे होना चाहिए।
प्रोसेस्ड फूड्स बिल्कुल न लें
डॉ. पंकज कहते हैं कि डायबिटीज मरीजों को जंक फूड या प्रोसेस्ड फूड से बिल्कुल किनारा कर लेना चाहिए क्योंकि प्रोसेस्ड फूड डायबिटीज के लक्षणों को गंभीर कर सकता है। अपनी डाइट से तला-भुना, हाई शुगर जैसे नमकीन, पिज्जा, चिप्स, बिस्कुट, ब्रेड और मैदे के प्रोडेक्ट्स को बिल्कुल हटा देना चाहिए। जब भी आप कुछ खरीदते हैं तो फूड लेबल पढ़ें। जिस प्रोडेक्ट में कम शुगर, हाई फाइबर और ट्रांस फैट न हो, उसका चुनाव करें। रोजाना के खाने में प्रोटीन की मात्रा जैसे कि दालें बढ़ाएं, ताजी सब्जियां और मौसमी फलों को खाएं। साबुत अनाज को अपनी डाइट में शामिल करें।
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रोजाना कसरत करें
डॉ. पंकज कहते हैं, “रोजाना कसरत करने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप जिम की मैंबरशिप ले लें। बस आपको दिन भर अपने शरीर को एक्टिव रखना है। इसके लिए आप चाहे तो अपने ही कमरे में डांस कर लें, साइकिल पर घूमने चले जाएं, तेजी से चलने की आदत डालें या फिर बागवानी करके भी शरीर को एक्टिव रख सकते हैं। इतना ध्यान दें कि हफ्ते में करीब 150 मिनट कसरत जरूर करें। इसका मतलब है कि हफ्ते में 5 दिन कम से कम आधा घंटा शरीर को एक्टिव रखने की कोशिश करें। जब आप अपने शरीर को नियमित रुप से एक्टिवेट रखते हैं, तो इससे शरीर का शुगर लेवल सही रहता है और शरीर का इंसुलिन सही तरीके से काम करता है। इसके अलावा, मूड ठीक रहता है और दिनभर एनर्जी बनी रहती है।”
समय पर दवाइयां लें
डॉ. पंकज ने बताया कि जब मरीज को डायबिटीज का पता चलता है तो उसे जिस तरह से डॉक्टर ने इंसुलिन या दवाइयां लेने की सलाह दी है, उसे नियमित रूप से लेना चाहिए। अगर मरीज अपने डोज मिस कर देते हैं, तो इससे शरीर का ब्लड शुगर बढ़ सकता है, जो अन्य बीमारियों को बढ़ा सकता है। इसलिए खुद से दवाइयां बंद न करें। इस बात का ध्यान रखें कि दवाइयां कोई सजा नहीं है, बल्कि ये आपके शरीर को सेहतमंद रखने का तरीका है।
निष्कर्ष
डॉ. पंकज के अनुसार, जब पहली बार डायबिटीज का पता चलता है, तो मरीज घबरा जाते हैं लेकिन डरने की बजाय शुरुआत में ही अगर ये 5 कदम उठा लिए जाए, तो मरीज जीवनभर सेहतमंद जीवन जी सकता है और इससे जुड़ी बीमारियों से बच सकता है।