क्या ठंड के दिनों में ज्यादा पानी पीने की जरूरत होती है? क्या रोज 8 गिलास पानी पीना पर्याप्त है? ऐसे ही कुछ मिथक हैं जिनका सीधा संबंध पीने के पानी से जुड़ा है। पानी हमारे बॉडी के लिए बहुत जरूरी है पर इसे गलत तरह से पीने से ये हमारी तबीयत भी बिगाड़ सकता है इसलिए आपको पानी से जुड़े मिथ और सच जान लेने चाहिए। इस पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
1. मिथ: सबको रोज 8 गिलास पानी पीना चाहिए (Water intake per day)
ये भी एक तरह का मिथ है। दरअसल पानी इंटेक हर व्यक्ति के लिए अलग होती है। इंसान के वजन और फिजिकल एक्टिविटी पर ये निर्भर करता है कि वो कितना पानी एक दिन में पिए। खुद को हाइड्रेट रखना जरूरी है पर जब जरूरत न लगे जबरदस्ती पानी न पीएं। वहीं भारी कसरत या काम करने वाले लोग 8 से ज्यादा गिलास भी पानी पीते हैं तो ये उनकी डाइट और काम पर निर्भर करता है।
2. मिथ: सिर्फ पानी से ही शरीर हाइड्रेट रहता है (Water based foods)
ऐसा नहीं है, फल और सब्जियों में भी पानी होता है। आप रोज जो खाना खाते हैं उसमें से 20 प्रतिशत तरल होता है। कोकोनट वॉटर भी पानी का एक अच्छा ऑप्शन है। इसे पीकर भी आप प्यास बुझा सकते हैं। इनके अलावा आप जो भी खाते हैं सब में पानी की कुछ प्रतिशत मात्रा जरूर होती है।
3. मिथ: ठंड में ज्यादा पानी पीने की जरूरत नहीं होती (Dyhydration can also occur in winters)
ठंड में तापमान नीचे होता है इसलिए लोगों को प्यास का अहसास नहीं होता और वो पानी नहीं पीते या कुछ को लगता है कि ठंड के दिनों में पानी की जरूरत नहीं होती जबकि ऐसा नहीं है। हमारी त्वचा और सांस में नमी कम होने से तबीयत बिगड़ने लगती है। इसे डिहाइड्रेशन कहते हैं। इससे होंठ फटने लगते हैं और त्वचा रूखी होने लगती है। इसलिए सर्दियों में खुद को हाइड्रेटेड रखें।
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4. मिथ: पीने से विषैले तत्व पूरी तरह शरीर के बाहर निकल जाते हैं (Water cannot wash off toxins from body completely)
पानी से जुड़ा एक मिथ ये भी है कि पानी पीने से विषैले तत्व शरीर के बाहर निकल जाते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि पानी से ही सारे तत्व बाहर निकल जाएं। इसके लिए आपको दवाओं की जरूरत होती है। ज्यादा पानी पी लेने से यूरिन बनने की प्रक्रिया गड़बड़ हो सकती है। इसलिए डॉक्टर से बात करके अपना वॉटर इंटेक डिसाइड करें।
5. मिथ: यूटीआई का इलाज है पानी (Water can prevent UTI)
ये भी एक तरह का मिथ है। लोगों को लगता है कि पानी ज्यादा पीने से बैक्टेरिया बाहर निकल जाएंगे और यूटीआई की समस्या ठीक होगी पर ऐसा नहीं है। पानी से यूटीआई में आराम मिलता है पर ये इलाज नहीं हो सकता है। आपको पेट के निचले हिस्से में दर्द या जलन हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
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6.प्लास्टिक बॉटल में मिलने वाला पानी ज्यादा शुद्ध है (Water in plastic container is not healthy)
ऐसा नहीं है। इस पर कई स्टडीज की गई हैं जिसमें ये बात सामने आई है कि बॉटल में मिलने वाला मिनरल वॉटर सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। इसका कारण प्लास्टिक की बॉटल भी हो सकती है। डॉक्टर पानी को उबालकर पीने की सलाह देते हैं।
7. मिथ: ज्यादा पानी पीने से डाइजेशन ठीक हो जाता है (More water can improve digestion)
पानी को लेकर एक मिथ ये भी है कि पानी पीने से डाइजेशन अच्छा होता है। ऐसे में लोग पेट बिगड़ने पर ज्यादा पानी पी लेते हैं इससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है और बेचैनी की समस्या होती है। हालांकि पानी पीने से पेट में जलन कम होती है पर इससे डाइजेशन ठीक हो ये जरूरी नहीं है।
आपको अपने डॉक्टर से बात करके पानी का इंटेक डिसाइड करना चाहिए इसके साथ ही डिहाइड्रेशन से बचकर रहें।
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