मिर्गी के कारण शरीर में अचानक झटके और बेहोशी आ जाती है, जिससे हमारा शरीर और हाथ-पांव अकड़ जाते हैं। दरअसल मिर्गी का कोई सटीक कारण बता पाना संभव नहीं है लेकिन मस्तिष्क के तंत्रिका तंत्र एवं शरीर में पाए जाने वाले केमिकल्स में कुछ बदलाव के कारण ये समस्या हो सकती है। इन सब कारणों के अलावा मिर्गी की बीमारी सिर पर चोट लगने से, दिमागी बुखार, इंफेक्शन, ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन टीवी की वजह से भी हो सकती है। कई बार नशे की वजह से भी मिर्गी के दौरे आने लगते हैं। इसके अलावा खराब लाइफस्टाइल, हार्मोनल बदलाव, स्ट्रेस और नींद पूरी न लेने के कारण भी मिर्गी के दौर आते हैं लेकिन आयुर्वेद में इसका इलाज है, जिससे आप प्राकृतिक रूप से स्वस्थ हो सकते हो। इसके लिए हमने बात की आयुर्वेदाचार्य डॉ राहुल चतुर्वेदी से।
मिर्गी के लक्षण
1. दिमागी संतुलन बिगड़ जाना
2. तेज रोशनी से परेशानी
3. बेहोश होना
4. हाथ-पांव में झटके
5. मांसपेशियों में तनाव
6.मुंह से झाग आना
मिर्गी के आयुर्वेदिक इलाज
1. अश्वगंधा
अश्वगंध के कई औषधीय गुण है। अश्वागंधा के सेवन से मस्तिष्क संबंधी समस्याएं, नींद और हार्मोनल समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। मिर्गी की समस्या में अश्वगंध के सेवन से रोगी को काफी आराम मिलता है। इसके लिए अश्वगंधा पाउडर 4 ग्राम और मिश्री पाउडर 4 ग्राम ले लें। इन दोनों के मिश्रण को अच्छे से मिला लें और डिब्बे में स्टोर करके रख लें। सुबह-शाम खाने के बाद इसका सेवन करें। इससे मिर्गी की समस्या में राहत मिल सकती है।
2. ब्राह्मी
ब्राह्मी का पौधा ब्लड सर्कुलेशन और मस्तिष्क संबंधी समस्याओं के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इससे मिर्गी का दौरा लंबे समय तक नहीं रहता है और बार-बार अटैक भी नहीं आता है। साथ ही याददाश्त क्षमता भी बढ़ती है। मिर्गी में ब्राह्मी और अश्वगंध की दोनों की 4-4 ग्राम मात्रा और मिश्री की 8 ग्राम मात्रा ले लें। सभी को मिला लें। इसकी 6 ग्राम मात्रा सुबह-शाम दूध के साथ लेने से मिर्गी के अटैक कम आ सकते हैं।
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3. अश्वगंधारिष्ट
अश्वगंधारिष्ट बनाने के लिए अश्वागंधा, मुसली, मंजिष्ठा, हरड़ और हल्दी जैसी कई जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें कई औषधीय गुण होते हैं। इनकी मदद से मिर्गी में मानसिक विकार को दूर करने में मदद मिलती है। साथ ही तनाव, चिंता, याददाश्त और अन्य समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। अश्वगंधारिष्ट दवा सुबह-शाम 6-6 ढक्कन लेने से आपको मिर्गी की समस्या में आराम मिल सकता है।
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4. सारस्वतारिष्ट
सारस्वतारिष्ट कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर तत्व का मिश्रण हैं। इसमें ब्राह्मी, शतावरी, बड़ी हरड़, खस, सौंफ और सोंठ जैसी कई जड़ी-बूटियां मिलाई जाती हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-डिप्रेसिव, एंटी-स्ट्रेस और एंटी एंजिग जैसे गुण पाए जाते हैं। इससे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर में भी काफी आराम मिलता है। इसमें ब्राह्मी पाई जाती है, जिससे नींद काफी अच्छी आती है। इसे आप सुबह-शाम तीन-तीन चम्मच ले सकते हैं।
5. बलारिष्ट
बलारिष्ट भी मिर्गी की समस्या में काफी लाभदायक है। बलारिष्ट के सेवन से भ्रम, मूर्छा, मांसपेशियों में तनाव, सांस लेने की तकलीफ और सर्दी-जुकाम में भी राहत मिलती है। बलारिष्ट में अश्वागंधा, बला की जड़, धाय के फूल, इलायची और लौंग मिलाए जाते हैं। आप सुबह-शाम दो-दो चम्मच खाने के बाद इसका सेवन कर सकते हैं।
6. स्मृतिसागर रस
स्मृतिसागर रस का इस्तेमाल मिर्गी के मरीज कर सकते हैं। इसमें ब्राह्मी, वाचा, पारा, शुद्ध गंधक, मनशिला और ताम्र भस्म मिलाया जाता है। इसके कई गुण है, जो मिर्गी के लक्षणों को ठीक करने में लाभकारी है। इसके 4 टैबलेट को आप शहद के साथ खाने के बाद ले सकते हैं।
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7. शंखपुष्पी
शंखपुष्पी याददाश्त बढ़ाने और मिर्गी की बीमारी ठीक करने के लिए काफी कारगर उपाय है। इसके लिए आप सुबह-शाम खाने के बाद 6-6 ढक्कन शंखपुष्पी रस का सेवन कर सकते हैं।
साथ ही आप मिर्गी के इलाज के लिए कुछ योग और प्रणायाम भी कर सकते हैं। जैसे- सूक्ष्म व्यायाम, उष्ट्रासन, भुजंगासन, शलभासन,धनुराषन और मर्कटासन कर सकते हैं। इसके अलावा मिर्गी की परेशानी में तुरंत आराम दिलाने के लिए सर्पगंधा की दो पत्तियों को खिलाने से बेहोशी और उल्टी में तुरंत आराम मिलता है।
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