Vitamin D Supplements in Hindi: कई लोग रेगुलर विटामिट D के सप्लीमेंट्स लेते हैं, लेकिन जब 6 महीने बाद चेक कराते हैं, तो पता चलता है कि विटामिन D कम है। अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो आप अकेले नहीं हैं। यह समस्या बहुत ही आम है और इसके पीछे कई ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से विटामिन डी का लेवल कम ही रहता है। विटामिन D कम होने की वजह और इसे सही तरीके से बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए, इन सभी के बारे में जानने के लिए हमने नवीं मुंबई के मेडिकवर हॉस्पिटल के डाइटेटिक्स विभाग की हेड डॉ. राजेश्वरी पांडा (Dr. Rajeshwari Panda, Head of the Dietetics Department at Medicover Hospital, Kharghar Navi Mumbai) से बात की। उन्होंने सबसे पहले तो विटामिन D के महत्व की जानकारी दी।
Vitamin D क्यों जरूरी है?
डॉ. राजेश्वरी पांडा कहती हैं, “विटामिन D शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण न्यूट्रिशन है। यह कैल्शियम को अवशोषित (absorb) करने में मदद करता है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है।” इसके अलावा भी विटामिन D शरीर के लिए ये काम करता है।
- मांसपेशियों को मजबूत रखता है।
- इम्यूनिटी को बेहतर रखता है।
- हड्डियों की डेंसिटी (Bone Density) बढ़ाता है
- फ्रैक्चर और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम करता है
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सप्लीमेंट लेने के बाद भी Vitamin D का स्तर क्यों गिरता है?
डॉ. राजेश्वरी ने बताया, “अक्सर लोग यह शिकायत लेकर आते हैं कि Vitamin D supplements को रेगुलर लेने के बाद भी हर 6 महीने बाद उनकी रिपोर्ट में विटामिन कम हो जाता है। दरअसल, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।”
डोज पूरा न लेना – अक्सर लोग खुद ही डोज लेने लग जाते हैं, कई बार डोज शरीर की जरूरतों के मुताबिक नहीं होता है।
शरीर में एब्जर्ब कम होना - अगर किसी को पेट या आंत की दिक्कत होती है, तो सप्लीमेंट लेने के बावजूद शरीर से ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता।
डोज रेगुलर न लेना - अगर दवाई को समय पर रेगुलर न लिया जाए, तो भी असर कम हो जाता है।
सूरज की रोशनी की कमी – कई लोग काम की वजह से सूरज की रोशनी लेने से रह जाते हैं। इस वजह से भी विटामिन D की कमी हो सकती है।
हेल्थ कंडीशंस – कुछ लोगों को बीमारियां शरीर में Vitamin D के मेटाबॉलिज्म और स्टोरेज को प्रभावित कर सकती हैं।
किन मेडिकल कंडीशंस में Vitamin D कम हो सकता है?
डॉ. राजेश्वरी कहती है कि कुछ लोगों में बीमारियों की वजह से विटामिन डी का लेवल सही नहीं रह पाता क्योंकि बीमारियों के कारण मरीज का मेटबॉलिज्म प्रभावित होता है। अगर किसी को नीचे दी गई कोई भी बीमारी है, तो उसे डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है।
- क्रॉनिक किडनी डिजीज
- लिवर से जुड़ी बीमारियां डिजीज
- सीलिएक डिजीज और क्रोहन डिजीज
- मोटापा
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Vitamin D लेने का सही तरीका क्या है?
डॉ. राजेश्वरी ने विटामिन D को लेने के तरीके बताए हैं, जिससे सप्लीमेंट लेना का पूरा फायदा मिल सकता है।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार डोज लें – विटामिनट D न्यूट्रिशन है, तो इसके फायदे या नुकसान नहीं होगे। ये सोचना गलत है, इसलिए खुद ही डोज तय न करें।
- फैट वाले भोजन के साथ लें – Vitamin D एक फैट-सॉल्युबल विटामिन (Fat Soluble Vitamin) है, इसलिए इसे हेल्दी फैट्स जैसे कि मेवे, बीज, एवाकाडो या घी के साथ लें।
- सुबह की धूप लें – हफ्ते में कम से कम 2-3 बार धूप में 20–30 मिनट तक बैठे। इससे नेचुरली Vitamin D बनता है।
- रेगुलर रहे - सप्लीमेंट लेते समय न तो इसका डोज कम-ज्यादा करें और न ही इसे बीच में छोड़ें।
- वजन पर ध्यान रखें - मोटापे की वजह से भी Vitamin D सही तरीके से एब्जर्ब नहीं हो पाता, इसलिए हेल्दी वेट रखें।
निष्कर्ष
डॉ. राजेश्वरी जोर देते हुए कहती हैं कि अगर बार-बार Vitamin D गिरता है, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें और अपनी बीमारियों के बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं, क्योंकि इसके सही कारणों का पता करके इलाज कराना महत्वपूर्ण है। साथ ही रोजाना सुबह या शाम की धूप लेने की कोशिश करें। लाइफस्टाइल में बदलाव करके और डॉक्टर की सलाह पर रेगुलर सप्लीमेंट्स लेने और जांच कराने से Vitamin D की कमी से बचा सकता है।