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मधुमक्खी काटने पर लोहा रगड़ना वाकई फायदेमंद है या सिर्फ मिथ? डॉक्टर से जानें सच

मधुमक्खी के काटने पर सिर्फ बच्चों ही नहीं, बल्कि वयस्कों में भी हल्की से लेकर गंभीर तक प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। यहां जानिए, मधुमक्खी काटने पर लोहा रगड़ना वाकई फायदेमंद है या सिर्फ मिथ है?
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मधुमक्खी काटने पर लोहा रगड़ना वाकई फायदेमंद है या सिर्फ मिथ? डॉक्टर से जानें सच


मधुमक्खी के काटने का दर्दनाक अनुभव होता है और तुरंत राहत पाने की कोशिश में लोग कई तरह के घरेलू उपाय अपनाते हैं। इनमें से एक सबसे प्रचलित तरीका है, लोहे की चीज को काटे हुए हिस्से पर रगड़ना। कहा जाता है कि यह जहर को बेअसर कर देता है और सूजन या दर्द को कम कर देता है। लेकिन क्या यह सच में काम करता है, या यह सिर्फ एक पुराना मिथक है जो पीढ़ियों से चलता आ रहा है? पुराने समय में लोग प्राकृतिक और घरेलू उपायों पर भरोसा करते थे। उन्होंने देखा कि कुछ उपाय तुरंत राहत देते हैं और इन्हें दूसरों को भी सिखाया। यही कारण है कि आज भी यह धारणा प्रचलित है कि लोहे को रगड़ने से मधुमखी का जहर निष्क्रिय हो जाता है। कुछ लोग इसे मैग्नेटिक प्रभाव या शरीर के एनर्जी पॉइंट्स से जोड़ते हैं।

लेकिन विज्ञान की नजर से देखें तो यह तरीका जहर को खत्म करने में सक्षम नहीं है। इस लेख में हम रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) विस्तार से जानेंगे कि मधुमक्खी काटने पर लोहा रगड़ना वाकई फायदेमंद है या सिर्फ मिथ?

मधुमक्खी के काटने के लक्षण - Symptoms of a bee sting

मधुमक्खी का काटना केवल दर्द या जलन तक सीमित नहीं रहता। इसे कई बार गंभीर सूजन, खुजली और लालिमा के रूप में देखा जा सकता है। कुछ लोगों में एलर्जिक रिएक्शन भी होता है, जिसमें सांस लेने में कठिनाई, चक्कर आना या पूरे शरीर में लाल चकत्ते दिख सकते हैं। इसलिए मधुमक्खी के काटने को हल्के में लेना खतरे से खाली नहीं है।

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मधुमक्खी के डंक मारने पर लोहा रगड़ना

भारत में यह धारणा है कि मधुमक्खी के काटने पर लोहा रगड़ने से या अचार मलने से तुरंत राहत मिल सकती है। लोग इसे पुराने अनुभव और दादी-नानी की कहानियों से सीखते आए हैं। हालांकि आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा का कहना है कि ऐसा करने से कोई वैज्ञानिक फायदा नहीं होता। लोहा रगड़ने या अचार लगाने से न तो डंक का जहर बाहर आता है और न ही सूजन कम होती है। ये सिर्फ एक मिथक है, जिसे समय के साथ लोगों ने सही मान लिया।

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आयुर्वेद में मधुमक्खी काटने का इलाज - How do you treat a bee sting in Ayurveda

आयुर्वेद में मधुमक्खी के काटने को विष चिकित्सा (Visha Chikitsa) के अंतर्गत देखा जाता है। आयुर्वेद में इसका विवरण इस प्रकार है कि सबसे पहले, अगर डंक या कांटा त्वचा में रह गया है, तो उसे तुरंत निकालना चाहिए। इसके बाद हल्का खून बहने देना फायदेमंद हो सकता है। खून बहने से त्वचा की सूजन और जलन में कुछ हद तक कमी (What is the best natural treatment for a bee sting) आ सकती है। इसके अलावा, आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग रोगी की स्थिति और उम्र के अनुसार किया जाता है। ये दवाएं त्वचा में सूजन कम करने, दर्द घटाने और शरीर को जहर के असर से बचाने में मदद करती हैं।

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एलोपैथिक इलाज

एलोपैथिक दृष्टिकोण से देखें तो मधुमक्खी के काटने पर तुरंत राहत पाने के लिए अक्सर दर्द निवारक या एंटी-एलर्जिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। एलोपैथिक दवाएं जल्दी असर दिखाती हैं और सूजन तथा दर्द में तुरंत आराम देती हैं।

मिथ बनाम विज्ञान - Myth vs Science

अब सवाल यह उठता है कि लोहा रगड़ने का मिथक क्यों फैला। विज्ञान कहता है कि मधुमक्खी का जहर त्वचा में बहुत छोटा सा छेद बनाकर प्रवेश करता है। इसे रगड़ने या दबाने से जहर बाहर नहीं निकलता। उल्टा, अगर त्वचा को और ज्यादा दबाया या रगड़ा जाए तो जहर और अंदर चला सकता है और इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लोहा रगड़ना पूरी तरह बेकार और नुकसानदेह भी हो सकता है।

निष्कर्ष

मधुमक्खी के काटने पर लोहा रगड़ना या अचार लगाना केवल मिथक है। साइंस और आयुर्वेद दोनों ही इस बात की पुष्टि करते हैं कि इससे फायदा नहीं होता। सही तरीका है डंक निकालना, सफाई रखना और डॉक्टर की निगरानी में उचित दवा लेना। एलोपैथिक दवा जल्दी राहत देती है, जबकि आयुर्वेदिक उपचार शरीर के अंदर गहरे स्तर पर काम करता है। इसलिए, मिथक को छोड़कर सही और सुरक्षित उपाय अपनाना ही स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

All Images Credit- Freepik

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  • Sep 24, 2025 15:54 IST

    Published By : Akanksha Tiwari

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