मांसाहार का सेवन करने वाले ज्यादातर लोगों को रेड मीट का सेवन करना पसंद है, यह प्रोटीन, आयरन और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। रेड मीट के सेवन से शरीर को एनर्जी और मांसपेशियों की मजबूती मिलती है। लेकिन, अगर इसे गलत तरीके से खाया जाए या ज्यादा मात्रा में सेवन किया जाए, तो यह गट हेल्थ (आंतों की सेहत) पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। दरअसल, रेड मीट को पचाने के लिए शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यह आंतों में भारीपन, गैस और कब्ज जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसके अलावा, रेड मीट में मौजूद सैचुरेटेड फैट और प्रिजर्वेटिव्स आंतों में सूजन और असंतुलन का कारण बन सकते हैं। इस लेख में डायटेटिक प्लेस की फाउंडर और न्यूट्रिशनिस्ट साक्षी सिंह से जानिए, रेड मीट का पेट की सेहत पर प्रभाव क्या होता है?
रेड मीट का पेट की सेहत पर प्रभाव - Does Red Meat Affect Gut Health
न्यूट्रिशनिस्ट साक्षी सिंह बताती हैं कि रेड मीट का पाचन अन्य फूड्स की तुलना में ज्यादा समय लेता है। यह पेट में भारीपन, कब्ज और गैस की समस्या पैदा कर सकता है। रेड मीट में मौजूद सैचुरेटेड फैट और HAs जैसे हानिकारक यौगिक आंतों में सूजन और जलन पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा रेड मीट का ज्यादा सेवन आंतों में "खराब" बैक्टीरिया के बढ़ने का कारण बन सकता है, जिससे पाचन तंत्र में असंतुलन होता है। रिसर्च से पता चला है कि रेड मीट का ज्यादा सेवन कोलन कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। रेड मीट में मौजूद नाइट्रोसामाइन और प्रिजर्वेटिव्स इसके प्रमुख कारण हैं।
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रेड मीट का संतुलित सेवन कैसे करें
1. सही मात्रा में सेवन करें
रेड मीट का सेवन सीमित मात्रा में करें। सप्ताह में 2-3 बार खाना बेहतर है। साथ ही इस बात का खास ध्यान रखें कि रेड मीट को फाइबर युक्त फूड्स जैसे सब्जियां और साबुत अनाज के साथ खाएं। रेड मीट के साथ सलाद, हरी पत्तेदार सब्जियां और साबुत अनाज आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखते हैं और पाचन को आसान बनाते हैं। फाइबर आंतों के बैक्टीरिया को संतुलित रखता है और कब्ज की समस्या से बचाता है।
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2. ग्रिल्ड या बेक्ड मीट चुनें
तला हुआ या ज्यादा प्रोसेस्ड मीट खाने से बचें। ग्रिल्ड या बेक्ड मीट सेहतमंद विकल्प हो सकता है। ज्यादातर घरों में मीट का स्वाद बढ़ाने के लिए इसे बहुत तेल औ घी में तल कर बनाया जाता है जो कि सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अगर आप रेड मीट को ग्रिल्ड या बेक्ड करके पकाते हैं तो मीट में मौजूद फैट से ही यह पक जाता है और अलग से ज्यादा तेल और घी की जरूरत नहीं पड़ती है। प्रोसेस्ड और तले हुए मीट जैसे सॉसेज, बेकन और हैम को खाने से बचें। ऐसा इसलिए, क्योंकि इनमें नाइट्रेट्स और प्रिजर्वेटिव्स होते हैं।
न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, रेड मीट का सेवन पूरी तरह से बंद करने की जरूरत नहीं है, लेकिन इसका संतुलित और संयमित सेवन जरूरी है। रेड मीट के साथ फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट युक्त चीजों को शामिल करने से आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखा जा सकता है।
निष्कर्ष
रेड मीट डाइट का एक जरूरी हिस्सा हो सकता है, लेकिन इसका अत्यधिक या अनियंत्रित सेवन हमारी आंतों और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। इसे संतुलित मात्रा में खाएं और हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल अपनाएं। इससे आप न केवल रेड मीट का लाभ उठा सकते हैं, बल्कि अपनी आंतों को स्वस्थ भी रख सकते हैं।
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