Colon Cancer in Men Vs. Women: पेट की बड़ी आंत को कोलन या कोलोरेक्टल कहा जाता है। दरअसल, बड़ी आंत भोजन के सभी जरूरी पोषक तत्वों को अवशोषित करती है। जब बड़ी आंत या कोलन की अंदरूनी परतों पर कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं, तो कोलन कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। इसमें खास बात यह है कि कोलन कैंसर के लक्षण बहुत जल्दी नजर नहीं आते और स्क्रीनिंग से ही इसका पता लगाया जा सकता है। वैसे तो कोलन कैंसर का खतरा महिलाओं और पुरुषों दोनों को रहता है, लेकिन आंकड़ों के अनुसार पुरुषों में इसके मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। डब्लूएचओ (WHO) और ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (Global Cancer Observatory) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पुरुषों में कोलोरेक्टल कैंसर के 43,360 मामले पाए गए थे, वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 26,678 है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि पुरुषों में कोलन कैंसर के मामले ज्यादा पाएं जाते हैं। इसके पीछे क्या कारण है और कैसे पुरुष कोलन कैंसर से बचाव कर सकते हैं, इस बारे में हमने दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के ऑनकोलॉजी और हेमेटो-ऑनकोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अमित उपाध्याय से बात की।
कोलन कैंसर की पहली स्टेज पर क्या होता है? (colon cancer 1st stage)
वैसे तो कोलन कैंसर को बनने में कई बार सालों साल लग जाते हैं। अगर बीमारी के पहले स्टेज पर पता चल जाए, तो सर्जरी के द्वारा ही इसका इलाज किया जा सकता है। इस स्टेज पर कैंसर की कोशिकाएं कोलन की अंदरूनी परत में ही रहती है। ये लिम्फ नोड तक नहीं जातीं। इस स्थिति में सर्जन सिर्फ सर्जरी से उस भाग से ट्यूमर को निकाल देते हैं और रोगी की जिंदगी बच जाती है। इस स्टेज पर तभी पत चल सकता है, अगर समय रहते लोग स्क्रीनिंग करवाते रहें।
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पुरुषों में कोलन कैंसर ज्यादा होने के कारण (why is colon cancer more common in males)
हार्मोन
इस बारे में डॉ. अमित उपाध्याय कहते हैं कि महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोंन होता है, जो उन्हें कोलन कैंसर से बचाता है। इसलिए महिलाओं में कोलन कैंसर होने का आंकड़ा काफी कम देखने को मिलता है। इसके साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन कम हो जाता है। इसलिए मेनोपॉज के बाद महिलाओं को अगर पेट से जुड़ा कोई लक्षण नजर आए, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
लाइफस्टाइल
भारत में काफी तादाद में पुरुष तंबाकू खाते हैं और शराब का सेवन करते हैं। इससे कोलन कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, अगर डाइट में जंक फूड, रेड मीट बहुत ज्यादा लिया जाता है और गट हेल्थ स्वस्थ नहीं होती, तो भी ये कोलन कैंसर होने का कारण बन सकता है। पुरुषों का फिजिकल एक्टिविटी न करना और पेट पर फैट ज्यादा होना कोलन कैंसर का रिस्क फैक्टर है।
जेनिटक फैक्टर
इस बारे में डॉ. अमित कहते हैं, “अगर किसी के परिवार में पिता या बड़े भाई को कोलन कैंसर हुआ हो, तो उस परिवार के पुरुषों को समय-समय पर स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए। परिवार में कैंसर का इतिहास होना कोलन कैंसर का मुख्य रिस्क फैक्टर हो सकता है। पारिवारिक इतिहास के साथ अगर पुरुष का वजन बढ़ा हुआ हो, या पेट पर चर्बी जमा हो, तो कोलन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।”
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कोलन कैंसर का इलाज
कोलन कैंसर के इलाज के बारे में बताते हुए डॉ. अमित कहते हैं, “इसका इलाज मरीज की स्थिति देखकर किया जाता है। अगर कैंसर आंतों से बाहर नहीं जा रहा, तो सर्जरी काफी रहती है। लेकिन अगर मरीज स्टेज 4 में है, तो इस केस में कैंसर आंतों से बाहर लिम्फ नोड में फैल जाता है, या फिर दूसरे अंगों में चला जाता है। ऐसे में सर्जरी के साथ कीमोथेरेपी भी की जाती है। वैसे, आजकल इम्यूनोथेरेपी या टार्गेट थेरेपी का भी इस्तेमाल किया जाता है। अगर कैंसर सेल्स में म्यूटेशन है, तो उस मामले में इन थेरेपी का इस्तेमाल करके टार्गेट किया जाता है।”
कोलन कैंसर से कैसे करें बचाव (colon cancer prevention)
फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं: रोजाना कसरत या फिर योग करें। अगर कसरत नहीं कर पाते, तो वॉक जरूर करें।
खान-पान का ध्यान: डाइट में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं। संतुलित और पौष्टिक भोजन के जरिए पेट के बैक्टीरिया की सेहत अच्छी रखें।
वजन नियंत्रित रखें: पुरुष और महिलाएं, दोनों ही सेहतमंद वजन रखें। खासतौर से पेट पर जमा होने वाली चर्बी से बचें। रेड मीट बहुत ज्यादा मात्रा में खाने से बचें।
स्क्रीनिंग: वैसे तो 45 से 50 साल की उम्र के बाद 4 से 5 साल में कोलोनस्कोपी कराते रहना चाहिए। अगर किसी के मल में ब्लीडिंग हो रही हो, या फिर बहुत समय तक डायरिया या कब्ज ठीक न हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
कोलन कैंसर से बचाव का सबसे बेहतरीन उपाय जीवनशैली को सेहतमंद रखना है। अगर पेट से जुड़ा कोई भी लक्षण नजर आता है, तो उसे बिना टाले तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
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