डिमेंशिया और दिमाग के कमजोर होने से जुड़ी अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियां अक्सर उम्र बढ़ने के साथ देखने को मिलती हैं। इससे बचने के लिए लोग अक्सर यह जानने की कोशिश करते हैं कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, क्योंकि बचाव के उपाय, इलाज से बेहतर होते हैं। ये बीमारियां सोचने, याद रखने और निर्णय लेने जैसी दिमाग की क्षमताओं को प्रभावित करती हैं, जिससे धीरे-धीरे व्यक्ति के लिए रोजमर्रा के काम करना मुश्किल हो जाता है। कई बार डिमेंशिया के मरीज अपने करीबी लोगों को भी पहचान नहीं पाते। ऐसे में कई लोग डाइट में बदलाव करने की कोशिश करते हैं ताकि दिमाग की समस्याओं के खतरे को कम किया जा सके और दिमाग को स्वस्थ रखा जा सके। हाल ही में एक स्टडी ने यह बताया कि रेड मीट खाने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है। इस लेख में जानेंगे स्टडी से जुड़ी जानकारी। साथ ही आपको बताएंगे कुछ सुरक्षित विकल्प। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने दिल्ली के होली फैमिली हॉस्पिटल की डाइटिशियन सना गिल से बात की।
रेड मीट खाने से हो सकता है डिमेंशिया: Study
द नर्स हेल्थ स्टडी की ओर से प्रकाशित एक स्टडी में यह बताया गया कि रेड मीट, विशेष रूप से प्रोसेस्ड रेड मीट, डिमेंशिया के खतरे को बढ़ाता है। रेड मीट दिमाग के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। इस स्टडी में 1,33,771 प्रतिभागियों को शामिल किया गया और यह पाया कि रेड मीट का सेवन करने वालों में डिमेंशिया का खतरा ज्यादा था। जो लोग रोजाना कम मात्रा में भी प्रोसेस्ड रेड मीट का सेवन करते थे, उनमें भी डिमेंशिया विकसित होने का खतरा 13 प्रतिशत ज्यादा था। रेड मीट खाने वालों में दिमाग के बूढ़े होने की उम्र 1.6 साल तेजी से बढ़ती देखी गई। इन प्रतिभागियों की दिमाग से निर्णय लेने की क्षमता उन लोगों की तुलना में कम थी जिन्होंने रेड मीट का सेवन नहीं किया।
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रेड मीट खाने के नुकसान- Side Effects of Eating Red Meat
रेड मीट (जैसे बीफ, पोर्क, और लैम्ब) का सेवन दुनियाभर में कई लोग पसंद करते हैं, लेकिन इसका ज्यादा मात्रा में या नियमित सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। कई रिसर्च में इसे गंभीर बीमारियों से जोड़ा गया है। शरीर के लिए रेड मीट के कई नुकसान हैं-
1. हृदय रोग का खतरा बढ़ाता है
रेड मीट में सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो खून में कोलेस्ट्रॉल स्तर को बढ़ाकर हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकता है।
2. डायबिटीज का खतरा
रेड मीट, खासकर प्रोसेस्ड मीट (जैसे सॉसेज, बेकन) के नियमित सेवन से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। यह इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ावा देता है।
3. कैंसर का खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रोसेस्ड रेड मीट को कैंसर पैदा करने वाला पदार्थ घोषित किया है। ज्यादा मात्रा में रेड मीट खाने से कोलोरेक्टल कैंसर (बड़ी आंत का कैंसर) का खतरा बढ़ सकता है।
4. पाचन समस्याएं
रेड मीट को पचाने में ज्यादा समय लगता है। इसका ज्यादा सेवन कब्ज, अपच और अन्य पाचन समस्याओं का कारण बन सकता है।
5. डिमेंशिया और दिमाग के स्वास्थ्य पर प्रभाव
रेड मीट के सेवन से दिमाग की उम्र बढ़ने और डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, रेड मीट खाने वालों में दिमाग की क्षमताओं में गिरावट तेजी से देखी गई।
6. गठिया और सूजन
रेड मीट में प्यूरिन की मात्रा ज्यादा होती है, जो यूरिक एसिड बढ़ाकर गठिया का कारण बन सकता है। इसके अलावा, यह शरीर में सूजन को भी बढ़ा सकता है।
7. किडनी पर प्रभाव
रेड मीट का ज्यादा सेवन किडनी पर दबाव डालता है। इसमें मौजूद प्रोटीन की ज्यादा मात्रा किडनी फंक्शन को प्रभावित कर सकती है, खासकर उन लोगों में जिनकी किडनी पहले से कमजोर है।
8. वजन बढ़ने का खतरा
रेड मीट में कैलोरी और फैट ज्यादा होता है, जिसका नियमित सेवन वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है।
9. लाइफस्पैन पर असर
अध्ययनों में यह पाया गया है कि रेड मीट का ज्यादा सेवन जीवनकाल को कम कर सकता है। जो लोग ज्यादा रेड मीट खाते हैं, उनमें अन्य बीमारियों से मौत का खतरा बढ़ जाता है।
रेड मीट के हेल्दी विकल्प
दिमाग के सोचने की क्षमता में गिरावट का सीधा संबंध आहार से है। रेड मीट, दिमागी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। शोधकर्ताओं ने इसे बेहतर प्रोटीन विकल्पों, जैसे नट्स, दालें और मछली से बदलने की सलाह दी है। यह डिमेंशिया के खतरे को लगभग 20 प्रतिशत तक कम कर सकता है। इसलिए, अगर आप अपने दिमाग को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो रेड मीट के बजाय इन हेल्दी विकल्पों को अपनाएं।
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Study Source: The Nurses Health Study
Study Link: https://www.neurology.org/doi/10.1212/WNL.0000000000210286