Health Side Effects of Eating Meat in Summer : भारत जैसे देश जहां पर साल के 7 महीने से ज्यादा गर्मी पड़ती है, वहां गर्मियों के मौसम में खानपान विशेष महत्व रखता है। हमारे यहां जैसे ही तापमान 40 डिग्री सेल्सियस का पारा छूता है, तो शरीर की पाचन क्षमता, ऊर्जा का स्तर और पानी की मांग भी बदल जाती है। ऐसे में अगर भोजन संतुलित न हो, तो यह शरीर को नुकसान (Summer Diet) पहुंचा सकता है।
विशेषकर गर्मियों के मौसम में मीट यानी की नॉनवेज फूड खाया जाए, तो ये कई बीमारियों का कारण बन सकता है। अगर आप भी गर्मियों में ज्यादा मीट खाते हैं तो इससे आपको क्या नुकसान (Health Side Effects of Meat) हो सकते हैं, ये इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं।
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गर्मी में ज्यादा मीट खाने के नुकसान- Health Side Effect of Meat in Summer
1. पेट से जुड़ी बीमारियां
Journal of Clinical Gastroenterology की रिसर्च बताती है कि गर्मी में शरीर को अंदर से ठंडा रखने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा खर्च करती है। इससे मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। गर्मियों में हाई-प्रोटीन डाइट जैसे मीट और अंडे को पचाने के लिए शरीर को ज्यादा समय भी लगता है। इससे पाचन से जुड़ी परेशानियां हो सकती है। गर्मियों में ज्यादा मीट खाने से पेट फूलना, कब्ज, पेट में दर्द, अपच और गैस की समस्या हो सकती है।
2. पित्त का असंतुलन
दिल्ली की भाग्य आयुर्वेदा की न्यूट्रिशनिस्ट और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट विभा सुदर्शन का कहना है कि गर्मियों में पित्त का दोष बढ़ जाता है। मीट (चिकन, मछली और अंडे) को आयुर्वेद में पित्तवर्धक भोजन माना गया है। गर्मियों में अधिक मात्रा में मीट खाने से पित्त का असंतुलन हो सकता है। पित्त असंतुलन के कारण पाचन संबंधी परेशानियां, त्वचा के रोग, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।
3. डिहाइड्रेशन का खतरा
मीट को पचाने के लिए शरीर को अतिरिक्त पानी की जरूरत होती है। गर्मी में अगर ज्यादा मीट खाया जाए और पानी कम पिया जाए, तो ये डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ाते हैं। डिहाइड्रेशन के कारण लगातार सिर में दर्द होना, चक्कर आना, शारीरिक थकान और पेशाब का रंग गाढ़ा पीला होने की परेशानी देखी जाती है।
4. शरीर में गर्मी बढ़ना
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट विभा सुदर्शन के अनुसार, मीट विशेषकर रेड मीट (मटन, बीफ) थर्मोजेनिक फूड होता है, यानी इसे पचाने में शरीर के तापमान में तेजी आती है। गर्मी के मौसम में पहले से ही शरीर का तापमान अधिक होता है। ऐसे में मीट खाने से शरीर में अतिरिक्त गर्मी बढ़ती है। जिससे सीने में जलन, पेट में दर्द, जी मिचलाना, दस्त और उल्टी की समस्या देखी जाती है। गंभीर मामलों में गर्मी में मीट खाने से चेहरे और शरीर पर चकत्ते और दाने की समस्या भी होती है।
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5. फूड पॉइजनिंग का खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक स्तर पर गर्मियों में अस्वच्छ मीट और संक्रमण युक्त मीट का सेवन करने की वजह से फूड बोर्न डिजीज के मामले 30 फीसदी तक बढ़ जाते हैं। दरअसल, गर्मियों में तापमान अधिक होने के कारण मीट जल्दी खराब हो जाता है। गर्मी में मीट को सही तरीके से पकाया और स्टोर न किया जाए, तो उसमें बैक्टीरिया पनप जाते है। इस प्रकार के मीट को खाने से फूड पॉइजनिंग का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है।
6. गर्मी में नींद की कमी
मीट को पचाने के लिए शरीर को मेहनत करनी पड़ती है। गर्मियों में अगर रात को मीट खाया जाए, तो ये पाचन क्रिया को प्रभावित करता है। रात को मीट खाने से बेचैनी, देर से नींद आना और नींद में बार-बार जागने की परेशानी होती है। गर्मी में मीट खाने से खट्टी डकार और सीने में जलन की समस्या भी देखी जाती है।
7. मानसिक स्वास्थ्य पर असर
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मियों में पाचन तंत्र धीमा हो जाता है। पाचन तंत्रिका और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा असर होता है। जब पेट भारी होता है और गैस, एसिडिटी होती है, तो यह मानसिक बेचैनी, मूड स्विंग्स, बिना किसी कारण गुस्सा और चिड़चिड़ेपन की समस्या देखी जाती है।
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गर्मी में मीट कैसे खाएं- How to eat meat in summer
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मी में मीट का सेवन सप्ताह में 1 या 2 बार ही करना चाहिए।
चिकन और मछली, रेड मीट की तुलना में हल्के और जल्दी पचने वाले होते हैं। इसलिए गर्मी में इन्हें तवज्जों दें।
मीट को पचाने के लिए शरीर को अतिरिक्त पानी की जरूरत होती है। ऐसे में मीट खाने के बाद पानी पिएं।
मीट के साथ खाने में हरी सब्जियां, सलाद और नींबू भी खाएं। हरी सब्जियों में फाइबर होता है, जो पाचन की परेशानी को दूर करता है।
तले हुए मांस की जगह उबला या ग्रिल किया हुआ मीट खाने को प्राथमिकता दें।
निष्कर्ष
गर्मियों में शरीर को ठंडक, हाइड्रेशन और हल्के भोजन की आवश्यकता होती है। ऐसे समय में अधिक मात्रा में मीट का सेवन शरीर से सेहत को कई प्रकार के नुकसान होते हैं। अगर आपको पहले से ही पाचन से जुड़ी बीमारियां हैं, तो मीट सीमित मात्रा में ही खाएं।
FAQ
आप किस बीमारी में मांस नहीं खा सकते हैं?
गठिया (Gout), हाई कोलेस्ट्रॉल, यूरिक एसिड बढ़ने, पाचन तंत्र की समस्या, लिवर और किडनी से जुड़ी बीमारियों में किसी भी प्रकार के मांस का सेवन करने की मनाही होती है। मीट को पचाने के लिए शरीर को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है, जिससे ये शरीर में सूजन, विषैले तत्व और गर्मी बढ़ा सकता है। इन बीमारियों से जूझने वाली व्यक्ति अगर मांस का सेवन करते हैं, तो ये उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।मांस कब नहीं खाना चाहिए?
मांस में हाई प्रोटीन, हेल्दी फैट और कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। लेकिन कुछ परिस्थियों में मांस का सेवन करने की मनाही होती है। अगर आपको तेज बुखार, खराब पाचन, डायरिया, कब्ज, लिवर या किडनी से जुड़ी किसी प्रकार की कोई समस्या है, तो मीट का सेवन करने से बचना चाहिए।कौन सा मांस स्वास्थ्य के लिए अच्छा है?
रेड मीट को स्वास्थ्य के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं माना जाता है। क्योंकि रेड मीट को पचाने के लिए शरीर को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। रेड मीट की बजाय चिकन, मछली को स्वास्थ्य के लिए बेहतर विकल्प माना जाता है। अगर आपको बेहतर स्वास्थ्य के मीट खाना है, तो रेड मीट की बजाय चिकन और मछली खाएं।