Diseases That Can Make Heart Weak in Hindi: हृदय यानी हार्ट हमारे शरीर का सबसे जरूरी अंगों में से एक होता है। स्वस्थ रहने के लिए हार्ट का हमेशा हेल्दी रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन आजकल की खराब लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से हार्ट कमजोर होता जा रहा है। जैसे-जैसे हृदय कमजोर होता है, तो सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, बेहोशी, थकान, वजन बढ़ना और शरीर में सूजन जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं। जब हार्ट कमजोर होता है, तो व्यक्ति में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो सिर्फ खराब आदतें ही नहीं, बल्कि हृदय से जुड़ी कुछ बीमारियां भी कमजोर हृदय का कारण बन सकती हैं। ऐसे में हार्ट को हेल्दी रखने के लिए आपको इन बीमारियों से बचना बहुत जरूरी होता है। आज विश्व हृदय दिवस (World Heart Day 2022) के मौके पर हम आपको इन्हीं 5 बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हार्ट को कमजोर बना सकती हैं।
हार्ट को कमजोर बनाने वाली बीमारियां- Diseases That Can Impact Heart Health in Hindi
1. हाई ब्लड प्रेशर
हाई ब्लड प्रेशर आजकल की एक सामान्य समस्या बन गई है। हर उम्र के लोग इस बीमारी का सामना कर रहे हैं। इसे हाइपरटेंशन बीमारी के रूप में भी जाना जाता है। इसमें ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिसकी वजह से धीरे-धीरे हृदय कमजोर होने लगता है। दरअसल, हाई ब्लड प्रेशर में हृदय को रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में जब हृदय प्रेशर के साथ रक्त को पंप करता है, तो मांसपेशियां प्रभावित होने लगती हैं। इस स्थिति में हृदय कमजोर हो सकता है और हार्ट अटैक, हार्ट बीट रुकना जैसा जोखिम बढ़ सकता है।
हृदय को मजबूत और हेल्दी बनाए रखने के लिए ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी होता है। इसलिए अपने ब्लड प्रेशर की जांच करते रहें। अगर 120/80 से अधिक ब्लड प्रेशर रहता है, तो इस स्थिति में डॉक्टर से मिलें। हाई ब्लड प्रेशर में हार्ट कमजोर बन सकता है। इससे हृदय पूरे शरीर में रक्त को सही से पंप नहीं कर पाता है और इससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं।
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2. डायबिटीज या हाई ब्लड शुगर
हाई ब्लड प्रेशर की तरह ही डायबिटीज की समस्या भी लोगों में बढ़ती जा रही है। डायबिटीज में ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। जब ब्लड शुगर लेवल काफी समय तक कंट्रोल में नहीं रहता है, तो इसका असर हृदय पर पड़ने लगता है।
इंसुलिन अग्न्याशय में बना एक हार्मोन होता है। यह इंसुलिन आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन को ग्लूकोज में बदलने का काम करता है। शरीर को ऊर्जा के लिए ग्लूकोज की जरूरत होती है। आपको बता दें कि डायबिटीज तक होता है, जब शरीर में इंसुलिन का पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है। इसकी वजह से ब्लड में शुगर का अधिक उत्पादन होने लगता है। डायबिटीज वाले लोगों में जब ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहता है, तो हृदय कमजोर हो सकती है और हृदय रोग विकसित हो सकते हैं। ऐसे में आप हार्ट को हेल्दी रखने के लिए अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने की कोशिश करें।
3. बैड कोलेस्ट्रॉल का अधिक स्तर
कोलेस्ट्रॉल एक फैट जैसा पदार्थ होता है, जिसका उत्पादन लिवर द्वारा किया जाता है। इसके अलावा कुछ खाद्य पदार्थों से भी कोलेस्ट्रॉल प्राप्त किया जा सकता है। दरअसल, लिवर शरीर की जरूरतों के अनुसार कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करता है। लेकिन जब कोई आप हाई कोलेस्ट्रॉल फूड्स का सेवन करते हैं, तो शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक हो जाता है। बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हृदय और धमनियों की दीवारों में जमा हो जाता है। इस स्थिति में धमनियां सिकुड़ जाती हैं। ऐसे में हृदय, मस्तिष्क और शरीर में अन्य हिस्सों में रक्त के प्रवाह में कमी आ जाती है। रक्त प्रवाह में कमी आने पर हृदय कमजोर होने लगता है और कई तरह के हृदय रोग जन्म लेने लगते हैं। इसलिए शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकें और गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम न होने दें।
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4. कोरोनरी आर्टरी डिजीज
कोरोनरी आर्टरी डिजीज भी हृदय को कमजोर बना सकता है। प्लाक (वसीय या मोम जैसा पदार्थ) एथेरोस्कलेरोसिस नामक प्रक्रिया में कोरोनरी धमनियों में जमा हो सकता है। यह जमा हुआ पदार्थ धमनियों को संकरा बना सकता है या फिर धमनियों में जम सकता है। इससे हृदय में ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। इस स्थिति को ही कोरोनरी धमनी की बीमारी कहा जाता है। यह पुरुषों और महिलाओं में दोनों में देखने को मिलता है। यह स्थिति गंभीर हो सकती है और हृदय कमजोर हो सकता है।
Why Heart Becomes Weak in Hindi: कुछ खराब आदतों के साथ ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्रॉल का अधिक स्तर और कोरोनरी आर्टरी रोग भी हृदय के कमजोर होने का कारण बन सकते हैं। इसलिए अगर आपको हृदय के कमजोर होने का कोई भी संकेत मिलता है, तो इन स्थितियों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें। क्योंकि ये बीमारियां हृदय को कमजोर बनाकर हार्ट अटैक, स्ट्रोक और पैनिक अटैक के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।