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कई तरह के होते हैं IUDs, जानें आपके लिए कौन-सा है सही विकल्प

आईयूडी दो तरह के होते हैं। दोनों ही प्रेग्नेंसी से बचाव के लिए कारगर हैं। लेकिन, कौन-सा किस महिला के लिए सूटेबल होगा, यह जानना आवश्यक होता है। जानने के लिए यह लेख पढ़ें-
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कई तरह के होते हैं IUDs, जानें आपके लिए कौन-सा है सही विकल्प


Different types of IUDs In Hindi: इंट्रायूटरिन डिवाइस, जिसे हम अंतर्गर्भाशयी उपकरण के नामे से भी जानते हैं। यह एक ऐसा डिवाइस है, जो अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने का काम करता है। विशेषज्ञों की मानें, तो यह कई अन्य बर्थ कंट्रोल विकल्पों की तुलना में बेहतर होता है। ऐसा इसलिए माना जाता है, क्योंकि यह लंबे समय तक अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने में सक्षम है और इसे याद रखने की दिक्कत भी नहीं होती है। यह एक छोटा-सा अंग्रेजी का टी के आकार का डिवाइस होता है, जिसे महिला के गर्भाशय में इंसर्ट कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया विशेषज्ञ द्वारा की जाती है। वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता के अनुसार दो तरह के आईयूडी होते हैं, कॉपर और हार्मोनल आईयूडी। यहां हम आपको बताएंगे कि आखिर इनमें से बेहतर कौन-सा है? और आपके लिए कौन-सा ज्यादा सही है।

आईयूडी के प्रकार- Different types of IUDs In Hindi

जैसा कि हमने पहले ही जिक्र किया है कि आईयूडी दो प्रकार के होते हैं, कॉपर आईयूडी और हार्मोनल आईयूडी। जानें इनके बारे में-

कॉपर आईयूडी

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कॉपर आईयूडी अंग्रेजी के टी अक्षर के शेप का होता है। यह प्लास्टिक और कॉपर से बना डिवाइस होता है। जब इसे गर्भाशय में इंसर्ट किया जाता है, तो यह लगातार गर्भाशय के अंदर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कॉपर रिलीज करता है। विशेषज्ञों की मानें, तो यह अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए एक अच्छ विकल्प है। अच्छी बात यह है कि करीब 10 सालों तक यह अनचाही प्रेग्नेंसी से बचाव कर सकती है। कॉपर आईयूडी एक उस लिक्विड के प्रोडक्शन को बढ़ाता है, जो स्पर्म की मूवमेंट को सीमित करता है। इस तरह, यह महिला को कंसीव करने से रोकता है।

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हार्मोनल आईयूडी

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हार्मोनल आईयूडी भी अंग्रेजी के टी अक्षर के शेप का एक छोटा डिवाइस होता है। लेकिन, यह गर्भाशय में प्रोजेस्टेरोन को धीरे-धीरे रिलीज रकता है। प्रोजेस्टेरोन एक ऐसा हार्मोन है, जो ओवरी द्वारा रिलीज होता है। यह करीब 3-6 साल तक कारगर तरीके से काम करता है। असल में, हार्मोन आईयूडी सर्विकल म्यूकस को गाढ़ा करता है और यूटराइन लाइनिंग को थिन करता है। इससे महिला अनचाही प्रेग्नेंसी से बच जाती है। हालांकि, ध्यान रखें कि हार्मोनल आईयूडी करवाने के कुछ साइड इफेक्ट होते हैं, जैसे सिरदर्द, एक्ने, वजन बढ़ना, ब्रेस्ट टेंडरनेस और लगाने के बाद शुरुआती 6 माह तक पीरियड्स का अनियमित होना। यही नहीं, हार्मोनल आईयूडी की वजह से मूड स्विंग होते हैं और पेल्विक एरिया में दर्द का अहसास भी हो सकता है।

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कौन-सा आईयूडी है सही?- Which IUDs Is Better For You In Hindi

विशेषज्ञों के अनुसार, दोनों आईयूडी अपनी-अपनी जगह सही और उपयुक्त तरीके से काम करते हैं। दोनों ही 99 फीसदी तक अनचाही प्रेग्नेंसी से बचाव करने में मददगार साबित होते हैं। इन्हें करीब 8 से 10 सालों तक लगाकर छोड़ा जा सकता है। वहीं, दोनों के अपने-अपने साइड इफेक्ट्स भी हैं। जैसे हार्मोनल आईयूडी के कारण महिला को एमेनोरिया हो सकता है। इसका मतलब है कि महिला में अचानक पीरियड्स का पूरी तरह बंद हो जाना। जबकि, कॉपर आईयूडी के कारण महिला के पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं और पीरियड्स के दौरान क्रैंपिंग की दिक्कत भी सकती। वहीं, अगर हम इसके इफेक्टिवनेस की बात करें, तो यह भी कम नहीं है। किसी भी तरह के आईयूडी के लेने के कारण आपको कंट्रासेप्टिव पिल नहीं पड़ता है और न ही उसके नुकसान झेलने पड़ते हैं। इसका आपके रिप्रोडक्टिव ऑर्गन पर भी नकारात्मक असर नहीं पड़ता है। वहीं, जैसे ही आप आईयूडी को गर्भाशय से बाहर निकाल लेते हैं, वैसे ही कंसीव करने की संभावना दर सामान्य हो जाती है। कुल मिलाकर कहने की बात ये है कि आप अपनी जरूरत के अनुसार इनमें से किसी भी आईयूडी को चुन सकती हैं। 

कब आईयूडी का इस्तेमाल न करें- When To Avoid IUDs In Hindi

यूं तो आईयूडी का उपयोग हर महिला कर सकती है। इसके बावजूद, इसका उपयोग करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है, जैसे-

  • अगर गर्भाशय की शेप टेढ़ी है, तो इसका उपयोग न करें।
  • पेल्विक इंफेक्शन है, तो आईयूडी न लगाएं।
  • ब्रेस्ट कैंसर या लिवर डिजीज है, तो हार्मोनल आईयूडी लगाने से बचें।
  • अगर आपको हैवी ब्लीडिंग, आयरन की कमी है, तो भी आईयूडी अच्छा विकल्प नहीं माना जाता है।

All Image Credit: Freepik

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