ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस में क्या है अंतर? जानें डॉक्टर से

इस समय लोग कोरोना के साथ ही ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस से भी परेशान हैं। चलिए जानते हैं क्या है इन तीनों फंगस में अंतर
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ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस में क्या है अंतर? जानें डॉक्टर से


देश एक ओर जहां कोरोना के कम होते मामलों को लेकर खुश हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अलग-अलग तरह के फंगस से परेशान हैं। इस समय देश कोरोना के साथ ही ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस (Black, White and Yellow Fungus) से भी जूझ रहा है। ब्लैक फंगस के बारे में आपने काफी कुछ सुना होगा, लेकिन व्हाइट और येलो फंगस ने भी कुछ समय पहले दस्तक देश में दे दी है। कुछ जगहों पर इनके मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में आपको इन तीनों (ब्लैक, व्हाइट और येलो) फंगस के बारे में जरूर पता होना चाहिए। चलिए फ्लोरेस हॉस्पिटल, गाजियाबाद के सीनियर फिजिशियन डॉ. एम.के. सिंह से जानते हैं क्या है इस तीनों फंगस में अंतर-

ब्लैक फंगस (Black Fungus)

देश में म्यूकोरमाइकोसिस (Mucomycosis) यानी ब्लैक फंगस के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही हैं। अब तक लगभग 9 हजार से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और सैकड़ों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। कई राज्यों ने ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसे महामारी घोषित कर दिया है। ब्लैक फंगस नाक के माध्यम से पूरे शरीर तक पहुंच सकता है। यह शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर सकता है। 

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जिन अंगों पर ब्लैक फगंस अटैक करता है, वहां ब्लड सर्कुलेशन नहीं हो पाता है जिससे वह स्थान काला पड़ जाता है। ब्लैक फंगस ज्यादातर आंख और चेहरे को प्रभावित करता है। इतना ही नहीं कुछ मामलों में तो रोगी की आंखों की रोशनी तक चली जाती है।

ब्लैक फंगस के लक्षण (Symptoms of Black Fungus)

  • - चेहरे के एक तरफ सूजन या दर्द होना
  • - सीने में दर्द होना
  • - नाक पर काले धब्बे
  • - धुंधला दिखाई देना
  • - सांस फूलना
  • - मुंह के ऊपरी हिस्से पर काले घाव
  • - दांत ढीले होना
  • - त्वचा का काला पड़ जाना

ब्लैक फंगस का जोखिम (Risk of Black Fungus)

ज्यादातर कोरोना मरीज ब्लैक फंगस से संक्रमित हो रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ब्लैक फंगस सिर्फ कोरोना मरीजों को ही हो रहा है। यह डायबिटीज, कैंसर और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। कोरोना वायरस के इलाज के दौरान अधिक स्टेरॉयड के सेवन से भी यह समस्या हो सकती है। इसके अलावा जिन लोगों की एंटी-कैंसर ड्रग्स दवाएं चल रही हैं, वे भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। लंबे समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीज भी ब्लैक फंगस का शिकार हो सकते हैं। 

व्हाइट फंगस (White Fungus)

ब्लैक फंगस के बाद देश में व्हाइट फंगस ने दस्तक दी थी। व्हाइट फंगस शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। सफेद फंगस नसों को ब्लॉक करता है और इससे संबंधित हिस्से के रंग में बदलाव कर देता है। इतना ही नहीं कुछ मामलों में व्हाइट फंगस का संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच सकता है। लेकिन इसे डिटेक्ट करने में थोड़ा समय ज्यादा लग जाता है। 

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व्हाइट फंगस के लक्षण (Symptoms of White Fungus)

  • - हल्का बुखार
  • - दस्त
  • - फेफड़ों पर काले धब्बे
  • - सांस लेने में तकलीफ
  • - सांस फूलना
  • - खांसी होना
  • - निमोनिया के लक्षण नजर आना

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व्हाइट फंगस का जोखिम (Risk of White Fungus)

व्हाइट फंगस भी ब्लैक फंगस की तरह ही डायबिटीज और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है। लेकिन यह ब्लैक फंगस की तुलना में कम घातक होता है। क्योंकि ब्लैक फंगस तेजी से शरीर के अंगों को प्रभावित करता है, जबकि व्हाइट फंगस फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन उसकी रफ्तार थोड़ी धीमी होती है। 

येलो फंगस (Yellow Fungus)

ब्लैक और व्हाइट के बाद अब येलो फंगस ने भी लोगों की मुसीबते बढ़ा दी हैं। येलो फंगस पहले आंतरिक रूप से प्रभावित करता है, इसके बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। येलो फंगस ज्यादातर साफ-सफाई न रखने, दूषित भोजन खाने से हो सकता है। जिन घरों में वेंटिलेशन की सुविधा नहीं होती है, वहां येलो फंगस होने का खतरा ज्यादा रहता है। इतना ही नहीं यह ब्लैक फंगस की तरह ही अधिक स्टेरॉयड के सेवन से भी हो सकता है। 

येलो फंगस के लक्षण (Symptoms of Yellow Fungus)

  • - मवाद रिसाव
  • - किसी अंग काम न करना
  • - सुस्ती महसूस होना
  • - भूख न लगना और थकावट होना
  • - आंखें लाल और धंसी होना

येलो फंगस का जोखिम (Risk of Yellow Fungus)

येलो फंगस ब्लैक और व्हाइट फंगस से ज्यादा घातक बीमारी हो सकता है। क्योंकि यह रोगी को आंतरिक रूप से प्रभावित करता है, जिससे इसके लक्षण देर से नजर आते हैं। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को इसका खतरा अधिक होता है। इससे बचने के लिए आपको साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। 

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