जिन्हें कोरोना नहीं हुआ, क्या उन्हें भी हो सकता है ब्लैक फंगस? डॉक्टर से जानें

क्या ब्लैक फंगस बिना कोरोना के लक्षण वाले लोगों को भी हो सकता है? अगर आपके मन में भी यह सवाल है तो चलिए जानते हैं इसके बारे में
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जिन्हें कोरोना नहीं हुआ, क्या उन्हें भी हो सकता है ब्लैक फंगस? डॉक्टर से जानें

देश में कोरोना की दूसरी लहर से (Second Wave of Covid in India) भले ही राहत मिलती नजर आ रही है। लेकिन ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों (Black Fungus Cases) ने देश में चिंता बढ़ा दी हैं। स्थिति यह है कि कई राज्य ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुके हैं। पहले कहा जा रहा था कि ब्लैक फंगस सिर्फ कोरोना मरीजों या कोरोना से ठीक हुए लोगों में ही देखने को मिलता है। लेकिन ऐसा नहीं है, डॉक्टरों का कहना है कि पहले भी ब्लैक फंगस के मामले सामने आते थे, लेकिन वे बहुत मामूली होते थे। इतना ही नहीं ब्लैक फंगस के मौजूदा आंकड़ों की बात करें तो इनमें से 15 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को कभी कोरोना हुआ ही नहीं है।

black fungus

कोरोना काल में ब्लैक फंगस के मरीजों में तेजी से बढ़ोतरी हुई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन का कहना है कि ब्लैक फंगस के कुल रोगियों में से 15 फीसदी से ज्यादा रोगियों को कभी कोरोना नहीं हुआ है। ऐसे में भी वे ब्लैक फंगस से संक्रमित हो गए हैं। अब तक 18 राज्यों में ब्लैक फंगस के 5 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 800 से ज्यादा ऐसे ब्लैक फंगस से मरीज हैं, जिन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ है। इन आंकड़ों से पता चल सकता है कि ब्लैक फंगस सिर्फ कोरोना मरीजों को ही नहीं होता है, बल्कि यह किसी को भी हो सकता है। ब्लैक फंगस की चपेट में आने वाले 55 फीसदी रोगी मधुमेह से ग्रस्त हैं। इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए आपको ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है।

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क्या कहते हैं डॉक्टर 

नानावती मैक्स सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट और ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर अमोल पाटिल (Senior Consultant, ENT Specialist, Nanavati Max Super Speciality Hospital) बताते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) यानी ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मामले बढ़ गए हैं। लेकिन कोरोना महामारी से पहले साल में 2-3 ब्लैक फंगस के रोगियों का भी हम इलाज करते थे। इतना ही नहीं जो इस समय ब्लैक फंगस से पीड़ित हैं, उनमें से कई लोग ऐसे में जिन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हुआ है। इसलिए ऐसा कहना गलत होगा कि ब्लैक सिर्फ कोरोना मरीजों को ही हो रहा है। अनियंत्रित मधुमेह (Diabetes), ऑटोइम्यून विकार (Autoimmune Disorder) वाले व्यक्तियों को ब्लैक फंगस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। इस समय स्टेरॉयड (Steroids) के अधिकतम उपयोग से ब्लैक फंगस के आंकड़े बढ़े हैं। 

black fungus

डॉक्टर अमोल पाटिल कहते हैं कि अगर ब्लैक फंगस का समय पर इलाज न किया जाए, तो इसका संक्रमण शरीर के दूसरे अंगों तक फैल जाता है, जो बेहद घातक साबित हो सकता है। अगर ब्लैक फंगस से व्यक्ति का मस्तिष्क या फेफड़े (Brain or Lungs) संक्रमित हो जाते हैं, तो ऐसे मामलों में मरीज की जान भी जा सकती है। इसलिए अगर आपको इसके शुरुआती लक्षण नजर आते हैं, तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। अन्यथा यह शरीर के दूसरे अंगों में फैलने लगता है और घातक साबित होता है।

  • - ब्लैक फंगस सिर्फ कोरोना मरीजों को नहीं होता है। यह दूसरे लोगों को भी हो सकता है।
  • - ब्लैक फंगस ज्यादातर कोरोना मरीजों, डायबिटीज रोगियों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को होता है।
  • - ब्लैक फंगस के मौजूदा आंकड़ों में भी कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ है।

यह जरूरी नहीं है कि सिर्फ कोरोना मरीजों में ही ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई दे। ब्लैक फंगस किसी को भी हो सकता है। यह ज्यादातर डायबिटीज रोगियों को अपनी चपेट में लेता है, इसलिए आपको समय-समय पर अपने शुगर लेवल की जांच करवानी चाहिए और इसे नियंत्रण में रखने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही आप अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने पर भी ध्यान दें, क्योंकि ब्लैक फंगस कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। 

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