देश में कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस का खतरा मंडरा रहा है। मरीज कोरोना से ठीक हो रहे हैं तो उन्हें ब्लैक फंगस का खतरा सता रहा है। ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस कुछ ही दिनों में इतनी तेजी से फैला कि तमिलनाड़ू, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्यों को इसे महामारी घोषित करना पड़ा। ब्लैक फंगस के बढ़ते प्रसार की वजह से आइसीएमआर ने इसके निदान के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए, लेकिन यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ब्लैक फंगस के शुरूआती लक्षणों को पहचान लिया जाए तो इसका इलाज संभव है।
ब्लैक फंगस से बचने के लिए ओरल हेल्थ का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इस पर कन्नौज जिला अस्पताल में डेंटिस्ट डॉ. शुभिका बसवानी का कहना है कि ज्यादातर केसेस में यह इंफेक्शन नाक से होता हुआ पैरानैसल साइनस एस फैरिंक्स पैलेट, ऑर्बिट और दिमाग तक पहुंचता है । सरल भाषा में कहें तो नाक से होता हुआ ऊपरी जबड़ा, आंखें और दिमाग तक पहुंचता है। इस तरह से ब्लैक फंगस के गंभीर लक्षण मुंह में भी दिखाई देते हैं। इसके अलावा ब्लैक फंगस होने पर दांतों का ढीलापन, जीभ और मसूड़ों का रंग बदलने जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।
कोविड-19 की दवाएं मरीज की इम्युनिटी कमजोर कर देती हैं जिसकी वजह से डायबिटीक और नॉन-डायबिटिक कोविड मरीजों में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। यही वजह है कि यह फंगस बढ़ता है। इससे बचने के लिए डॉ. शुभिका ने कुछ ऐसे ओरल टिप्स बताए हैं जिनको अपनाकर आप अपने मुंह को साफ रख सकते हैं और किसी भी तरह के वायरल या फंगस से बच सकते हैं।
किन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है ब्लैक फंगस
- कमजोर इम्युनिटी वालों को
- कोरोना के इलाज के दौरान हाई डोज स्टेरॉयड लेने वाले मरीजों को
- ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाने वालों को
- अनियंत्रित मधुमेह के मरीज को
- किसी की एंटी-कैंसर ड्रग्स दवाएं चल रही हैं, तो उन्हें प्रभावित करता है
- लंबे समय आइसीयू में रहने वाले मरीज
- वेरिकोनोजोल थेरेपी वाले मरीज
इसे भी पढ़ें : Black Fungus: ब्लैक फंगस (म्यूकोरमायकोसिस) क्या है? डॉक्टर से जानें कोविड मरीजों में इसके लक्षण, खतरे और इलाज
टॉप स्टोरीज़
ब्लैक फंगस से बचाव के लिए अपनाए ये ओरल टिप्स
कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस के कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। ब्लैक फंगस होने पर आंखों का लाल होना, चेहरे के एक तरफ सुन्नपन और दांतों का ढीलापन देखा जाता है। जीभ, मसूड़े आदि का रंग बदलने लग जाता है। डॉक्टर का कहना है कि नाक के छिद्रों में लाल, काला दिखाई देता है। नाक से डिस्चार्ज होता है और यदि यह घातक रूप ले ले तो साइनस ट्रैक्ट भी बन सकते हैं। इससे बचाव के लिए पेशेंट निम्न उपायों को अपना सकते हैं।
नियमित तौर पर कुल्ला करें
भारतीय घरों में ओरल हेल्थ पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। यही वजह है कि मुंह से जुड़ी समस्याओँ को लेकर कोई व्यक्ति डेंटिस्ट के पास तभी पहुंचता है जब बहुत ज्यादा दर्द हो रहा हो, लेकिन नियमित तौर पर कुल्ला करके और ओरल टिप्स को अपनाकर इन परेशानियों से बचा जा सकता है। डॉक्टर शुभिका का कहना है कि कोविड से ठीक होने के बाद मुंह का कुल्ला करना जरूरी है। कुल्ला करने से मुंह तो साफ रहता ही है साथ ही कैविटी की परेशानी भी नहीं होती।
कोविड से ठीक होने के बाद मरीज को अपना ब्रश भी बदलने की जरूरत है फिर वह ओरल हाइजीन को मेंटेन रखे। डॉक्टर का कहना है कि पेशेंट बीटाडीन का कुल्ला करें और मुंह की सफाई का विशेष ध्यान रखें।
इसे भी पढ़ें : माउथवॉश का इस्तेमाल क्यों है जरूरी? जानें ओरल हेल्थ के लिए माउथवॉश के फायदे और नुकसान
दिन में दो बार ब्रश करें
कोविड मरीजों को कई तरह की दवाएं खानी पड़ती हैं, ऐसे में उन दवाओँ का असर मुंह के अंदर भी पड़ता है। मुंह में बैक्टीरिया न बढ़े उसके लिए डॉक्टर शुभिका ने दिन में दो बार ब्रश करने की सलाह दी है। डॉक्टर का कहना है कि दिन में दो बार ब्रश करने से सिर्फ किसी तरह के फंगस से ही नहीं बल्कि मुंह की अन्य बीमारियों से भी बचा जा सकता है।
जीभ की सफाई जरूरी
कोविड मरीजों को दांतों के अलावा जीभ की नियमित सफाई करने की सलाह दी जा रही है। एंटीसेप्टिक माउथवॉश से ब्रश और टंग क्लीनर को साफ करें।
कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण मुंह में दिखाई न दें या यह फंगस न फैले, उसके लिए डेंटिस्ट शुभिका ने जरूरी ओरल टिप्स दिए हैं। इन टिप्स को अपनाकर आप भी किसी भी तरह के फंगस या वायरस का खतरा मुंह की तरफ से आने से रोक सकते हैं।
Read More Articles on Miscellaneous in Hindi