कोरोना महामारी के बीच म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस का खतरा भी बढ़ गया है। पिछले दिनों ऐसी खबरें आईं कि जो मरीज कोरोना से ठीक हो रहे हैं उनमें ब्लैक फंगस की परेशानी देखी जा रही है। ब्लैक फंगस उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जिनको पहले से कोई गंभीर बीमारी है। इस वजह से उनका इम्युन सिस्टम कमजोर हो गया है। एक तरफ कोरोना की दूसरी लहर से लोग परेशान हैं दूसरी तरफ इससे उबर रहे लोगों को ब्लैक फंगस का खतरा दिख रहा है। ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर यह ब्लैक फंगस है क्या, कैसे फैलता है। ब्लैक फंगस की पहचान कैसे करें। इन सभी सवालों के जवाब पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के ईएनटी डिपार्टमेंट के चीफ डॉ अमिताभ मलिक ने दिए। उन्होंने बताया कि म्युकोरमाइकोसिस एक घातक बीमारी है। कोरोना की दूसरी लहर में हर दिन दो पेशेंट ब्लैक फंगस के आ रहे हैं।
ऐसे में इस बीमारी के शुरूआती लक्षणों को पहचान जान बचाई जा सकती है। डॉक्टर मलिक का कहना है कि जिन लोगों को कोविड हो चुका है और 15 दिन के बाद इलाज के लिए आए हैं और स्टेयरॉयड का ओवरडोज लिया है तो ऐसे लोगों को ब्लैक फंगस होने की आशंका बढ़ जाती है।
क्या है ब्लैक फंगस (What is Black fungus or mucormycosis)
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के मुताबिक म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का फंगस इंफेक्शन है। ये उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो जिनकी किसी गंभीर बीमारी की दवाएं पहले से चल रही हैं। ऐसे लोग वातावरण से होने वाले रोगों से लड़ नहीं पाते। ऐसे मरीज जब हवा के मार्फत फंगल पोर्स को अंदर लेते हैं तो साइनसिस और फेफड़ों प्रभावित होते हैं। इन मरीजों में आंखों के आसपास दर्द और आंखें लाल हो जाती हैं। सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में दिक्कत, खून की उल्टियां, मानसिक स्थिति का बदलना और बुखार की परेशानी को देखने को मिलती है।
शरीर को कैसे प्रभावित करता है ब्लैक फंगस? (How Does Black Fungus Affect Different Body Parts)
डॉक्टर मलिका का कहना है कि म्युकोरमाइकोसिस हमारे वातावरण में हर जगह मौजूद है। वे बताते हैं कि जिन लोगों की इम्युनिटी किसी भी कारण से कमजोर हो जाती है जैसे अगर किसी ने कोरोना के इलाज में अगर बहुत ज्यादा स्टेयरॉयड लिए हैं, किसी ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाया है, कोई डायबिटिक है या किसी की एंटी-कैंसर ड्रग्स दवाएं चल रही हैं तो ये फंगस ऐसे मरीजों के टिशुज में घुस जाता है। ये फंगस खून की नलियों में घुसता है। इसे डॉक्टरी भाषा में एंजियो इन्वेजिल डिजिज कहते हैं। यह फंगस जब खून की नाड़ियों में जाता है तो उन्हें ब्लॉक कर देता है। जिस वजह से रक्त का प्रवाह शरीर में रुक जाता है। उन नाड़ियों से जिन जगहों पर शरीर में रक्त जाना था वो वहां नहीं जा पाता है। जिस वजह से ऊतक (Tissue) सड़ जाता है। उस टिशु के सड़ने से उसका रंग काला हो जाता है। उसी काले रंग को ब्लैक फंगस कहा जाता है।
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किन कारणों से फैलता है ब्लैक फंगस? (How Does Black Fungus Spread)
डॉक्टर अमिताभ मलिक का कहना है कि जिन लोगों ने कोविड के इलाज के दौरान बहुत ज्यादा हाई डोज स्टेयरॉयड लिए हैं, चाहे वे गंभीर कंडीशन में थे या नहीं, उनमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ गए। जिस वजह से इम्युनिटी कमजोर हुई। साथ में हमारी बॉडी का आयरन कंटेंट बढ़ जाता है। डॉक्टर का कहना है कि ब्लड शुगर का बढ़ना, लंबे समय तक स्टेयरॉयड का लेना और शरीर में आयरन का बढ़ना, इन तीन कारणों से म्युकोरमाइकोसिस को फैलने में मदद करती हैं। तो वहीं आइसीएमआर ने अन्य कारण भी बताए हैं इसके फैलने के। जो निम्न हैं।
- अनियंत्रित मधुमेह होना
- स्टेयरॉयड से इम्युनोसप्रेशन होना
- लंबे समय आइसीयू में रहना
- वेरिकोनोजोल थेरेपी होना
ब्लैक फंगस के लक्षण
शुरुआती लक्षण
- ऐसे मरीज जिन्होंने ने कोरोना के इलाज में 15 या उससे ज्यादा दिन स्टेयरॉयड लिए हैं। तो आपको सावधान होना पड़ेगा। ऐसे मरीजों को अपना ब्लड शुगर जांच करवाना चाहिए और उन्हें निम्न लक्षण दिखाई दें तो कान, नाक, गला विशेषज्ञ से मिलें।
- सिर में एक तरफ बहुत तेज दर्द। सिर दर्द की दवाएं खाने से ये दर्द नहीं जा रहा है तो यह ब्लैक फंगस का लक्षण है।
- चेहरे पर एक तरफ सुन्नपन होना।
गंभीर लक्षण
- आंखों के नीचे सूजन
- आंख बाहर की तरफ आना
- आंख का लाल
- दोहरा दिखने का मतलब है कि परेशानी दिमाग की तरफ जा रही है।
- दांतों का ढीला होना
- चमड़ी का काला पड़ना
- छाती में दर्द
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फंगस के फैलने का रास्ता
डॉक्टर के मुताबिक यह फंगस नाक के रास्ते आंख में जाती है और आंख से दिमाग में जाता है। जब यह फंगस नाक में जाता है तब साइनस एरिया में दर्द होता है। आंखों में जाने पर धुंधला दिखता है। इसका मतलब है कि यह फंगस शरीर में फैल रहा है। ऐसी स्थिति में इंतजार न करें। डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।
ब्लैक फंगस पता करने के लिए टेस्ट
डॉक्टर ने बताया कि ब्लैक फंगस को पता करने का तरीका MRI Brain with contrast कराना पड़ता है। सीटी स्कैन से इसका पता नहीं लगाया जा सकता है।
ब्लैक फंगस से बचने के लिए क्या करें? (How to Prevent Risk of Black Fungus)
- ब्लैक फंगस होने इससे प्रभावित अंग काले पड़ने लगते हैं। ऐसे में डॉक्टर उस सड़ी हुई जगह को बाहर निकालते हैं। जब तक उस काले हिस्से को बाहर नहीं निकाला जाएगा तब तक दवाई आगे नहीं पहुंचेगी।
- इन दवाओं के इंजेक्शन 10 से 12 दिन लगवाने पड़ते हैं।
- तीन महीने तक एंटी-फंगल ओरल मेडिकेशन लेनी होती हैं।
क्या करें
- ब्लड शुगर (hyperglycemia) को नियंत्रित करें।
- कोविड से ठीक होने के बाद और डायबीटिज में भी ब्लड ग्लुकोज लेवल को मोनिटर करें।
- स्टेयरॉयड को सही समय, सही डोज और सही ड्यूरेशन में लें।
- एंटीबायोटिक्स का विवेकपूर्ण तरीके से प्रयोग
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क्या न करें
- शुरुआती लक्षण और संकेतों को पहचानें
- हर व्यक्ति जिसकी नाक बंद है उसे एक ही तरीके ट्रीट न करें।
- कोविड से ठीक होने के लिए अपनी मर्जी से स्टेयरॉयड का प्रयोग न करें।
- कोविड की बाकी दवाओं से ब्लैक फंगस नहीं बढ़ता है। स्टेयरॉयड की हाई डोज लेने से और बिना डॉक्टर की सलाह से लेने से ब्लैक फंगस की बीमारी फैलती है।
ब्लैक फंगस एक घातक बीमारी है। इसका इलाज जरूरी है। बिना इलाज के 80 फीसद लोगों की मौत हो सकती है। जितना जल्दी इसके लक्षणों को हम पहचान लेंगे उतना उनका इलाज जल्दी हो सकेगा।
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