देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर तमाम कोशिशों के बाद भी नियंत्रण में नहीं आ रही है। रोज 3 लाख से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं और हजारों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की भारी कमी हो गई है। ऐसे में कोरोना से बचने के लिए लोग वैक्सीन पर आस लगाए बैठे हैं। वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाने का काम करता है और भविष्य में वायरस के हमले की आशंका होने पर शरीर को सुरक्षा दिलाने के लिए सचेत करता है। देश में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है।
भारत में अभी तक दो वैक्सीन लगाई जा रही थी, लेकिन अब अगले हफ्ते से भारत के बाजारों में रूस की स्पूतनिक वी भी उपलब्ध होगी। भारत में इसकी पहली खेप 1 मई को पहुंच गई थी। इसका मतलब ये हुआ कि देश के पास अब कोरोना से बचाव के लिए तीन वैक्सीन उपलब्ध होंगी। इसमें कोवैक्सीन और कोविशील्ड भारत की ही वैक्सीन हैं, जबकि तीसरी वैक्सीन स्पूतनिक वी रूस की वैक्सीन है। लेकिन क्या आप इन तीनों के बारे में जानते हैं? आपको इन तीनों में अंतर पता है? इन तीनों में से कौन-सी ज्यादा असरदार है? तो चलिए जानते हैं मसीना हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर संकेत जैन से कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक वी में अंतर।
कोवैक्सीन (Covaxin)
डॉक्टर संकेत जैन बताते हैं कि भारत की कोवैक्सीन का निर्माण हैदराबाद में स्थित भारत बॉयोटेक कर रही है। भारत बॉयोटेक ने आईसीएमआर के साथ मिलकर इस वैक्सीन को बनाया था। इस वैक्सीन में दो डोज दिए जाते हैं। दोनों डोज के बीच 4 हफ्तों का अंतर होना चाहिए। कोवैक्सीन को 2-8 डिग्री सेंटीग्रेड पर संग्रहित किया जा सकता है। यह वैक्सीन लगभग 80 प्रतिशत प्रभावी है। कोवैक्सीन एक निष्क्रिय टीका है, इसे पूरी दृष्टि के साथ विकसित किया गया है। इसके लिए उसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसका उपयोग पोलियो और दूसरी अन्य बीमारी के लिए टीके तैयार करने के लिए किया गया था। इसके प्रशासन का तरीका इंट्रामस्क्युलर (Intramuscular) है।
टॉप स्टोरीज़
- - कोवैक्सीन भारत में बनने वाली पहली कोरोना वैक्सीन है।
- - इसे दो डोज में लगाया जाता है, जिसका अंतराल 4 हफ्तों का है।
- - कोवैक्सीन कोरोना से बचाव करने में लगभग 80 प्रभावी है।
- - इसे 2-8 डिग्री सेंटीग्रेड पर संग्रहित किया जा सकता है।
- - 18 साल से ऊपर से सभी लोग इस वैक्सीन काे लगा सकते हैं।
कोविशील्ड (Covishield)
डॉक्टर संकेत जैन बताते हैं कि कोविशील्ड वैक्सीन देश की ही वैक्सीन है। इस वैक्सीन का निर्माण ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर किया है, जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है। इसलिए इसे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के नाम से भी जाना जाता है। इस वैक्सीन को भी 2-8 डिग्री सेंटीग्रेड पर संग्रहित किया जा सकता है। कोविशील्ड वैक्सीन कोरोना वायरस से बचाव करने के लिए लगभग 80 प्रतिशत प्रभावी बताया गया है। कोविशील्ड को वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म का उपयोग करके तैयार किया गया है। इसमें एक चिंपांजी एडेनोवायरस (Chimpanzee Adenovirus)-CHAD0X1 को मानव की कोशिकाओं में कोविड-19 स्पाइक प्रोटीन ले जाने में सक्षम करने के लिए संशोधित किया गया है।
- - भारत में लगाई जाने वाली कोविशील्ड वैक्सीन लगभग 80 प्रतिशत प्रभावी है।
- - कोविशील्ड को 6-8 हफ्तों के अंतराल में लगाया जाता है। लेकिन सरकारी पैनल एनटीएजीआई ने इसके अंतर को 12-16 हफ्तों तक बढ़ाने का सुझाव दिया है।
- - इसकी प्रत्येक डोज 0.5 एमएल होती है।
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स्पूतनिक वी (Sputnik V)
भारत में अभी तक कोविडशील्ड और कोवैक्सीन ही लगाई जा रही थी, लेकिन पिछले महीने रूस की स्पूतनिक वी को भी भारत में इंमरजेंसी मंजूरी मिल गई है। अगले हफ्ते से यह वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इसे आपात उपयोगी के लिए मंजूरी दी थी। यह दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन है, जिसे रूस ने तैयार किया था। भारत में इसे तीसरी वैक्सीन के रूप में मंजूरी मिली है। अभी तक 60 देशों ने इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। इस वैक्सीन का निर्माण गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने किया है। यह वैक्सीन 91.6 प्रतिशत प्रभावी है। यह एक सुरक्षित वैक्सीन है, जिसका कोई गंभीर साइड इफेक्ट अभी तक नजर नहीं आया है। इसके साइड इफेक्ट बहुत हल्के हैं इसमें गले में दर्द, थकान और तापमान बढ़ना शामिल हैं।
- - भारत में स्पूतनिक वी वैक्सीन अगले हफ्ते तक बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।
- - रूस में बनी स्पूतनिक वी की पहली खेप 1 मई को भारत पहुंची थी।
- - इसकी एक डोज 0.5 एमएल की होगी। दोनों खुराकों के बीच 21 दिन का अंतराल है।
- - रूस की स्पूतनिक वी 91.6 प्रतिशत प्रभावी वैक्सीन है।
- - स्पूतनिक वी वैक्सीन की दोनों डोज में दो अलग-अलग तरह के वेक्टर्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो ज्यादा लंबे समय तक इम्यूनिटी प्रदान कर सकती है।
- - स्पूतनिक वी के डेवलपर्स के अनुसार इस वैक्सीन को 2-8 डिग्री तापमान के बीच स्टोर किया जा सकता है।
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कोरोना वायरस की गति को कम करने या रोकने के लिए वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है। भारत का लक्ष्य जुलाई तक 250 मिलियन लोगों का टीकाकरण करना है। जितनी जल्दी-जल्दी वैक्सीनेशन किया जाएगा, कोरोना वायरस की दर को भी उसी तरह से रोका जा सकता है। भारत में लगाए जाने वाले सभी वैक्सीन सभी के लिए लाभदायक है, ऐसे में आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।
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