Pelvic Floor Dysfunction Constipation: अक्सर लोग कब्ज को बहुत ही आम समस्या मानकर इसे नजरअंदाज कर देते हैं। क्या आप जानते हैं कि बार-बार कब्ज की समस्या होने का कारण सिर्फ खानपान को मान लेते हैं, लेकिन इसका कारण पेल्विक फ्लोर का कमजोर होना भी हो सकता है। पेल्विक फ्लोर शरीर की वह मांसपेशियों की परत (muscles layer) है, जो मूत्राशय (bladder), यूटरस और मलाशय (rectum) जैसे अंगों को सहारा देती है। जब इन मांसपेशियों के बीच संतुलन बिगड़ जाता है, तब पेल्विक फ्लोर या तो कमजोर हो जाती है या फिर ढीली पड़ जाती है। इसे ही पेल्विक फ्लोर डिस्फंक्शन कहते हैं। क्या कब्ज की वजह पेल्विक फ्लोर हो सकता है, यह जानने के लिए हमने गुडगांव के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के स्त्रीरोग विशेषज्ञ विभाग की डायरेक्टर डॉ. चेतना जैन (Dr. Chetna Jain Director Dept of Obstetrics & Gynecology Cloudnine Group of hospitals, Sector 14, Gurgaon) से बात की।
क्या पेल्विक फ्लोर की समस्या से कब्ज होती है?
डॉ. चेतना जैन कहती है,”हां, बिल्कुल कब्ज की समस्या गलत खानपान, पानी की कमी और लाइफस्टाइल में बदलाव की वजह से हो सकती है, लेकिन अगर पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां सही समय पर ढीली नहीं होतीं, तो स्टूल बाहर निकलने में रुकावट आती है। इसके अलावा, महिला को पेशाब करने या कभी-कभी यौन संबंधों (sexual intercourse) के दौरान भी परेशानी हो सकती है। इसलिए अगर महिला को लाइफस्टाइल की समस्या न हो, तो पेल्विक फ्लोर में भी परेशानी हो सकती है।”
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साधारण कब्ज और पेल्विक फ्लोर डिस्फंक्शन वाली कब्ज में फर्क
डॉ. चेतना के अनुसार, “दोनों तरह की कब्ज में काफी फर्क होता है। इसलिए इसके अंतर को समझना बहुत जरूरी है।
- साधारण कब्ज में पॉटी (stool) अक्सर सख्त होती है और इसकी वजह पानी में कमी, कम फाइबर वाली डाइट और लाइफस्टाइल के कारण होती है।
- पेल्विक फ्लोर डिस्फंक्शन में स्टूल नरम भी हो सकता है, लेकिन मांसपेशियां सही ढंग से काम नहीं करतीं, जिससे मल बाहर नहीं निकल पाता।
- महिला को महसूस होता है कि शौच आ रहा है, लेकिन मल बाहर नहीं आता।
- रोगी को शौच करते समय हाथ से दबाना या पोजीशन बदलनी पड़ सकती है।
- शौच के बाद भी पेट खाली हुआ महसूस नहीं होता।
पेल्विक फ्लोर के लिए टेस्ट?
डॉ. चेतना कहती हैं कि अगर कब्ज बार-बार हो रही है, स्टूल त्यागने में बहुत मुश्किल होती है, तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। पेल्विक फ्लोर डिस्फंक्शन की पहचान के लिए ये टेस्ट जरूरी है।
- एनोरेक्टल मैनोमेट्री (Anorectal Manometry): इससे मलाशय और मांसपेशियों का प्रेशर टेस्ट किया जाता है।
- डिफेकोग्राफी (Defecography): एक्स-रे या MRI (एमआरआई) से पता लगाया जाता है कि शौच करते समय मांसपेशियां कैसे काम करती हैं।
- ईएमजी (Electromyography): इसमें नसों और मांसपेशियों की एक्टिवटी चेक की जाती है।
- फिजिकल चेक: डॉक्टर मरीज की जांच हाथ से भी कर सकती है।
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पेल्विक फ्लोर का इलाज कैसे करें?
डॉ. चेतना कहती हैं कि पेल्विक फ्लोर डिस्फंक्शन का इलाज मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। वैसे डॉक्टर कुछ ये इलाज बताती हैं:
- बायोफीडबैक थेरेपी (Biofeedback Therapy): इसमें मशीन की मदद से मरीज को मांसपेशियों को सही ढंग से ढीला और कसना सिखाया जाता है।
- फिजियोथेरेपी और एक्सरसाइज: पेल्विक फ्लोर रिलैक्सेशन के लिए कुछ एक्सरसाइज और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज की जाती है।
- डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार: प्रचुर मात्रा में पानी पिएं, फाइबर युक्त डाइट खाएं और रोजाना कसरत करें।
- दवाइयां: कब्ज कंट्रोल करने के लिए हल्के रेचक (laxatives) या अन्य दवाइयां दी जाती है।
- सर्जरी: कुछ मामलों में मरीज की सर्जरी भी की जा सकती है।
निष्कर्ष
डॉ. चेतना कहती हैं कि कब्ज होने का कारण पेल्विक फ्लोर डिस्फंक्शन हो सकता है। इसलिए साधारण कब्ज और इस स्थिति से जुड़ी कब्ज में फर्क पहचानना ज़रूरी है ताकि सही इलाज मिल सके। सही समय पर इलाज होने से मरीज को गंभीर स्थिति से बचाया जा सकता है। इसलिए अगर बार-बार कब्ज हो, तो समय रहते डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
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Sep 18, 2025 18:24 IST
Modified By : अनीश रावतSep 18, 2025 18:24 IST
Published By : अनीश रावत