Pelvic Floor Exercise in Hindi: कई सालों से पोस्टपार्टम फिटनेस के तौर पर काम करते हुए मैंने देखा है कि महिलाएं बहुत स्ट्रांग होती है लेकिन इसके साथ ये भी देखा है कि बच्चे के जन्म के बाद उन्हें बहुत ही कम सपोर्ट मिलता है, खासतौर पर पेल्विक फ्लोर की रिकवरी में बहुत कम समय मिल पाता है।
अगर मैं सच कहूं तो महिला एक इंसान को इस दुनिया में लाई है और यह बहुत ही कमाल की ताकत है। इसलिए डिलीवरी के बाद महिला सिर्फ केगेल करने से ज्यादा डिजर्व करती है। अगर हम थोड़ा गहराई में जाए, तो पोस्टपार्टम रिकवरी में पेल्विक फ्लोर को मजबूत करना बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए आज के इस लेख में हम पेल्विक फ्लोर और इससे जुड़ी कसरत के बारे में जानेंगे।
पेल्विक फ्लोर क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?
पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों का ऐसा ग्रुप है, जो स्लिंग की तरह काम करता है, जिससे ब्लैडर, यूट्रस और आंतों को सपोर्ट करता है। यह कोर स्ट्रेंथ, संतुलन और यौन स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान यह हिस्सा खिंच जाता है, दबाव झेलता है और कई बार कमजोर हो जाता है। इसलिए कई महिलाएं ये समस्याएं अनुभव करती हैं:
- छींकने या हंसने पर पेशाब निकल जाना
- पेट के नीचे खिंचाव और भारीपन महसूस होना
- इंटिमेसी में परेशानी
- कोर के हिस्से का कनेक्शन टूटना
लेकिन अब अच्छी बात यह है कि मॉर्डन और फंक्शनल मूवमेंट के जरिए मांसपेशियों को फिर से मजबूत बनाया जा सकता है।
इसे भी पढ़ें: Maa Strong: डिलीवरी के बाद रिकवरी की शुरूआत सेहतमंद होने का पहला कदम - पोस्टपार्टम फिटनेस एक्सपर्ट सुचेता पाल
3 आसान और असरदार पेल्विर फ्लोर कसरत
ये कसरत आपकी सांस, पोस्चर और आपके पूरे शरीर का मूवमेंट करती है और इससे पेल्विक फ्लोर को नेचुरल तरीके से मजबूत किया जा सकता है।
360° कोर ब्रीदिंग
यह कसरत आपके लिए नींव का काम करती है। इससे सांस, डायफ्राम, कोर और पेल्विक फ्लोर जुड़ता है।
- आराम से बैठ या लेट जाए।
- नाक से सांस लें। महसूस करें कि आपकी पसलियां और पेट दोनों ही धीरे-धीरे फैल रहे हैं।
- इसके बाद मुंह से सांस इस तरह छोड़ें जैसे कि आप स्ट्रॉ से फूंक मार रहे हो। इस दौरान पेट अंदर की ओर जाता महसूस करें और पेल्विक को ऊपर उठाने की कोशिश करें।
- इस प्रक्रिया को 5 से 10 बार करें।
इससे पेल्विक फ्लोर को प्राकृतिक तरीके से टाइट होने में मदद मिलेगी।
ब्रीदिंग के साथ ग्लूट ब्रिज
ब्रीदिंग के साथ ग्लूट ब्रिज करने पर इस कसरत से ग्लूट यानी कि हिप्स को एक्टिव करके पेल्विक फ्लोर को मजबूत करती है।
- पीठ के बल लेटकर घुटने मोडें और पैरों को जमीन पर रख लें।
- सांस लेते समय पेट को ढीला रखें।
- सांस छोड़ते समय हिप्स को उठाए और पेल्विक फ्लोर को और नीचे के पेट को धीरे-धीरे खींचे।
- फिर सांस लेते हुए नीचे आएं।
- इसे प्रक्रिया को ध्यान से 10-12 बार करें।
View this post on Instagram
इसे भी पढ़ें: डिलीवरी के बाद सुरक्षित तरीके से कैसे शुरू करें कसरत, जानें पोस्टपार्टम फिटनेस एक्सपर्ट सुचेता पाल से
हैप्पी बेबी रॉक - पेल्विक फ्लोर की मजबूती के लिए
पेल्विक फ्लोर को मजबूत करने के साथ-साथ इसे रिलेक्स करना भी महत्वपूर्ण है।
- पीठ के बल लेट जाएं। इसके बाद पैरों को या जांघों को बाहर से पकड़ें, घुटनों को मोड़ें और खुला रखें।
- झूले की तरह झूलने की कोशिश करें।
- पेट और पेल्विक एरिया से गहरी सांस लें।
इस कसरत से हिप्स खुलते हैं और पेल्विक फ्लोर को आराम मिलता है। यह कसरत संतुलन और रिकवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पेल्विक फ्लोर की मजबूत के लिए इन बातों का रखें ध्यान
- डिलीवरी के बाद शुरुआती हफ्तों में दौड़ना, कूदना या प्लैंक्स जैसे हाई इम्पैक्ट वर्कआउट करने से बचें।
- अगर भारीपन, रिसाव या दर्द महसूस हो, तो कसरत न करें।
- एक बार पेल्विक फ्लोर फिजियोथैरेपिस्ट से जरूर मिलें, यह बहुत मदद करता है।
अपनी रिकवरी पर ध्यान दें
पेल्विक फ्लोर की रिकवरी का मतलब सिर्फ रिसाव को रोकना नहीं है, बल्कि खुद में फिर से आत्मविश्वास, मजबूती और अपने शरीर को सपोर्ट देना है।ये कसरत बच्चे के जन्म के बाद सिर्फ रिहैब के लिए नहीं है, बल्कि ये खुद को मजबूत करने की नींव है।