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आपके अस्थमा बढ़ने का कारण कहीं मानसून तो नहीं है? डॉक्टर से जानें ट्रिगर्स

Monsoon Asthma in Hindi: कई बार अस्थमा मरीजों को लगता है कि मानसून के सीजन में उन्हें बहुत ज्यादा परेशानी होती हैं। मानसून में कौन से ट्रिगर्स से रोगियों को सावधान रहना चाहिए? जानते हैं डॉक्टर से इस लेख में।
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आपके अस्थमा बढ़ने का कारण कहीं मानसून तो नहीं है? डॉक्टर से जानें ट्रिगर्स


Monsoon Asthma in Hindi: बारिश का सीजन आते ही कई तरह के संक्रमण, एलर्जी और कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं। इस मौसम में फंगस की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, इस वजह से अस्थमा रोगियों को कुछ ज्यादा ही परेशानी होने लगती है। अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है, जिसमें सांस लेने की नली में सूजन आ जाती है। इससे मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। लेकिन इसका नमी या मानसून से क्या संबंध है और क्या सच में नमी के कारण अस्थमा रोगियों की बीमारी बढ़ जाती है? अगर ऐसा है, तो इसकी क्या वजह है और इसके लक्षण क्या होते हैं, जिससे रोगियों को पता चल सके कि मानसून के कारण अस्थमा की समस्या तेजी से बढ़ रही है। मानसून में अस्थमा की समस्या के बारे में पूरी जानकारी जानने के लिए हमने फरीदाबाद के यथार्थ अस्पताल के डायरेक्टर-पल्मोनोलॉजी एवं स्लीप मेडिसिन डॉ. गुरमीत सिंह छाबड़ा (Dr. Gurmeet Singh Chabbra, Director - Pulmonology, Yatharth Hospital, Faridabad) से बात की। उन्होंने न सिर्फ कारण और लक्षण बताए, बल्कि इस मौसम में बचाव के उपाय भी समझाए।

नमी में अस्थमा बढ़ने की क्या है वजह? - Reason for Increasing Asthma in Humidity in Hindi

डॉ. गुरमीत कहते हैं, “सबसे पहले लोगों को यह जानना जरूरी है कि अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है और सालभर मरीज इस बीमारी के चलते परेशान रहते हैं। लेकिन आमतौर पर बरसात के मौसम में ब्रोन्कियल अस्थमा (Bronchitis Asthma) के मरीजों में सांस की समस्या सबसे ज्यादा बढ़ जाती है, क्योंकि हवा में नमी और उमस की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है। जब हवा में नमी ज्यादा हो, तो फंगस या इंफेक्शन ज्यादा पनपने लगते हैं। इस वजह से अस्थमा रोगी ज्यादा परेशान हो जाते हैं। अगर हवा में नमी का स्तर 30 से 50 प्रतिशत रहता है, तो फेफड़े सही तरीके से काम करते हैं, लेकिन नमी 50 फीसदी से ज्यादा हो जाए, तो फेफड़ों की नलियों में सूजन या इरिटेशन होने लगती है। इससे मरीज को सांस लेने की तकलीफ बढ़ जाती है। कई बार ज्यादा बरसात होने पर मौसम अधिक ठंडा हो जाता है जिससे सांस की नली में सिकुड़न हो जाती है। दरअसल, बरसात के मौसम में दीवारों, या बंद जगहों या कपड़ों में नमी की वजह से फंगस या वायरल इन्फेक्शन बहुत जल्दी फैलने लगता है, जिससे अस्थमा के लक्षण तेजी से बढ़ जाते हैं।”

Asthma in monsoon expert advice

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मानसून में कौन से ट्रिगर अस्थमा को बढ़ा सकते हैं? - Triggers of Asthma in Monsoon in Hindi

डॉ. गुरमीत ने अस्थमा के ट्रिगर बताते हुए कहा कि बारिश के मौसम में नमी के अलावा भी कई तरह के ट्रिगर हैं, जो अस्थमा की समस्या को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। मरीजों को इन ट्रिगर्स से बचना चाहिए।

  1. धूप न मिलना - इस वजह से शरीर में धीरे-धीरे विटामिन डी की कमी होने लगती है जिससे दमा का अटैक आने का खतरा भी बढ़ सकता है।
  2. पराग के कणों का बढ़ना - आमतौर पर बारिश में पेड़ों और फूलों के पराग (pollen) बिखर जाते है। ये पराग के कण हवा में काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। अगर अस्थमा मरीज को पोलन से एलर्जी है और जब वह सांस के द्वारा अंदर ले लेता है, तो अस्थमा अटैक आने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
  3. वायरल इंफेक्शन - मानसून में लोगों को सर्दी, जुकाम और खांसी जैसी परेशानियां भी बहुत ज्यादा होने लगती हैं। इसका असर अस्थमा रोगियों को सबसे ज्यादा पड़ता है। यह स्थिति सांस की परेशानी वाले मरीजों के लिए काफी मुश्किल स्थिति हो जाती है।
  4. फंगस या फूफंदी - घर में सीलन या फूफंदी लगना अस्थमा रोगियों के लिए सबसे आम ट्रिगर होता है। इसलिए अस्थमा के मरीजों को बरसात के सीजन में घरों की साफ-सफाई पर खास ध्यान देना चाहिए।

मानसून में अस्थमा के कौन से लक्षण ज्यादा दिखते हैं? - Symptoms of Asthma in Monsoon in Hindi

डॉ. गुरमीत छाबड़ा कहते हैं, “बारिश के मौसम में अस्थमा मरीजों को बार-बार खांसी होना, बलगम आना, छाती में सांय-सांय की आवाज आना, जुकाम होना, बुखार आना, गले में खिच-खिच होना, गले में दर्द होना आदि समस्याएं एक दम से बढ़ जाती हैं, जिससे मरीजों को साँस लेने में तकलीफ होती है।”

NCBI में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, जब भी मौसम में बहुत ज्यादा बदलाव होता है, तब बच्चों और महिलाओं में अस्थमा की रुग्णता और मृत्युदर का रिस्क बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। अस्थमा की बीमारी में मौसम का बहुत बड़ा रोल होता है।

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मानसून में अस्थमा कैसे मैनेज करें? How to Manage Asthma in Monsoon in Hindi

इस बारे में डॉ. गुरमीत छाबड़ा और अमर जैन अस्पताल डब्लूएचसी के पुल्मोनेरी, स्लीप मेडिसन और एलर्जी विभाग की हेड डॉ. शिवानी स्वामी दोनों का एक ही मत है कि अस्थमा को मैनेज करने के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए अपनी डाइट में सीजनल ताजे फल-सब्जियों के साथ सीड्स और नट्स को शामिल करें। इसके अलावा, रोजमर्रा की जिंदगी में छोटी-छोटी सावधानियां बरतें।

  • अस्थमा रोगी डॉक्टर से सलाह लेकर ब्रीदिंग से जुड़ी कसरत जैसे प्राणायाम, कपालभाती कर सकते हैं।
  • मानसून के सीजन में भाप लेना फायदेमंद रहता है, क्योंकि इससे सांस की नली में हुई सूजन या दर्द से राहत मिलती है।
  • बाहर घूमने से परहेज करें और अगर बाहर जाना पड़े तो मास्क लगाकर जाएं।
  • घर में किसी भी तरह की फंफूद होने पर उसे रिपेयर कराएं।
  • बारिश में स्टीम बाथ और गर्म पानी पीने से गले या सांस की नली में जमा बलगम बाहर निकलने में मदद मिलती है।
  • एसी का तापमान बहुत ज्यादा कम न रखें, बल्कि नार्मल तापमान में सोएं।
  • फ्रिज में रखा ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक्स या आइसक्रीम खाने से बचें।
  • बारिश में भीगने से बचें।
  • पालतू जानवरों से थोड़ा सावधानी से खेलें, क्योंकि इनके संपर्क से अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं।
  • आप एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर काढ़ा भी पी सकते हैं अदरक, काली मिर्च, दाल चीनी, हल्दी से घर में काढ़ा बना सकते हैं और इसे दिन में दो बार पी सकते हैं।
  • डॉक्टर की सलाह से इन्फ्लुएंजा, न्यूमोकोकल और पर्टुसिस (काली खांसी) जैसे वैक्सीन भी लगवाएं।

मानसून के सीजन में रोगियों को थोड़ा ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। हमेशा दवाइयां समय पर लें और अपने पास इनहेलर जरूर रखें। अगर सांस से जुड़ी कोई भी समस्या होती है, तो सांस रोग विशेषज्ञ से तुरंत सलाह लें।

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