कभी गर्मी तो कभी बारिश अचानक मौसम में होने वाले बदलाव वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण की वजह बन सकते हैं। यह संक्रमण गले और फेफड़ों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा की समस्या होती है उनके लिए यह संक्रमण गंभीर लक्षण पैदा कर सकते हैं। इस दौरान सांस की नलियों (airways) में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को अक्सर खांसी, सीने में जकड़न, सांस फूलना और घरघराहट की समस्या होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अस्थमा एक ही प्रकार का नहीं होता? इसकी कई किस्में होती हैं, और हर प्रकार के लक्षण, कारण और इलाज थोड़े अलग होते हैं। इस लेख में डॉ. सुजान बर्धन, कंसल्टेंट - पल्मोनोलॉजी, नारायणा हेल्थ, आर.एन टैगोर अस्पताल से जानते हैं कि अस्थमा के अलग-अलग प्रकारों क्या होते हैं?
अस्थमा के कितने प्रकार होते हैं? - What Are The Different Types Of Asthma In Hindi
एलर्जिक अस्थमा (Allergic Asthma)
यह अस्थमा तब होता है जब व्यक्ति किसी एलर्जन (Allergen) के संपर्क में आता है, जैसे धूल, परागकण, पालतू जानवरों के शरीर का रोआं, धुआं, या फफूंदी आदि। इस समस्या में व्यक्ति को बार-बार छींक आना, आंखों में पानी या खुजली आना, सांस लेने में तकलीफ होना, सीने में जकड़न की समस्या हो सकती है।
नॉन-एलर्जिक अस्थमा (Non-Allergic Asthma)
यह अस्थमा किसी एलर्जन के कारण नहीं होता, बल्कि सर्दी, प्रदूषण, धुआं, तेज गंध, या मानसिक तनाव जैसी परिस्थितियों से उत्पन्न होता है। इस स्थिति में व्यक्ति के लक्षण काफी हद तक एलर्जिक अस्थमा जैसे ही होते हैं, लेकिन ट्रिगर अलग हो सकते हैं। इसमें डॉक्टर ट्रिगर्स को पहचानकर उनसे दूरी बनाने, इनहेर लेने और फेफड़ों की दवा देते हें।
एक्सरसाइज इंडियूस्ड अस्थमा (Exercise-Induced Asthma or EIB)
यह अस्थमा तब होता है जब कोई व्यक्ति व्यायाम या शारीरिक गतिविधि करता है। इसे एक्सरसाइज-इंड्यूस्ड ब्रोंकोस्पाज्म भी कहते हैं। इसमें मरीज को व्यायाम करते समय या उसके तुरंत बाद सांस फूलना, खांसी आना और सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आने की समस्या होती है।
ऑक्यूपेशनल अस्थमा (Occupational asthma)
यह अस्थमा कुछ विशेष काम की जगहों पर पाए जाने वाले कैमिकल्स, धूल, गैस या अन्य पदार्थों से होता है। उदाहरण के लिए फैक्ट्री में काम करने वाले, सफाईकर्मी, निर्माण कर्मी, हेयर ड्रेसर आदि को हो सकता है।
रात में होने वाला अस्थमा (Nocturnal Asthma)
यह अस्थमा रात में होता है या रात के समय और अधिक गंभीर हो जाता है। रात के समय ठंडी हवा, लेटने की स्थिति और शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन इस तरह के अस्थमा की वजह बन सकते हैं। इसमें व्यक्ति को रात में बार-बार खांसी आना, नींद में रुकावट और सुबह सीने में भारीपन महसूस हो सकता है।
गंभीर अस्थमा (Severe Asthma)
यह अस्थमा का सबसे गंभीर रूप होता है, जिसमें सामान्य दवाओं से राहत नहीं मिलती है। इसमें व्यक्ति को बार-बार अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है। इससे व्यक्ति का दैनिक जीवन प्रभावित होता है।
अस्थमा होने पर क्या सावधानियां बरतें - Prevention Tips Of Asthma In Hindi
- धूल, धुआं, परागकण, पालतू जानवरों के बालों से दूर रहें।
- घर को साफ और वेंटिलेटेड रखें।
- योग, प्राणायाम और मेडिटेशन से फेफड़ों की क्षमता बढ़ाएं।
- अस्थमा के ट्रिगर को पहचानें और उससे दूरी बनाएं
- इनहेलर का सही ढंग से उपयोग करें।
- डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं को नियमित रूप से लें।
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अस्थमा एक गंभीर लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली बीमारी है। इसके विभिन्न प्रकार हैं और हर प्रकार के लक्षण और उपचार थोड़े अलग होते हैं। सही समय पर पहचान, उचित इलाज और जीवनशैली में बदलाव के द्वारा अस्थमा को अच्छी तरह से मैनेज किया जा सकता है।
FAQ
अस्थमा किसकी कमी से होता है?
अस्थमा (Asthma) की समस्या कई कारणों से हो सकती है, लेकिन यह मुख्य रूप से वायुमार्गों में सूजन और संकुचन के कारण होती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। अस्थमा आनुवंशिक, एलर्जी, या पर्यावरणीय कारकों के कारण भी हो सकती है। कुछ विटामिन की कमी भी अस्थमा की गंभीरता को बढ़ा सकते हैं।अस्थमा की कितनी स्टेज होती है?
डॉक्टर अस्थमा को चार मुख्य चरणों या गंभीरता के स्तरों में वर्गीकृत करते हैं। अस्थमा के विभिन्न चरणों के लक्षण गंभीरता और बार-बार होने की प्रवृति अलग-अलग हो सकती है।अस्थमा का अटैक कैसे शुरू होता है?
अस्थमा का दौरा किसी एलर्जेन के संपर्क में आने से शुरू होता है, जैसे कि पेड़, घास या खरपतवार के पराग , धूल के कण , तिलचट्टे या जानवरों की रूसी आदि।