What is the 4 4 4 method for asthma: अस्थमा एक क्रोनिक बीमारी है। अस्थमा मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करके, सांस लेने में परेशानी का कारण बनती है। माना जाता है कि एक बार अगर किसी व्यक्ति को 'अस्थमा' हो जाए तो वो जीवनभर इससे परेशान रहता है। वैसे को मेडिकल साइंस में अस्थमा को कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन सही मैनेजमेंट के जरिए अस्थमा को नियंत्रित किया जा सकता है। अस्थमा को मैनेज करने का एक आसान तरीका है 4-4-4 रूल (What is the 4 4 4 method for asthma)।
4-4-4 रूल क्या है?- What is 4-4-4 Rule for Asthma
डॉ. सपना यादव, वरिष्ठ सलाहकार - पल्मोनोलॉजी, सर्वोदय अस्पताल, ग्रेटर नोएडा वेस्ट (Dr. Sapna Yadav, Senior Consultant - Pulmonology, Sarvodaya Hospital , Greater Noida West) के अनुसार, अस्थमा के लक्षण मौसमी या बारहमासी हो सकते हैं। अस्थमा के मुख्य लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, घरघराहट, खांसी और सीने में जकड़न की परेशानी होती है। 4-4-4 रूल अस्थमा के अचानक अटैक के दौरान अपनाया जाने वाला उपाय है। यह नियम मुख्य रूप से तब काम आता है, जब अस्थमा के मरीजों को तुरंत मेडिकल सर्विस की जरूरत होती है, लेकिन वह मौजूद नहीं होती है। अस्थमा के मरीज अगर रोजमर्रा में भी 4-4-4 रूल को अपनाएं, तो इससे उनकी परेशानियां कम हो सकती है और अचानक अटैक की समस्या से भी बचा जा सकता है।
इसे भी पढ़ेंः डस्ट माइट्स एलर्जी बच्चों में बन सकती है अस्थमा का कारण, जानें इसके लक्षण
टॉप स्टोरीज़
1. 4 पफ रिलीवर इनहेलर
लंबी सीढ़िया चढ़ने, तेज चलने या किसी अन्य कारण से अस्थमा के मरीजों की सांस फूलती है, तो रिलीवर इनहेलर जैसे सल्बुटामोल (Salbutamol) से एक बार में 4 पफ लेने की कोशिश करें। डॉ. सपना यादव का कहना है कि एक बार 4 पफ लेने से श्वसन मार्ग को खोलने में मदद मिलती है। इससे अस्थमा के मरीजों को सांस फूलने की परेशानी कम होती है।
इसे भी पढ़ेंः शिशु के दिमागी विकास को नुकसान पहुंचाती हैं ये 5 चीजें, डॉक्टर से जानें इसके बारे में
2. गहराई से 4 बार सांस लें
हर पफ के बाद अस्थमा के मरीजों को गहरी सांस लेनी चाहिए। इससे पफ की दवा फेफड़ों तक सही तरीके से पहुंचकर अपना असर दिखाती है। एक पफ के बाद 30 सेकेंड के लिए रूकें और उसके बाद इसे दोहराएं।
3. हर 4 मिनट में दोहराएं
पफ लेने के बाद अगर अस्थमा के मरीजों की स्थिति में किसी प्रकार का सुधार नहीं आता है, तो हर 4 मिनट में पूरी प्रक्रिया को दोहराना चाहिए।
अस्थमा मरीजों के लिए 4-4-4 रूल के फायदे- Benefits of the 4-4-4 rule for asthma patients
डॉ. सपना यादव का कहना है कि अस्थमा के मरीजों को 4-4-4 नियम अपनाने से काफी राहत मिलती है। यह अचानक आने वाले अटैक को भी कंट्रोल में करता है।
- अस्थमा के मरीजों को इस नियम को अपनाने से शुरुआती अटैक के लक्षणों को मैनेज करने में मदद मिलती है। यह मरीज को मानसिक तौर पर शआंत करता है।
इसे भी पढ़ेंः बदलते मौसम में बच्चों को ज्यादा होती है सर्दी-जुकाम की समस्या, राहत के लिए अपनाएं ये 5 टिप्स
- जब मरीज को अस्थमा का दौरा पड़ता है, तो घबराहट स्वाभाविक है। ऐसे में इस नियम को अपनाने से दिमाग को कंट्रोल में करके सही कदम उठाने में मदद मिलती है।
- 4-4-4 नियम अस्थमा के मरीजों को गंभीर स्थित को खुद मैनेज करने का आत्मविश्वास जगता है।
इसे भी पढ़ेंः World Asthma Day: अस्थमा अटैक के दौरान इनहेलर न हो, तो क्या करें? एक्सपर्ट से जानें
निष्कर्ष
4-4-4 नियम अस्थमा को मैनेज करने का एक प्रभावी तरीका है। इस नियम को अपनाने के साथ-साथ अस्थमा के मरीज को जीवनशैली, खानपान में बदलाव की जरूरत होती है। अगर आप या आपके परिवार का कोई सदस्य अस्थमा का मरीज है, तो उसे नियमित तौर पर डॉक्टरी की सलाह जरूर दिलाएं। घर के अंदर और आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर में धूल, मिट्टी जमा होने से एलर्जी की संभावना ज्यादा होती है, जो अस्थमा के मरीजों की परेशानी को बढ़ा सकता है।
FAQ
अस्थमा को कैसे दूर किया जा सकता है?
अस्थमा (Asthma) श्वसन संबंधी बीमारी है। अस्थमा को जीवनशैली, खानपान और रोजमर्रा की आदतों में बदलाव करके नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसे पूरी तरह से दूर नहीं किया जा सकता है।अस्थमा के लिए स्टेप 5 ट्रीटमेंट क्या है?
डॉ. सपना यादव का कहना है कि स्टेप 5 ट्रीटमेंट अस्थमा के उन मरीजों को दिया जाता है, जिनकी स्थिति गंभीर होती है। इसका इस्तेमाल करने से रोगी के लक्षणों को तेजी से नियंत्रण में करके, उसे राहत दिलाई जाती है। यह गाइडलाइन मुख्य रूप से GINA (Global Initiative for Asthma) द्वारा दी गई है।क्या अस्थमा में दूध पीना चाहिए?
दूध पीने से गले में भारीपन और बलगम की परेशानी होती है। जिन लोगों को पहले से ही दूध से एलर्जी है और वो अस्थमा की परेशानी में दूध का सेवन करें, तो यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकती है। हालांकि इस तरह की परेशानी हर किसी व्यक्ति को नहीं होती है।