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एंडोमेट्रियल कैंसर, जिसे अक्सर गर्भाशय की अंदरूनी परत के कैंसर के रूप में जाना जाता है, जो महिलाओं में तेजी से बढ़ने वाली एक स्वास्थ्य समस्या है।एंडोमेट्रियम, हार्मोन के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होता है, जो सामान्य पीरियड साइकिल के दौरान, एस्ट्रोजन एंडोमेट्रियम को मोटा होने और बढ़ने को लेकर बढ़ावा देता है, ताकि यह प्रेग्नेंसी के लिए तैयार हो सके। इसके बाद, ओव्यूलेशन के बाद, प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ता है, जो इस बढ़ी हुई एंडोमेट्रियल परत को स्थिर करता है और इसे प्रेग्नेंसी न होने पर शरीर से बाहर निकालने की तैयारी करता है। प्रोजेस्टेरोन एक 'ब्रेक' या संतुलनकारी हार्मोन की तरह काम करता है, जो एस्ट्रोजन के ज्यादा प्रभाव को कंट्रोल करता है। ऐसे में एंडोमेट्रियल कैंसर के मुख्य जोखिम कारकों को पहचानना बहुत जरूरी है ताकि इसे होने से रोका जा सके या समय पर इसका इलाज किया जा सके। ऐसे में कई लोगों का मानना है कि एंडोमेट्रियल कैंसर होने का एक मुख्य कारण हार्मोनल असंतुलन भी है। आइए इस लेख में दिल्ली के ऑन्कोलॉजिस्ट और आर्ट ऑफ हीलिंग कैंसर के फाउंडर डॉ. मंदीप सिंह (Dr. Mandeep Singh, Delhi-based oncologist and founder of Art of Healing Cancer) से जानते हैं कि क्या सच में हार्मोनल असंतुलन के कारण एंडोमेट्रियल कैंसर हो सकता है।
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क्या हार्मोनल असंतुलन एंडोमेट्रियल कैंसर का कारण बनता है?
डॉ. मंदीप सिंह के अनुसार, एंडोमेट्रियल कैंसर, जिसे गर्भाशय की अंदरूनी परत का कैंसर भी कहा जाता है, महिलाओं में तेजी से बढ़ने वाली स्वास्थ्य चुनौती में से एक है। इसके मुख्य जोखिम कारकों में से एक है शरीर में हार्मोन का असंतुलन, खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के बीच का असमान संतुलन है। जब एस्ट्रोजन का स्तर लंबे समय तक शरीर में ज्यादा रहता है और प्रोजेस्टेरोन का संतुलन नहीं बन पाता, तो एंडोमेट्रियम लगातार मोटा होने लगता है। यह स्थिति समय के साथ असामान्य सेल्स को बढ़ावा दे सकती है, जो कैंसर का कारण बन सकती है।
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महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन के कारण
डॉ. मंदीप सिंह के अनुसार, महिलाओं में मोटापा, पीसीओएस, अनियमित पीरियड्स, थायराइड असंतुलन, देर से मेनोपॉज या बिना प्रोजेस्टेरोन वाले हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का लंबे समय तक इस्तेमाल, ये सभी परिस्थितियाँ हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकती हैं। खासतौर पर मोटापे में शरीर की चर्बी ज्यादा एस्ट्रोजन बनाती है, जो एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को और बढ़ा देती है। इसी तरह, लंबे समय तक ओव्यूलेशन न होने के कारण भी शरीर में प्रोजेस्टेरोन की कमी हो सकती है, जो एंडोमेट्रियम पर सीधा प्रभाव डालती है।
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डॉक्टर की राय
डॉ. मंदीप सिंह का कहना है कि, मैं हमेशा सलाह देता हूं कि जिन महिलाओं को बार-बार अनियमित ब्लीडिंग, पीरियड्स का रुक-रुक कर होना, मेनोपॉज के बाद किसी भी तरह की स्पॉटिंग या बिना कारण पेल्विक फ्लोर में दर्द होने की समस्याओं को आम समझ कर अनदेखा नहीं करना चाहिए। बल्कि, समय पर जांच, जैसे पेल्विक एग्जाम, अल्ट्रासाउंड और जरूरत पड़ने पर एंडोमेट्रियल बायोप्सी, बीमारी को शुरुआती अवस्था में पहचानने में फायदेमंद हो सकती है।
हार्मोनल असंतुलन को ठीक रखने के टिप्स
बता दें कि लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव करके भी एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है। जिसके लिए आप
- संतुलित वजन बनाए रखें
- नियमित एक्सरसाइज करें
- डायबिटीज कंट्रोल में रखने से बचें
- थायराइड को मैनेज करें
- हार्मोन्स को संतुलित रखने की कोशिश करें
हार्मोनल असंतुलन एक सामान्य समस्या लग सकती है, लेकिन इसका सीधा असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है, जो एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए हार्मोन को संतुलित रखने के साथ इसकी नियमित जांच, अपने शरीर के संकेतों को समझना और हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करना बहुत जरूरी है।
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FAQ
एंडोमेट्रियल कैंसर के क्या लक्षण हैं?
एंडोमेट्रियल कैंसर का सबसे आम लक्षण असामान्य योनि से ब्लीडिंग है, जो पीरियड के बीच या मेनोपॉज के बाद हो सकता है। अन्य लक्षणों में असामान्य योनि डिस्चार्ज, पेट के निचले हिस्से में दर्द, पेशाब करने में मुश्किल और बिना कारण वजन घटना शामिल हैं।एंडोमेट्रियोसिस कैंसर कब बनता है?
एंडोमेट्रियोसिस कैंसर का कारण नहीं बनता है, बल्कि यह दो अलग-अलग बीमारियां हैं, जिसके जोखिम कारक अलग-अलग हो सकते हैं। एंडोमेट्रियोसिस गर्भाशय के बाहर टिशू के बढ़ने से बनता है, जबकि एंडोमेट्रियल कैंसर गर्भाशय की परत में सेल्स का असामान्य विकास है।मुझे कैसे पता चला कि मुझे गर्भाशय का कैंसर है?
आपको गर्भायस के कैंसर के बारे में सामान्य लक्षणों में योनि से असामान्य ब्लीडिंग, पेट दर्द और योनि से डिस्चार्ज में बदलाव से पता चल सकता है।
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Nov 25, 2025 16:17 IST
Published By : Katyayani Tiwari