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क्या हाई ट्राइग्लिसराइड्स से होने लगती है दस्त की समस्या? डॉक्टर से जानें

ट्राइग्लिसराइड्स हमारे शरीर में मौजूद एक प्रकार का फैट होता है जो एनर्जी का मुख्य सोर्स है। यहां जानिए, क्या शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने से दस्त की समस्या होने लगती है?
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क्या हाई ट्राइग्लिसराइड्स से होने लगती है दस्त की समस्या? डॉक्टर से जानें


ट्राइग्लिसराइड्स हमारे शरीर में एनर्जी का भंडार माने जाते हैं, लेकिन जब इनका लेवल ज्यादा बढ़ जाता है, तो शरीर इन्हें संभाल नहीं पाता और पैंक्रियाज (अग्नाशय) पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। यही स्थिति कई बार पैंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) यानी अग्नाशय की सूजन को जन्म देती है और इसके कारण अन्य समस्याएं शुरू हो सकती हैं। दरअसल, अग्नाशय ही वे एंजाइम बनाता है जो फैट और प्रोटीन को पचाने में मदद करते हैं। जब यह सूज जाता है, तो भोजन का फैट सही से टूट नहीं पाता और कई तरह की पाचन की समस्याएं होने लगती हैं। इस लेख में पारस हेल्थ, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसिन विभाग के एचओडी, डॉ आरआर दत्ता (Dr. RR Dutta, HOD, Internal Medicine, Paras Health, Gurugram) से जानिए, क्या हाई ट्राइग्लिसराइड्स से दस्त होने लगते हैं?

क्या उच्च ट्राइग्लिसराइड्स दस्त का कारण बन सकता है? - Can High Triglycerides Cause Diarrhea

डॉ आरआर दत्ता बताते हैं कि डायरिया यानी दस्त आमतौर पर इंफेक्शन, फूड पॉइजनिंग या पाचन संबंधी गड़बड़ियों से होता है लेकिन कुछ मामलों में, हाई ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल अप्रत्यक्ष रूप से डायरिया का कारण बन सकता है। दरअसल, जब ट्राइग्लिसराइड्स बहुत अधिक बढ़ जाते हैं, तो यह पैंक्रियाटाइटिस यानी अग्नाशय की सूजन का कारण बन सकते हैं। अग्नाशय (Pancreas) पाचन एंजाइम्स बनाता है जो फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स को तोड़ने में मदद करते हैं। जब यह सूज जाता है, तो भोजन का सही पाचन नहीं हो पाता, जिससे फैट सही से टूटता नहीं और स्टूल में फैटी पदार्थ आने लगते हैं, जो दस्त जैसी स्थिति पैदा कर सकती है और स्टूल पतला, चिकना और बदबूदार हो सकता है।

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हाई ट्राइग्लिसराइड्स कंट्रोल करने के तरीके - Ways to Control High Triglycerides

हाई ट्राइग्लिसराइड्स की समस्या को कंट्रोल करने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे यह समस्या सही हो सकती है।

1. सही डाइट अपनाएं

घी, मक्खन, तले हुए और मीठे फूड्स से परहेज करें, फाइबर युक्त भोजन जैसे ओट्स, सब्जियां, फल और साबुत अनाज खाएं। इसके अलावा पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं ताकि शरीर डिटॉक्स हो सके और प्रोबायोटिक युक्त दही या छाछ लें ताकि आंतों का स्वास्थ्य बेहतर रहे।

2. नियमित एक्सरसाइज करें

रोजाना कम से कम 30 मिनट वॉक या योगासन करें। सूर्य नमस्कार और कपालभाति जैसी क्रियाएं पाचन सुधारने और फैट घटाने में सहायक हैं।

high triglycerides

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3. शराब और धूम्रपान से दूरी

अल्कोहल ट्राइग्लिसराइड्स को तेजी से बढ़ाता है और पैंक्रियाज को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए इससे पूरी तरह बचें।

4. समय पर जांच करवाएं

अगर बार-बार डायरिया हो रहा है और खून की जांच में ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल की जांच करवाएं और डॉक्टर की सलाह लें।

निष्कर्ष

हाई ट्राइग्लिसराइड्स अपने आप डायरिया का कारण नहीं बनता लेकिन जब ये पैंक्रियाटाइटिस जैसी स्थिति को जन्म देता है, तो पाचन गड़बड़ होकर डायरिया या फैटी स्टूल का कारण बन सकता है। अगर आपको लगातार दस्त, पेट दर्द या फैटी मल की समस्या है, तो इसे हल्के में न लें। डॉक्टर से जांच करवाएं और बैलेंस डाइट, नियमित एक्सरसाइज और हेल्दी डेली रूटीन अपनाएं। इससे न केवल ट्राइग्लिसराइड्स कंट्रोल रहेंगे बल्कि पाचन तंत्र भी मजबूत रहेगा।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • डायरिया के मुख्य कारण क्या हैं?

    दूषित पानी या खाना, वायरस या बैक्टीरिया से इंफेक्शन, फूड एलर्जी, लैक्टोज इनटॉलरेंस, कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स के कारण डायरिया की समस्या हो सकती है।
  • क्या डायरिया से शरीर में कमजोरी आ सकती है?

    लंबे समय तक डायरिया रहने पर शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है, जिससे थकान, चक्कर और कमजोरी महसूस हो सकती है। इसलिए लगातार डायरिया में पर्याप्त पानी, ORS और हल्का भोजन लेना जरूरी है।
  • क्या तनाव से भी डायरिया हो सकता है?

    मानसिक तनाव और चिंता आंतों की गतिशीलता (intestinal motility) को प्रभावित करते हैं, जिससे Irritable Bowel Syndrome (IBS) जैसी स्थिति बन सकती है और दस्त की समस्या हो सकती है।

 

 

 

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  • Current Version

  • Nov 03, 2025 12:25 IST

    Published By : Akanksha Tiwari

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