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क्या हाई ब्लड प्रेशर की वजह से पैरों में दर्द हो सकता है? जानें डॉक्टर से सच्चाई

High BP and Leg Cramps: आमतौर पर लोग पैरों में दर्द को यह सोचकर इग्नोर कर देते हैं कि यह हड्डियों से जुड़ी से बीमारी है, लेकिन क्या इसके पीछे हाई बीपी की समस्या भी हो सकती है? इस लेख में डॉक्टर ने विस्तार से हाई बीपी और पैरों के दर्द को समझाया है।

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क्या हाई ब्लड प्रेशर की वजह से पैरों में दर्द हो सकता है? जानें डॉक्टर से सच्चाई


High BP and Leg Cramps: अक्सर देखते हैं कि जब पेट या छाती में दर्द होता है, तो तुरंत लोग अलर्ट हो जाते हैं, लेकिन पैरों के दर्द को लेकर नजरअंदाज कर देते हैं। लोग सोचते हैं कि पैरों का दर्द शायद थकान या जोड़ों का दर्द हो सकता है। तेल मालिश या आराम करने से ठीक हो जाएगा, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि जैसे हमारा हार्ट ब्लड फ्लो में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ठीक उसी तरह पैर की धमनियां भी शरीर के ब्लड फ्लो का जरूरी हिस्सा हैं। अगर पैर की आर्टरीज में ब्लॉकेज या रुकावट आती है, तो इस कंडीशन को पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (Peripheral Artery Disease - PAD) कहते हैं। क्या इसकी वजह हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है? इस बारे में हमने नोएडा के काश्वी अस्पताल के कॉर्डियोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. आशीष श्रीवास्तव (Dr Ashish Srivastava, Consultant Department of Cardiology, Kashvi Hospital, Noida) से बात की।

पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) क्या है?

इस बारे में डॉ. आशीष कहते हैं, “पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (Peripheral Artery Disease) में पैरों या टांगों की ब्लड आर्टरीज बहुत सिकुड़ जाती है या फिर सख्त हो जाती है, इस वजह से पैरों तक ब्लड फ्लो कम हो जाता है। अगर धमनियों में कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और फैट जमा हो जाए, तो इससे ब्लड फ्लो रुक जाता है। वैसे तो यह कंडीशन धीरे-धीरे ही बढ़ती है, लेकिन अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो हार्ट अटैक, स्ट्रोक या अंग काटने जैसी स्थिति हो सकती है। पैरों की आर्टरीज में ब्लॉकेज उतना ही खतरनाक है जितना दिल की धमनियों में और अगर इसे इग्नोर किया जाए तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं।”

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क्या हाई ब्लड प्रेशर से PAD का रिस्क बढ़ता है?

डॉ. आशीष कहते हैं, “दरअसल, हाई ब्लड प्रेशर लगातार आर्टरीज पर प्रेशर डालता है, जिससे यह दबाव धीरे-धीरे उनकी अंदरूनी परत को भी नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे फैटी प्लाक्स जमने लगता है, जिससे धमनियां सख्त हो जाती है और इस तरह हार्ट की कोरोनरी धमनियों में ब्लॉकेज होती है। यही प्रोसेस पैरों की धमनियों में होता है, तो इसे पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (Peripheral Artery Disease) कहते हैं। तो कहने का मतलब है कि ब्लड प्रेशर सिर्फ हार्ट को नहीं, बल्कि पैरों पर भी असर डालता है।”

PAD के लक्षण क्या हैं?

डॉ. आशीष ने कहा कि पेरिफेरल आर्टरी डिजीज के शुरुआती लक्षण बहुत हल्के हो सकते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह बढ़ते जाते हैं। इसलिए शुरुआती लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।

  1. चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर पैरों, पिंडलियों या जांघों में दर्द या ऐंठन होना
  2. पैरों या पंजों में ठंडक महसूस होना
  3. पैरों के बाल झड़ना या स्किन का रंग बदलना
  4. अगर पैरों में जख्म या अल्सर ठीक न हो रहे हो
  5. पैरों में कमजोरी महसूस होना
  6. नाखूनों का कमजोर होना

PAD का डायग्नोज कैसे करें?

डॉ. आशीष कहते हैं,”इस बीमारी का चेकअप बिना किसी दर्द के किया जाता है। इसमें डॉक्टर मरीज बांह और टखने का ब्लड प्रेशर मापा जाता है और दोनों की तुलना करते हैं। अगर टखनों का प्रेशर बांह से काफी कम है तो इसका मतलब है कि पैरों की आर्टरीज सिकुड़ रही हैं। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई से भी धमनियों की सटीक जानकारी लेते हैं।”

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क्या हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करके PAD से बचा जा सकता है?

डॉ. आशीष कहते हैं, “बिल्कुल, हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करके PAD के रिस्क से काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए मरीज को रेगुलर BP चेक कराना, नमक की मात्रा कम लेना, स्ट्रेस न लेना, नींद पूरी लेना और फिजिकली एक्टिव रहना चाहिए।”

पैरों की धमनियों में ब्लॉकेज को मैनेज करने के तरीके

डॉ. आशीष ने पैरों के दर्द को रोकने के लिए कुछ टिप्स दिए हैं।

  1. PAD के शुरुआती लक्षणों को कम करने के लिए मरीजों को ज्यादा चलना चाहिए। इससे पैरों में ब्लड फ्लो बढ़ता है।
  2. मरीजों को बिल्कुल भी स्मोकिंग न करें।
  3. वजन कंट्रोल करना चाहिए, इससे ब्लड प्रेशर और शुगर दोनों कंट्रोल में रहे।
  4. डॉक्टर की सलाह पर ब्लड प्रेशर की दवाइयां लें।
  5. किसी भी दवाई को बिना डॉक्टर की सलाह के न छोड़ें।
  6. गंभीर मामलों में जब ब्लड फ्लो बहुत कम हो जाता है, तो एंजियोप्लास्टी की जाती है।
  7. कुछ मामलों में बायपास सर्जरी भी की जा सकती है ताकि ब्लड फ्लो के लिए नया रास्ता बनाया जा सके।

निष्कर्ष

डॉ. आशीष ने जोर देते हुए कहा कि कोई भी पैरों के दर्द को हल्का न लें और अगर चलने में दर्द, जकड़न या थकान महसूस हो, तो यह PAD के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। इसलिए ऐसा महसूस होने पर ब्लड प्रेशर जरूर चेक करना चाहिए, साथ ही बीपी को कंट्रोल करना पैर और हार्ट दोनों के लिए जरूरी है। किसी भी तरह के लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर से चेकअप कराएं ताकि समय पर इलाज होने से हार्ट और स्ट्रोक के रिस्क को कम किया जा सके।

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  • Oct 28, 2025 19:23 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Oct 28, 2025 19:22 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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