अस्थमा एक क्रॉनिक रेस्पिरेटरी समस्या है, जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न, खांसी और घरघराहट की शिकायत होती है। गर्मी, ठंड, धूल, धुआं, एलर्जी या तनाव जैसी कई वजहें अस्थमा अटैक का कारण बन सकती हैं। कई बार दवाएं, अस्थमा के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए जरूरी होती हैं, लेकिन नियमित ब्रीदिंग एक्सरसाइज यानी सांस लेने की विशेष तकनीक या ब्रीदिंग तकनीक भी अस्थमा को मैनेज करने में बेहद मददगार साबित होती हैं। इन ब्रीदिंग एक्सरसाइज का मुख्य उद्देश्य होता है फेफड़ों की क्षमता बढ़ाना, श्वास को कंट्रोल करना और शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई को बेहतर बनाना। खास बात यह है कि इन एक्सरसाइज को घर पर ही आसानी से किया जा सकता है और इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। हालांकि इन्हें करने का सही तरीका जानना बहुत जरूरी है, ताकि आपको इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। इस लेख में हम आपको बताएंगे 3 बेहद असरदार ब्रीदिंग एक्सरसाइज, जिनके नियमित अभ्यास से अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है। साथ ही जानेंगे इन एक्सरसाइज को करने के स्टेप्स और उनके फायदे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के विकास नगर की निवासी और फिटनेस एक्सपर्ट पायल अस्थाना से बात की।
1. डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग- Diaphragmatic Breathing
डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग को बेली ब्रीदिंग भी कहा जाता है। इसमें आप अपने डायाफ्राम (मूल पेट की मांसपेशी) का इस्तेमाल करके गहराई से सांस लेते हैं, जिससे फेफड़े पूरी तरह से भरते और खाली होते हैं।
फायदे:
- फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
- ऑक्सीजन का फ्लो बेहतर होता है।
- स्ट्रेस कम होता है और सांस की तकलीफ में राहत मिलती है।
कैसे करें?:
- पीठ के बल लेट जाएं या आराम से बैठ जाएं।
- एक हाथ अपने पेट पर और एक हाथ छाती पर रखें।
- नाक से धीरे-धीरे और गहराई से सांस लें, ध्यान दें कि पेट वाला हाथ ऊपर उठे लेकिन छाती वाला स्थिर रहे।
- अब मुंह से धीरे-धीरे सांस छोड़ें, पेट को हल्का दबाते हुए।
- इसे रोजाना 5 से 10 मिनट तक करें।
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2. पर्स्ड लिप ब्रीदिंग- Pursed Lip Breathing
यह तकनीक, विशेष रूप से अस्थमा या सीओपीडी के मरीजों के लिए फायदेमंद है। इसमें आप धीरे-धीरे और कंट्रोल ढंग से सांस छोड़ते हैं, जिससे एयरवेज खुले रहते हैं और फेफड़ों पर दबाव नहीं पड़ता।
फायदे:
- सांस लेने में आसानी होती है।
- ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है।
- सीने में जकड़न कम होती है।
कैसे करें?:
- सीधी मुद्रा में बैठ जाएं।
- नाक से गहरी सांस लें (2 सेकंड तक)।
- होंठों को ऐसे रखें जैसे सीटी बजा रहे हों।
- अब 4 सेकंड तक धीरे-धीरे मुंह से सांस छोड़ें।
- इस प्रक्रिया को 5-10 मिनट तक दोहराएं।
3. अनुलोम विलोम प्राणायाम- Anulom Vilom Pranayama
यह एक पारंपरिक योग तकनीक है जिसमें नाक के एक छेद से सांस लेकर दूसरे से बाहर छोड़ा जाता है। यह सांसों को संतुलित करने और मन को शांत करने में मदद करता है।
फायदे:
- स्ट्रेस के लक्षणों और चिंता को कम करता है।
- श्वसन तंत्र को मजबूत बनाता है।
- फेफड़े साफ होते हैं और अस्थमा के लक्षणों में कमी आती है।
कैसे करें?:
- आराम से पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं।
- दाहिने हाथ की अंगूठी अंगुली से बाएं नाक के छेद को बंद करें और दाहिने से सांस लें।
- अब दाहिना नाक के छेद को बंद करके बाएं से सांस छोड़ें।
- अब बाएं से ही सांस लें और दाएं से छोड़ें।
- इस प्रक्रिया को 5 से 10 मिनट तक करें।
अस्थमा के लक्षणों को कम करने और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज एक आसान और असरदार तरीका है। डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग, पर्स्ड लिप ब्रीदिंग और अनुलोम-विलोम जैसे अभ्यास फेफड़ों की ताकत को बढ़ाते हैं, शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को दुरुस्त करते हैं और अस्थमा से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
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FAQ
अस्थमा में कौन सी एक्सरसाइज करनी चाहिए?
अस्थमा में हल्की और नियंत्रित ब्रीदिंग एक्सरसाइज करनी चाहिए जैसे डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग, पर्स्ड लिप ब्रीदिंग और अनुलोम-विलोम प्राणायाम। ये फेफड़ों को मजबूत बनाती हैं।ब्रीदिंग एक्सरसाइज कैसे करें?
आरामदायक स्थिति में बैठें, नाक से गहरी सांस लें और मुंह या नाक से धीरे-धीरे छोड़ें। सांसों पर फोकस रखें और रोज 5-10 मिनट के लिए प्रैक्टिस करें।क्या प्राणायाम से अस्थमा ठीक हो सकता है?
प्राणायाम अस्थमा को पूरी तरह ठीक नहीं करता, लेकिन लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल कर सकता है और सांस लेने की क्षमता को बेहतर बनाता है।