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क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज(COPD) एक सांस से जुड़ी फेफड़ों की बीमारी है। इस बीमारी में वायु मार्ग में सूजन हो जाती है और वे डैमेज हो जाते हैं, जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है। COPD आमतौर पर स्मोकिंग के कारण होती है। इस बीमारी के कारण डिसप्निया यानी सांस फूलने की समस्या होती है। यह सिर्फ शारीरिक समस्या नहीं है, बल्कि इसमें मरीज के शरीर में हवा की कमी हो जाती है, जिसके कारण सांस फूलने की समस्या काफी आम है। इस बीमारी के साथ जी रहे लोग सिर्फ दवाइयों से नहीं, बल्कि सही तकनीकों और प्रशिक्षण की मदद से अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं। ऐसे में आइए पुणे के पिंपरी में स्थित डीपीयू सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के चीफ लंग ट्रांसप्लांट फिजिशियन और इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राहुल केंद्रे से जानते हैं कि COPD मरीजों में सांस फूलने की समस्या को कैसे कंट्रोल कर सकते हैं?
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COPD में सांस फूलने की समस्या कंट्रोल करने के उपाय
इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राहुल केंद्रे के अनुसार, COPD के मरीजों में सांस फूलने की समस्या काफी आम है, इसलिए आप इस समस्या से राहत पाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें-
1. पर्स्ड-लिप ब्रीदिंग
पर्स्ड-लिप ब्रीदिंग सांस पर कंट्रोल करने का आसान लेकिन बहुत ही प्रभावी तरीका है। PLB एक ऐसी तकनीक है, जिसे कोई भी मरीज कभी भी, किसी भी स्थान पर कर सकता है। इसका उद्देश्य फेफड़ों में हवा फंसने की समस्या को कम करना और सांस को ज्यादा प्रभावी बनाना है। इस तकनीक को करने के लिए-
- नाक से धीरे-धीर सांस लें।
- फिर होंठों को सीटी बजाने जैसे पोजिशन में लाएं।
- इसके बाद धीरे-धीरे और कंट्रोल तरीके से मुंह से सांस बाहर छोड़ें।
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इस प्रक्रिया से PEEP (Positive End-Expiratory Pressure) बनती है, जो आपके शरीर की छोटी वायु नलिकाओं को खुला रखती है और उन्हें समय से पहले बंद होने से रोकती है। इस प्रक्रिया से फेफड़ों में कम हवा फंसती है, हाइपरइन्फ्लेशन कम होता है और मरीज को सांस लेने में ज्यादा आराम महसूस होता है।
2. सही बॉडी पोजिशनिंग
त्रिपोड पोजीशन से सांस की मांसपेशियों का ज्यादा इस्तेमाल होता है। सांस फूलने की स्थिति में शरीर का पॉश्चर बहुत मायने रखता है। Forward-leaning tripod position एक ऐसी तकनीक है, जो काफी राहत पहुंचाती है। इस प्रक्रिया को करने के लिए-
- एक कुर्सी पर बैठ जाएं
- शरीर को थोड़ा आगे की ओर झुकाएं।
- दोनों कोहनी या हाथ सामने रखकर मेज पर टिकाएं या घुटनों पर रखें।
इस पोजीशन से सांस की मांसपेशियां ज्यादा प्रभावी तरीके से काम करती है। डायाफ्राम की लंबाई-तनाव संबंध बेहतर होती है। मरीज को कम एनर्जी खर्च करके ज्यादा हवा अंदर लेने में मदद मिलती है।
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3. पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन
पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में एक्सरसाइज और एंड्यूरेंस ट्रेनिंग, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, पोषण से जुड़ी काउंसलिंग, श्वसन तकनीक और बड़ों का वैक्सीनेशन शामिल है। इसे करने से सांस फूलने की समस्या कम होती है, लाइफ क्वालिटी अच्छी होती है।
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4. पोषण और हार्मोनल ट्रीटमेंट
गंभीर कैकेक्सिया या ज्यादा वजन या मांसपेशी की कमी होने की स्थिति में कुछ मरीजों को सीमित और सावधानी से इस्तेमाल किए गए एनाबॉलिक स्टेरॉयड से फायदा हो सकता है। यह ट्रीटमेंट सिर्फ एक्सपर्ट पल्मोनोलॉजिस्ट की देखरेख में ही देना चाहिए, क्योंकि इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं।
निष्कर्ष
COPD मरीज के जीवन को काफी चुनौतीपूर्ण बना सकता है, लेकिन सही तकनीकों और समय पर रिहैबिलिटेशन की मदद से मरीज अपनी सांस पर दोबारा कंट्रोल पा सकता है।
Image Credit: Freepik
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FAQ
सीओपीडी कैसे ठीक होता है?
COPD को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसके कारण फेफड़ों को जो नुकसान होता है वह स्थायी होता है। हालांकि, इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है और बीमारी को बिगड़ने से रोकने के लिए कई ट्रीटमेंट लिए जा सकते हैं।सीओपीडी होने के क्या कारण हैं?
COPD होने का मुख्य कारण स्मोकिंग है, लेकिन इसके अन्य कारणों में लंबे समय तक हानिकारक धूल और धुएं के संपर्क में रहना, वायु प्रदूषण और कुछ जेनेटिक कारण शामिल हैं।सीओपीडी के 4 मुख्य लक्षण क्या है?
COPD होने पर आपके शरीर में कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, जिसमें सांस फूलना, पुरानी खांसी, घरघराहट और सीने में जकड़न की समस्या है।
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Nov 19, 2025 16:04 IST
Published By : Katyayani Tiwari