-1763530395322.webp)
सीओपीडी यानी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज एक लंबे समय तक चलने वाली फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में वायु मार्ग संकरे हो जाते हैं और फेफड़ों में हवा का फ्लो कम हो जाता है। इसका सबसे आम कारण स्मोकिंग, प्रदूषण, केमिकल के संपर्क में आना और जेनेटिक कारण हैं। COPD के मरीजों को लगातार खांसी, बलगम, थकान और सांस फूलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं, दूसरी ओर मोटापा आज के समय में विश्व स्तर पर एक गंभीर समस्या बन चुका है। जब मोटापा और COPD एक साझ होते हैं तो ये दोनों स्थिति में एक-दूसरे को और ज्यादा गंभीर बना देती हैं। ऐसे में आइए दिल्ली के PSRI अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. नीतू जैन ((Dr. Neetu Jain, Senior Consultant Pulmonologist, PSRI Hospital, Delhi) से जानते हैं कि मोटापा COPD की समस्या को कैसे प्रभावित करता है?
इस पेज पर:-
मोटापा COPD को कैसे प्रभावित करता है?
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. नीतू जैन के अनुसार, मोटापा हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, ऐसे में COPD के मरीजों के लिए भी ये स्थिति गंभीर हो सकती है, आइए जानते हैं कैसे-
1. फेफड़ों और डायाफ्राम पर बढ़ता दबाव
मोटापे का सबसे सीधा असर हमारे फेफड़ों की यांत्रिकी पर पड़ता है। पेट और सीने के आसपास जमी चर्बी डायाफ्राम को नीचे धकेलने की क्षमता को कम कर देती है। डायाफ्राम वह प्रमुख मांसपेशी है, जो सांस लेने में सबसे ज्यादा मदद करती है। जब यह अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पाती है तो फेफड़ों का फैलने और सिकुड़ने की क्षमता सीमित हो जाती है, जिससे गहरी सांस लेने में मुश्किल, थोड़ी शारीरिक गतिविधि में भी सांस फूलना, सीने में भारीपन, जल्दी थकान आदि समस्याएं हो सकती हैं।
इसे भी पढ़ें: COPD मरीजों के लिए सेकेंडहैंड स्मोक कितना खतरनाक? जानें डॉक्टर की सलाह
2. शरीर में बढ़ती सूजन
COPD खुद शरीर में सूजन का कारण बनने वाली बीमारी है, जिसमें वायुमार्गों और फेफड़ों के टिशू में सूजन रहती है। दूसरी ओर, मोटापा भी शरीर में क्रोनिक लो-ग्रेड इंफ्लेमेशन का कारण बनता है, यानी एक लगातार हल्की लेकिन बड़ी सूजन। जब ये दोनों स्थितियां साथ होती है तो शरीर में सूजन का स्तर बढ़ जाता है, वायुमार्ग ज्यादा सेंसिटिव हो सकता है, सांस लेने में कमी और खांसी की समस्या बढ़ सकती है और बार-बार बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।
3. शारीरिक क्षमता और सहनशक्ति में कमी
मोटापा शारीरिक गतिविधियों को सीमित कर देता है। ज्यादा वजन होने के कारण व्यक्ति जल्दी थक जाता है, घुटनों और कमर पर ज्यादा दबाव बढ़ता है और रोजाना के काम करना काफी मुश्किल लगने लगता है। COPD मरीजों के लिए शारीरिक गतिविधियां करना और एक्टिव रहना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है, सांस लेने वाली मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, वजन कंट्रोल करने में मदद करता है। हालांकि मोटापे के कारण जब आपकी गतिविधियां कम हो जाती हैं तो मरीज की सहनशक्ति कम हो जाती है, शरीर के टिशू में ऑक्सीजन कम होने लगती है, सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं।
इसे भी पढ़ें: क्या खराब AQI में हर समय छाती में भारीपन होना नॉर्मल है? जानें कैसे पाएं छुटकारा
COPD के इलाज पर मोटापे का प्रभाव
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. नीतू जैन का कहना है कि मोटापा सीओपीडी के इलाज की प्रभावशीलता को भी प्रभावित कर सकता है, जैसे-
- इनहेलर का सही इस्तेमाल करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि गहरी सांस लेना इस स्थिति में काफी मुश्किल होता है।
- कुछ दवाओं की खुराक कम या ज्यादा असर दिखा सकती है, क्योंकि मोटापे में दवा का अवशोषण बदल जाता है।
- स्लीप एप्निया होने पर सी-पैप जैसी मशीनों की जरूरत पड़ सकती है, ताकि सांस लेना आसान हो सके।
-1763530416273.jpg)
वजन नियंत्रण क्यों आवश्यक है?
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. नीतू जैन के मुताबिक COPD के मरीजों के लिए वजन कंट्रोल में रखना इसलिए जरूरी है क्योंकि-
- सांस लेने में सुधार होता है
- फेफड़ों पर कम दबाव पड़ता है
- सूजन के कमी आती है
- दवाएं बेहतर तरीके से असर करती हैं
- शारीरिक क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है
- जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है
निष्कर्ष
मोटापा और COPD दोनों ही अलग-अलग गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है, लेकिन जब ये दोनों एक साथ होती हैं तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। मोटापा फेफड़ों की कार्यक्षमता को कम करता है, सूजन को बढ़ाता है, शारीरिक गतिविधियों की क्षमता को कम करता है और COPD के इलाज को मुश्किल बना सकता है। इसलिए, जरूरी है कि COPD के मरीज अपने वजन को कंट्रोल में रखें।
Image Credit: Freepik
यह विडियो भी देखें
FAQ
तुरंत मोटापा कैसे कम करें?
एक हेल्दी, हाई प्रोटीन वाले नाश्ते के साथ दिन की शुरुआत करना वजन कम करने का एक बेहतरीन तरीका हो सकता है। इसके साथ ही अपनी डाइट में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं और कैलोरी की मात्रा को कम करें, नियमित शारीरिक गतिविधियां करें ताकि वजन कम करने में मदद मिल सके।मोटापा बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?
मोटापा बढ़ने का मुख्य कारण ज्यादा कैलोरी का सेवन और कम शारीरिक गतिविधियां करना हो सकता है। इसके अन्य कारणों में जेनेटिक, हार्मोनल बदलाव, नींद की कमी और कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट भी शामिल है।मोटापा किसकी कमी से होता है?
मोटापा किसी एक चीज की कमी के कारण नहीं बढ़ता है, बल्कि यह विटामिन डी की कमी सहित कई कारणों से हो सकता है, जिसमें खराब लाइफस्टाइल, अनहेल्दी खानपान, पर्याप्त नींद न लेना और बहुत ज्यादा तनाव लेना है।
Read Next
Joint Pain: स्ट्रेस बन सकता है जोड़ों के दर्द की वजह? डॉक्टर से जानें वजह और मैनेज करने के तरीके
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version
Nov 19, 2025 11:05 IST
Published By : Katyayani Tiwari