Doctor Verified

Joint Pain: स्ट्रेस बन सकता है जोड़ों के दर्द की वजह? डॉक्टर से जानें वजह और मैनेज करने के तरीके

Stress can Cause Joint Pain: स्ट्रेस के कारण जोड़ों में दर्द होना आम है क्योंकि आज के लाइफस्टाइल में स्ट्रेस भी सामान्य हो गया है। इसलिए स्ट्रेस के साथ जोड़ों के दर्द को भी मैनेज करना बहुत महत्वपूर्ण है। इस लेख में स्ट्रेस से होने वाले जोड़ों के दर्द के कारणों को विस्तार से बताया है।

  • SHARE
  • FOLLOW
Joint Pain: स्ट्रेस बन सकता है जोड़ों के दर्द की वजह? डॉक्टर से जानें वजह और मैनेज करने के तरीके

Stress can Cause Joint Pain: जब भी जोड़ों के दर्द की बात की जाती है, तो उसमें उम्र, चोट या किसी गंभीर बीमारी की ही बात होती है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जो लोग रोजमर्रा का स्ट्रेस लेते हैं, इसका असर भी जोड़ों पर पड़ता है। आजकल वैसे भी स्ट्रेस हर किसी की लाइफ का हिस्सा बन चुका है, ऐसे में स्ट्रेस का प्रभाव जॉइंट्स पर पड़ सकता है। स्ट्रेस कैसे जोड़ों के दर्द को बढ़ाता है और इसे कैसे मैनेज किया जा सकता है, इस बारे में हमने नवीं मुंबई के खारघर में मेडिकवर अस्पताल के ऑर्थोपेडिक कंसल्टेंट डॉ. रोहन भिवगड़े (Dr Rohan Bhiwgade, Consultant Orthopedic, Medicover Hospitals, Kharghar, Navi Mumbai) से बात की।


इस पेज पर:-


स्ट्रेस कैसे बढ़ाता है जोड़ों का दर्द?

डॉ. रोहन कहते हैं, “स्ट्रेस शरीर में कई तरह के केमिकल बदलाव लाता है, जो धीरे-धीरे शरीर में सूजन बढ़ाता है, मसल्स को टाइट करता है और जोड़ों पर दबाव डालकर दर्द को बढ़ा देता है। अगर लंबे समय तक दर्द बना रहता है, तो यह आर्थराइटिस जैसे पुराने जोड़ दर्द को और खराब कर सकता है।”

stress cause joint pain in hindi doctor quotes

इसे भी पढ़ें: क्या मोटापे के कारण अर्थराइटिस हो सकता है? जानें क्या है इनके बीच कनेक्शन

शरीर में सूजन बढ़ना

जब शरीर स्ट्रेस में होता है, तो यह कॉर्टिसोल हार्मोन रिलीज करता है और अगर यह लंबे समय तक रहता है, तो इससे शरीर में सूजन बढ़ने लगती है। ये सूजन पुराने जॉइंट के दर्द को बढ़ा देती है और किसी को आर्थराइटिस की समस्या होती है, तो स्ट्रेस उसे ट्रिगर कर सकता है। इसके अलावा, शरीर की हीलिंग प्रोसेस को भी कम करता है। स्ट्रेस का असर सबसे ज्यादा घुटनों, कमर और कंधों में ज्यादा देखने को मिलता है।

स्ट्रेस में मसल्स टाइट होना

डॉ. रोहन कहते हैं कि कई बार टेंशन में कंधे अपने आप उठ जाते हैं, कई बार जबड़ा जकड़ जाता है या गर्दन में खिंचाव आ सकता है। यह सब इसलिए होता है क्योंकि स्ट्रेस के दौरान मसल्स खुद-ब-खुद टाइट हो जाते हैं। इसका असर जोड़ों पर पड़ता है। मसल्स टाइट होने पर घुटनों में अकड़न, पीठ दर्द, गर्दन में दर्द और कंधों में खिंचाव हो सकता है।

स्ट्रेस से लाइफस्टाइल बिगड़ना

जब स्ट्रेस होता है, तो नींद कम आती है, जंक फूड ज्यादा खाया जाता है, पानी कम पिया जाता है और लोग वॉक या एक्सरसाइज भी छोड़े देते हैं। ये सभी फैक्टर्स मिलकर शरीर में सूजन और वजन बढ़ देते हैं। सूजन और वजन से जोड़ कमजोर होते हैं और स्ट्रेस बढ़ने पर जोड़ों पर असर पड़ता है।

स्ट्रेस से जोड़ों के दर्द को कैसे मैनेज करें?

डॉ. रोहन कहते हैं कि अगर स्ट्रेस की वजह से जोड़ों में दर्द हो, तो मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होने लगता है और सिरदर्द के साथ थकान और दर्द होने लगता है। इसलिए इसे मैनेज करना बहुत जरूरी है और जॉइंट हेल्थ को स्ट्रेस से बचाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है रिलैक्स होना।

डीप ब्रीदिंग और मेडिटेशन

स्ट्रेस कम करने के लिए गहरी सांस लें और इससे शरीर शांत हो जाता है और कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर कम होने लगता है। इसे रोजाना कम से कम 5 से 10 मिनट करें। इस छोटी सी प्रैक्टिस से मसल्स की टाइटनेस कम होता है और जोड़ दर्द को भी राहत देता है।

इसे भी पढ़ें: Joint Pain में सीढ़ियां चढ़ना क्यों किया जाता है मना? डॉक्टर से जानें कारण और मैनेज करने के तरीके

वॉक करना

रोजाना कम से कम 20–30 मिनट वॉक जरूर करें। इससे घुटनों को मजबूती मिलती है, वजन कंट्रोल रहता है, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और स्ट्रेस कम होता है। जॉइंट हेल्थ के साथ-साथ स्ट्रेस को कम करने का यह असरदार तरीका है।

नींद पूरी करना

जब भी नींद पूरी नहीं होती, इसका असर शरीर पर पड़ता है। अगर 7 से 8 घंटे तक नींद पूरी नहीं होती, तो इससे शरीर में सूजन बढ़ जाती है और मसल्स टाइट हो जाती है। इसलिए स्ट्रेस लेवल को कम करने के लिए नींद पूरी करना जरूरी है। इससे जॉइंट का दर्द खुद-ब-खुद कम होने लगता है।

बैलेंस्ड डाइट से स्ट्रेस कम करना

अगर डाइट में हरी सब्जियां, फल, ओमेगा-3 फूड्स, नट्स और सीड्स और पर्याप्त मात्रा में पानी पिया जाए, तो भी स्ट्रेस कम हो सकता है। डाइट में जंक फूड, नमक और चीनी का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए क्योंकि ये जॉइंट इंफ्लेमेशन को बढ़ाते हैं, इसलिए इन्हें कम करना जरूरी है।

योग और माइंडफुलनेस

स्ट्रेस कम करने का सबसे आसान तरीका योग है। इससे मसल्स खुलते हैं, लचीलापन बढ़ता है और जोड़ों पर स्ट्रेस कम होता है। इसी तरह से माइंडफुलनेस शरीर और ब्रीदिंग पर ध्यान देना जरूरी है। इसका सीधा असर जॉइंट पेन कम करने पर पड़ता है।

निष्कर्ष

डॉ. रोहन कहते हैं कि अगर जॉइंट में दर्द लगातार एक से दो हफ्ते तक रहे, जोड़ों में सूजन रहे या चलने-फिरने में दिक्कत हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। समय पर चेक कराने से जॉइंट को नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके अलावा, स्ट्रेस दिमाग को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह शरीर को भी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए जोड़ों के दर्द से बचने के लिए स्ट्रेस को मैनेज करना सीखें।

यह विडियो भी देखें

FAQ

  • जोड़ों में दर्द किसकी कमी से होता है?

    जोड़ों का दर्द विटामिन डी की कमी की वजह से हो सकता है। विटामिन डी हड्डियों को मजबूत रखने, कैल्शियम अवशोषण और सूजन को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है। विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस और जोड़ों में सूजन का रिस्क बढ़ सकता है। 
  • जॉइंट पैन को कैसे ठीक करें?

    जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए गर्म या ठंडी सिकाई, हल्की कसरत, पेनकिलर दवाइयां और सूजन कम करने वाली दवाइयां ली जा सकती है। इसके साथ लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी जॉइंट पेन को कम किया जा सकता है। 
  • जॉइंट इन्फेक्शन क्या होता है?

    जॉइंट इंफेक्शन अर्थराइटिस में जोड़ के तरल और टिश्यू में इंफेक्शन हो जाता है, जो आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण होता है लेकिन कभी-कभी यह वायरस या फंगस के कारण भी होता है। बैक्टीरिया, वायरस या फंगस, ब्लड फ्लो के जरिए या आसपास हुए किसी इंफेक्शन के जोड़ में पहुंच जाते हैं, जिनकी वजह से इंफेक्शन होता है।

 

 

 

Read Next

Hyperarousal क्या है? जानें इसके लक्षण और कारण

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version

  • Nov 17, 2025 16:54 IST

    Published By : Aneesh Rawat

TAGS