
Chhath Puja 2025: जब भी छठ पूजा की बात होती है, तो आमतौर पर महिलाओं ही सूर्य को अर्घ्य देते हुए दिखती हैं। तस्वीरों में भी व्रती महिला और उनका परिवार छठी मैया की पूजा करते दिखता है। ऐसे में जब पुरुष छठ उपवास रखते हैं, तो उनके व्रत रखने की वजह जानना और किस तरह वह छठ का उपवास करते हैं, यह जानना काफी दिलचस्प हो जाता है। इसी सिलसिले में हमने भी बिहार के सासाराम के डॉ. विश्वनाथ प्रसाद से छठ पूजा से जुड़ी बातचीत की और उनसे जाना कि 80 साल की उम्र में होते हुए भी वह इस निर्जला व्रत को कैसे करते हैं और क्या तैयारियां करते हैं? डॉ. विश्वनाथ रिटायर्ड सरकारी डॉक्टर रहे हैं और अब अपने क्लिनिक के जरिए लोगों की सेवा करते हैं। इस लेख में डॉ. विश्वनाथ प्रसाद ने छठ पूजा को डॉक्टर के नजरिये से भी बताया है।
छठ का उपवास रखने की क्या वजह थी?
इस बारे में डॉ. विश्वनाथ कहते हैं, “मैं पिछले करीब 25 साल से छठ का व्रत रख रहा हूं। इसके पीछे धार्मिक वजह कम थी। मैं सूर्य भगवान को आभार जताना चाहता था क्योंकि सूरज से हमें रोशनी और जीवन दोनों मिलते हैं। इसलिए मैंने उनका आभार जताने का निश्चय किया और इसी श्रद्धा के चलते छठ का उपवास रखने का फैसला किया। अगर डॉक्टर के नजरिए से देखूं तो भी मैं मानता हूं कि छठ सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ने का तरीका है, जो मन और शरीर दोनों को शुद्ध और शांत करता है।”

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छठ के व्रत से पहले की तैयारी क्या होती है?
डॉ. विश्वनाथ कहते हैं, “छठ के उपवास से पहले मैं डॉक्टर होने के नाते कुछ बातों का खास ध्यान देता हूं। मैं उपवास से पहले पर्याप्त मात्रा में लिक्विड और फल लेता हूं ताकि शरीर में नमी और एनर्जी बनी रहे। नारियल पानी, दूध, फल और हल्का संतुलित वेजिटेरियन खाना शरीर को व्रत के लिए तैयार करता है। इसके अलावा, कैफीन, तली-भुनी चीजें और ज्यादा नमक खाने से बचना चाहिए। कई बार लोगों को देखा है कि उपवास से पहले तला-भुना खाना खाते हैं, इससे निर्जला व्रत करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसलिए मैं लोगों को सलाह देता हूं कि व्रत से पहले शरीर को हाइड्रेट जरूर रखें।”
योग और मेडिटेशन से छठ का उपवास करने में मिलती है मदद
डॉ. विश्वनाथ कहते हैं, “हालांकि कई लोगों को शायद 36 घंटे तक बिना पानी रहना मुश्किल लग सकता है, लेकिन मुझे यह मुश्किल नहीं लगता। इसकी वजह योग और मेडिटेशन है। मैं रोजाना योग और मेडिटेशन करता हूं, जिससे मेरा मन और शरीर दोनों स्थिर रहते हैं और नींद की भी कोई समस्या नहीं होती। उपवास से पहले शरीर को हाइड्रेट करने की वजह से मुझे उपवास के दिन प्यास भी महसूस नहीं होती।”

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क्या छठ पूजा में 36 घंटे निर्जला व्रत करने के बाद कमजोरी महसूस होती है?
डॉ. विश्वनाथ कहते हैं, “देखिए, निर्जला उपवास का कुछ असर तो शरीर पर जरूर पड़ता है। कुछ घंटों बाद शरीर में हल्की कमजोरी तो महसूस होती ही है, लेकिन जब व्रत पूरा होता है, तो फलाहार और पानी से शरीर सामान्य हो जाता है। इसके साथ हमें यह भी देखना चाहिए कि उपवास करने से शरीर में मौजूद सभी टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं और शरीर इस व्रत के जरिए डिटॉक्सिफाई हो जाता है। शरीर के डिटॉक्स होने से डाइजेशन और इम्यूनिटी दोनों मजबूत होते हैं।”
क्या पुरुषों को छठ का उपवास करना चाहिए?
इस बारे में डॉ. विश्वनाथ ने बताया, “आमतौर पर महिलाएं ही छठ का उपवास रखती हैं, लेकिन मेरा मानना है कि फास्टिंग को जेंडर से जोड़कर नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह सेहत से जुड़ा मामला है। महिला हो या पुरुष हर किसी को उपवास की प्रैक्टिस करनी चाहिए। इससे शरीर हल्का महसूस होता है, मन शुद्ध होता है और सेल्फ कंट्रोल सीखने को मिलता है। इसलिए मैं पर्सनली छठ के उपवास या किसी भी उपवास को जेंडर से नहीं जोड़ता, बल्कि मैं सभी से कहना चाहूंगा कि छठ का उपवास सभी को करना चाहिए ताकि इससे शरीर सेहतमंद रहे।”

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छठ के उपवास के बाद खुद को नार्मल कैसे करें?
इस बारे में डॉ. विश्वनाथ कहते हैं, “ उपवास के बाद लोगों को धीरे-धीरे सामान्य भोजन करना चाहिए। व्रत पूरा होते ही तुरंत भारी भोजन न करें, बल्कि जैसे मैं सबसे पहले दूध, फल और नारियल पानी लेता हूं और हल्का खाना जैसे दलिया या मूंग की दाल लेता हूं। व्रत के बाद शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ मैं यह भी कहना चाहूंगा कि हाई बीपी, अस्थमा, डायबिटीज या किसी भी तरह की बीमारी की दवाई लेने वाले लोगों को उपवास रखने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। अगर शरीर सहन कर सके, तभी निर्जला उपवास करें और उपवास करने का फैसला इमोशनल होकर नहीं, बल्कि अपनी सेहत देखकर ही करें।”
फास्टिंग के क्या फायदे हैं?
डॉ. विश्वनाथ ने बताया कि उपवास करने से शरीर पर कई तरह के पॉजिटिव प्रभाव पड़ते हैं।
- उपवास से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है।
- डाइजेशन सिस्टम में जो स्ट्रेस होता है, उसमें सुधार करता है।
- इंटरमिटेंट फास्टिंग से ग्लूकोज लेवल संतुलित रहता है।
- कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स लेवल में संतुलन आता है।
- मेंटल लेवल पर मजबूती मिलती है।
छठ उपवास को लेकर संदेश
रिटायरमेंट के दो दशक बाद भी 80 साल के डॉ. विश्वनाथ आज भी पूरे जोश के साथ काम करते हैं। वह रोजाना योग करने के साथ-साथ लोगों की सेवा करते हैं। उन्होंने बताया कि छठ में सूर्य भगवान की आराधना करके आप प्रकृति को आभार व्यक्त कर सकते हैं। यह व्रत मन को संयम, अनुशासन और सेल्फ कंट्रोल सिखाता है। इससे मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं, इसलिए सभी को जेंडर देखने की बजाय छठ का उपवास करना चाहिए।
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Oct 25, 2025 09:21 IST
Published By : Aneesh Rawat