
Vitiligo Ayurvedic Treatment: शरीर पर सफेद दाग होना मेडिकल भाषा में विटिलिगो कहलाता है। यह ऑटोइम्यून बीमारी स्किन से जुड़ी है, जिसमें स्किन का रंग बनाने वाली मेलानोसाइट्स कोशिकाएं खत्म हो जाती है या फिर काम करना बंद कर देती हैं। इससे स्किन पर सफेद धब्बे बनने लगते हैं, जो हाथों, पैरों, चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर दिखते हैं। मिथकों के चलते स्किन से जुड़ी इस बीमारी को लोग सिर्फ बाहर से दिखने वाली समस्या मान लेते हैं, लेकिन आयुर्वेद और मॉडर्न मेडिकल साइंस दोनों मानते हैं कि विटिलिगो का सीधा संबंध इम्युनिटी, मेटाबॉलिज्म और माइंड-बॉडी बैलेंस से है। आयुर्वेद में कुछ उपायों के जरिए सफेद दाग की समस्या को मैनेज किया जा सकता है। इस बारे में हमने हरियाणा के सिरसा में स्थित रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा से बात की। (Which Ayurvedic herbs are good for vitiligo)
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आयुर्वेद में विटिलिगो होने के कारण
डॉ. श्रेय शर्मा कहते हैं, “आयुर्वेद में विटिलिगो को श्वेतकुष्ठ कहा गया है। जब कफ दोष स्किन की गहराई में जाकर पित्त को ढक लेता है, तब पित्त अपना काम सही से नहीं कर पाता। पित्त का वर्ण निर्माण यानी स्किन को उसका प्राकृतिक रंग देने का सबसे महत्वपूर्ण काम करता है। इसलिए कफ का आवरण हटाना जरूरी होता है और कफ का शमन पित्तवर्धन से होता है और पित्त सीधे तौर पर मेलेनिन के स्राव को सपोर्ट करता है। इसलिए सफेद दाग होने पर मरीज को जो भी दिया जाए, वह उष्णवीर्य होना चाहिए।”

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सफेद दाग होने पर 5 असरदार आयुर्वेदिक काढ़े
गिलोय का काढ़ा
आयुर्वेद में गिलोय को त्रिदोषशामक माना गया है। गिलोय का काढ़ा इम्युनिटी को बैलेंस करता है, ऑटोइम्यून रिएक्शन को शांत करने में मदद करता है और शरीर के अंदर की सूजन कम करता है। सबसे जरूरी बात यह है कि सफेद दाग होने पर इम्युनिटी को दबाना नहीं, बल्कि रेगुलेट करना जरूरी होता है और गिलोय इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बाकुची का काढ़ा
सफेद दाग होने पर बाकुची (Psoralea Corylifolia) लेना काफी फायदेमंद है। बाकुची पित्तवर्धक है और यह सीधे तौर पर मेलेनिन स्राव को सपोर्ट करती है। आयुर्वेद में विटिलिगो की मुख्य दवाई मानी जाती है। दुनिया में शायद ही कोई दूसरी जड़ी-बूटी हो जो सीधे मेलानोसाइट्स की एक्टिविटी को सपोर्ट करती हो, लेकिन बाकुची को हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए।
हल्दी, काली मिर्च और देसी घी का काढ़ा
देसी घी, हल्दी और काली मिर्च का कॉम्बिनेशन सिर्फ घरेलू नुस्खा नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक साइंस से जुड़ा हुआ है। हल्दी एंटीसेप्टिक, उष्णवीर्य और इम्युनिटी मॉडुलेटर मानी जाती है। वहीं काली मिर्च पॉवरफुल बायो-एन्हांसर, दवाइयों को डीप टिश्यूज तक पहुंचाने और ड्रग के एक्शन को कई गुना बढ़ाती है। देसी घी आयुर्वेद में श्रेष्ठ योगवाही माना जाता है, जो दवाइयों को कोशिकाओं के अंदर तक ले जाता है। ये तीनों मिलकर न सिर्फ दवाइयों का असर बढ़ाते हैं, बल्कि उसे सही जगह तक पहुंचाते हैं।
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अश्वगंधा
सफेद दाग वाले मरीजों को अश्वगंधा लेना चाहिए क्योंकि विटिलिगो के मरीजों में स्ट्रेस, चिंता और आत्मविश्वास की कमी होना आम है। अश्वगंधा लेने से माइंड रिलैक्स रहता है, स्ट्रेस हार्मोन को कम करता है, इम्युनिटी और नर्वस सिस्टम दोनों को सपोर्ट करता है। आयुर्वेद के अनुसार, मन और स्किन दोनों का आपस में गहरा रिश्ता है।
तुलसी की चाय
आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी उष्णवीर्य है, जो कफ शमन में बहुत असरदार मानी जाती है। यह शरीर को डिटॉक्स करती है और स्किन से जुड़ी बीमारियों में मददगार होती है। जो लोग रेगुलर तुलसी की चाय पीते हैं, उनके शरीर का मेटाबॉलिक बैलेंस बेहतर होता है।
सफेद दाग होने पर काढ़ा पीते समय ध्यान रखें
डॉ. श्रेय कहते हैं कि आयुर्वेद में मंजीष्ठा को एक पॉवरफुल रक्तशोधक माना जाता है। मंजीष्ठा स्किन की गहराई से साफ करती है और स्किन डिसऑर्डर्स में मददगार होती है। विटिलिगो रोगियों को आयुर्वेदिक काढ़ा पीने से पहले कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- जो काढ़े बताए गए हैं, वे सफेद दाग की बीमारी का इलाज नहीं है, बल्कि यह बीमारी को मैनेज करने में मदद करते हैं।
- बाकूची और अन्य औषधियां डॉक्टर की सलाह पर ही लेनी चाहिए।
- धूप, डाइट और लाइफस्टाइल का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
- विटिलिगो की बीमारी में धीरज रखना बहुत महत्वपूर्ण है। दवाइयों के साथ आयुर्वेदिक काढ़े से सफेद दाग की समस्या में सुधार होता है।
निष्कर्ष
शरीर पर सफेद दाग यानीकि विटिलिगो का इलाज सिर्फ बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से शुरू होता है। जब इम्युनिटी, माइंड और कफ दोष को बैलेंस किया जाएगा, तभी स्किन पर बदलाव देखने को मिलेंगे। इसके अलावा, इस बात का ध्यान जरूर रखें कि किसी भी तरह के काढ़े को पीने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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FAQ
सफेद दाग किसकी कमी से होते हैं?
सफेद दाग यानी कि विटिलिगो स्किन का रंग बनाने वाली मेलानोसाइट्स कोशिकाओं के नष्ट होने या मेलानिन की कमी के कारण होते हैं। कई बार ऑटोइम्यून कंडीशन, स्ट्रेस या फैमिली हिस्ट्री की वजह से भी हो सकता है। इसके अलावा, विटामिन B12, D3, और फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्वों की कमी भी इसके बनने में भूमिका निभा सकती है।सफेद दाग में क्या नहीं खाना चाहिए?
सफेद दाग होने पर रोगी को खट्टे और किण्वित फूड्स, मछली और दूध एक साथ, बहुत ज्यादा डेयरी प्रोडेक्ट्स, रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए।सफेद दाग कहां से शुरू होते हैं?
विटिलिगो के शुरुआती चरण में हाथ, पैर, चेहरा या कोहनी पर छोटे सफेद या हल्के धब्बे दिखाई दे सकते हैं। ये धब्बे अक्सर बिना किसी लक्षण के दिखाई देते हैं। इनमें खुजली, दर्द या पपड़ी नहीं होती।
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Dec 23, 2025 11:05 IST
Published By : Aneesh Rawat