Does Smoking Cause Vitiligo In Hindi: सफेद दाग जिसे हम अंग्रेजी में विटिलिगो के नाम से जानते हैं। यह एक तरह की क्रॉनिक ऑटोइम्यून डिजीज है। इसकी वजह से स्किन कलर खोने लगता है। ऐसा चेहरे, गले, हाथ आदि हिस्सों में नजर आता है। आमतौर पर विटिलिगो धब्बों में नजर आता है। असल में, विटिलिगो होने पर मेलानोसाइट नाम की सेल्स नष्ट हो जाती है। आपको बता दें कि ये सेल्स स्किन को रंग देने वाले मेलोनिन को प्रोड्यूस करती है। वैसे तो यह बीमारी क्यों होती है, इसे पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। लेकिन, इसके पीछे कई तरह के कारक जिम्मेदार होते हैं। इसमें जेनेटिकल और एन्वायरमेंटल फैक्टर को मुख्य माना जाता है। लेकिन, कुछ लोगों के मन में यह भी सवाल उठता है कि क्या विटिलिगो की समस्या स्मोकिंग करने की वजह से भी हो सकती है? असल में, स्मोकिंग की वजह से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए, यह सवाल लाजिमी है कि क्या स्मोकिंग की वजह से विटिलिगो की दिक्कत भी हो सकती है। यह जानने के लिए हमने दिल्ली के राजौरी गार्डन में स्थित कॉस्मेटिक स्किन क्लिनिक की कॉस्मेटोलॉजिस्ट और त्वचा रोग विशेषज्ञ, डॉ. करुणा मल्होत्रा से बात की।
क्या स्मोकिंग से सफेद दाग होने का खतरा बढ़ता है?- Does Smoking Cause Vitiligo In Hindi
सफेद दाग की समस्या मूल रूप आनुवांशिक कारणों से होती है। वहीं, इसके पीछे कुछ एन्वायरमेंट फैक्टर भी जिम्मेदार हैं। ऐसे में यह जान लेना आवश्यक है कि क्या वाकई स्मोकिंग की वजह से सफेद दाग होने का खतरा बढ़ सकता है? इस संबंध में विटिलिगो रिसर्च फाउंडेशन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, "स्मोकिंग एक बुरी आदत है। इसकी वज हसे शरीर को काफी नुकसान होता है। इसकी वजह से सांस लेने से जुड़ी समस्याएं और हृदय संबंधी बीमारियों सहित कई अन्य जोखिमों बढ़ते हैं।" इस लेख के अनुसार, "यह निकोटीन और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे हानिकारक तंबाकू रसायनों के साथ हमारी इम्यून सिस्टम को भी इफेक्ट करता है। इससे कई तरह की बीमारियां ट्रिगर होती हैं। खासकर, स्किन से जुड़ी समस्या जैसे सोरायसिस और हिड्राडेनाइटिस सपुराटिवा की स्थिति और बिगड़ सकती है।" इसके बावजूद यह कहना सही नहीं होगा कि स्मोकिंग की वजह से विटिलिगो यानी सफेद दाग की समस्या हो सकती है। असल में, इसके पीछे कई तरह के कारक जिम्मेदार होते हैं।
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स्मोकिंग और विटिलिगो के बीच कनेक्शन
स्मोकिंग मुख्य रूप से रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करता है। इसकी वजह से खांसी, चेस्ट इंफेक्शन, लंग्स में प्रॉब्लम जैसी समस्याएं अधिक देखने को मिलती है। लेकिन, इस तरह की बीमारियां व्यक्ति की इम्यूनिटी पर भी बुरा असर डालती है। इसके अलावा, सिगरेट में पाए जाने वाले सैकड़ों की संख्या में बुरे केमिकल्स, जैसे निकोटिन आदि हमारे ओवर ऑल हेल्थ पर बुरा असर डालती हैं। इससे ऑटोइम्यून स्किन कंडीशंस बद से बदतर हो सकती हैं। लेकिन, स्मोकिंग और विटिलिगो का आपस में कोई खास गहरा संबंध नहीं है। हां, यह कहा सकता है कि विटिलिगो का संबंध ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और लो-एंटीऑक्सीडेंट के स्तर से होता है। स्मोकिंग की वजह से ये प्रभावित होती हैं, जिससे स्किन से जुड़ी प्रॉब्लम ट्रिगर हो सकती हैं।
विटिलिगो से जुड़े रिस्क फैक्टर्स
- विटिलिगो होने का एक मुख्य कारण जेनेटिकल माना जाता है। अगर परिवार या रिश्तेदारों में किसी को है, तो आपको भी यह बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है।
- विटिलिगो अक्सर अन्य ऑटोइम्यून डिजीज के साथ मौजूद होता है। इसलिए, अगर किसी को ल्यूपस, सोरायसिस जैसी स्किन डिजीज है, तो उनमें विटिलिगो होने का रिस्क बढ़ जाता है।
- कई बार उम्र भी इसके लिए अहम योगदान निभाता है। जिन लोगों को विटिलिगो की दिक्कत होती है, उन्हें 20 साल की उम्र से पहले ही इसके पैच नजर आने लगते हैं। हालांकि, बढ़ती उम्र में भी यह बीमारी हो सकती है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।