कोरोना वायरस के इस समय हम सभी का ध्यान इन्यूनिटी और इन्यून सिस्टम पर है। हर कोई अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के बारे में सोच रहा है। पर क्या आप जानते हैं कि आपका इम्यून सिस्टम भी आपके लिए बीमारियां पैदा कर सकता है? जी हां, इम्यून सिस्टम का हद से ज्यादा एक्टिव होने या इससे जुड़ी गड़बड़ियों के कारण दुनिया भर की एक बड़ी आबादी ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित हो रही है। ऐसी ही एक बीमारी है ल्यूपस (lupus disease in hindi)। इसमें व्यक्ति के चेहरे, स्किन, ज्वाइंट्स और यहां तक कि ब्रेन में भी सूजन हो जाती है। अगर बात भारत की करें, तो भारत में इस बीमारी की मौजूदगी प्रति दस लाख लोगों में लगभग 30 लोगों के बीच है। पर अमेरीका जैसे देशों में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या ज्यादा है। इसलिए ल्यूपस बीमारी के खतरे को विस्तार से समझने और इनके कारणों को जानने के लिए हमने डॉ. पुनीत मशरू (Dr.Puneet Mashru), निदेशक रूमेटोलॉजी, जसलोक अस्पताल और अनुसंधान केंद्र से बात की।
क्या है ल्यूपस (what is lupus disease)?
डॉ. पुनीत मशरू की मानें, तो ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें, इम्यून सिस्टम अपने ही शरीर पर हमला कर देता है। ल्यूपस को पहचान पाना आसान नहीं होता है। ल्यूपस से पीड़ित लोगों में, इम्यून सिस्टम ऑटो एंटीबॉडी बनाती है, जो स्वस्थ टिशूज को नष्ट कर देती है। इसमें शरीर के अलग-अलग अंगों में सूजन हो जाती है। जैसे कि स्किन, किडनी, ब्रेन, हृदय और फेफड़ों में।
ल्यूपस का कारण (causes of lupus)
स्वास्थ्य सेवा प्रदाता यह नहीं जानते हैं कि ल्यूपस का क्या कारण है पर उन्होंने पता लगया है कि यह कई अंतर्निहित कारकों का एक संयोजन हो सकता है। जिसमें शामिल है:
a.पर्यावरण
संभावित ल्यूपस कारणों को देखें, तो धूम्रपान, तनाव और पर्यावरण के विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना इसे ट्रिगर करता है।
b.आनुवंशिकी
ल्यूपस से जुड़े 50 से अधिक जीनों की पहचान की गई है, जिसमें पाया गया है कि ल्यूपस का पारिवारिक इतिहास होने से किसी व्यक्ति को ये होने का अधिक जोखिम हो सकता है।
c.हार्मोन
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि असामान्य हार्मोन का स्तर या कहें कि अंसुलित हार्मोन इसे बीमारी को बढ़ा सकता है। जैसे कि एस्ट्रोजन का बढ़ा हुआ स्तर ल्यूपस को ट्रिगर करता है।
d.इंफेक्शन
साइटो मेगालोवायरस और एपस्टीन-बार( cytomegalovirus and Epstein-Barr) जैसे संक्रमणों ल्यूपस को ट्रिगर करने के बड़े कारण हो सकते हैं।
e.दवाएं
कुछ दवाओं के लंबे समय तक उपयोग, जैसे कि हाइड्रैलाज़ीन (Apresoline),गठिया (आरए), आंत्र रोग (आईबीडी), और एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी स्थितियों के लिए टीएनएफ अवरोधक दवाएं लेने वाले रोगी को भी ल्यूपस का जोखिम होता है।
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ल्यूपस के लक्षण (symptoms of lupus)
डॉ. पुनीत बताते हैं कि ल्यूपस के लक्षण हर किसी में अलग-अलग होते हैं। पर अगर इसके शुरुआती संकेतों की बात करें, तो इसके कारण लोगों के चेहरे पर रैशेज नजर आती है। अगर आप इसे करीब से देखेंगे तो ये आपको
- -तितली के पंखों जैसा रैशेज दिखता है। ये किसी को दिख भी सकता है और किसी को नहीं भी।
- - जोड़ों में दर्द
- -जोड़ों में अकड़न और सूजन
- -मुंह में रैशेज
- -बालों का झड़ना
- -बुखार
- -लो व्हाइट ब्लड सेल्स
- -लो प्लेटलेट्स
- -एनीमिया
- -किडली में सूजन और प्रोटीन का लीकेज हो जाना
- -दिल में सूजन
- -फेफड़ों में सूजने
ल्यूपस के प्रकार (types of lupus)
- -ल्यूपस एरिथेमेटोसस (Systemic lupus erythematosus), जो सबसे सामान्य ल्यूपस के लक्षणों वाला है।
- -त्वचीय ल्यूपस, जो त्वचा पर चकत्ते या घाव का कारण बनता है।
- --दवा के कारण होने वाला ड्रग इंडूस्ड ल्यूपस (Drug-induced lupus)
- -नवजात शिशुओं में होने वाला ल्यूपस, जो उन शिशुओं को होता है, जिनकी मां को ल्यूपस एरिथेमेटोसस हो।
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ल्यूपस का डायग्नोसिस कैसे होता है (how is lupus diagnosed)?
ब्लड टेस्ट
ल्यूपस का डायग्नोसिस ब्लड टेस्ट के जरिए किया जाता है। जिसमें व्यक्ति का रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स का काउंट चेक किया जाता है। इसमें कई बार ऐसा भी पाया जाता है कि जिन लोगों को एनीमिया होता है, उनमें ल्यूपस होने का खतरा ज्यादा होता है।
एंटीबॉडी टेस्ट
इम्यून सिस्टम का हाल-चाल जानने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है। ज्यादातर लोग जिनका इम्यून सिस्टम एक्टिव होने के संकेत मिलते हैं, उनका एएनए (ANA) नामक एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है।
ल्यूपस के लक्षणों को कंट्रोल करने के उपाय
कुछ लोग ल्यूपस लक्षणों को कम करने के लिए वैकल्पिक उपचार का उपयोग करते हैं। लेकिन इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि इससे उनका इलाज हुआ या नहीं। पर कुछ सुझाव हैं, जो कि ल्यूपस के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।
- -अगर किसी को ल्यूपस है, तो पहले तो उसे सूरज के संपर्क में ज्यादा नहीं आना चाहिए।
- -दूसरा उसे स्मोकिंग करने और स्ट्रेस लेने से बचना चाहिए।
- -महिलाओं को अपने हार्मोनल हेल्थ को सही रखने की कोशिश करनी चाहिए।
- -आराम भरे जीवन जीने की जगह एक एक्टिव लाइफस्टाइल में रहें, ताकि इससे आपके बाकी अंगों का स्वास्थ्य सही रहे।
- -विटामिन सी और डी और एंटीऑक्सिडेंट लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं और आपके समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं।
- - ओमेगा -3 फैटी एसिड भी इसे कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।
- -डीहाइड्रोएपियनड्रोस्टेरोन (DHEA), यह हार्मोन लक्षणों को कम कर सकता है लेकिन मुंहासे या बालों से जुड़े कुछ नुकसान दिख सकते हैं।
- -एक्यूपंक्चर दर्द और थकान को कम कर सकता है।
- - ध्यान और संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी दर्द को कम करने के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों जैसे अवसाद और चिंता को कम कर सकती है।
जीवन शैली में परिवर्तन
कुल लाइफस्टाइल परिवर्तन लक्षणों को कम कर सकते हैं और आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं:
- -कम प्रभाव वाले व्यायाम जैसे चलना, तैरना, और साइकिल चलाना आदि। ये आपके मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने और ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों के पतले होने) की संभावना को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह आपके मूड को भी अच्छा रखेगा।
- -पर्याप्त आराम करें और खुद को एक टेंशनफ्री लाइफ दें।
- -अच्छा और संतुलित आहार लें।
- -शराब या स्मोकिंग से बचें। दरअसल, धूम्रपान रक्त प्रवाह को नुकसान पहुंचा सकता है और ल्यूपस के लक्षणों को बदतर बना सकता है। तम्बाकू का धुआं आपके दिल, फेफड़े और पेट को भी परेशान करता है।
- - जब भी घर के बाहर निकलें धूप का चश्मा, शरीर ढक कर और सनस्क्रीन लगा कर ही बाहर निकलें।
- -बुखार का इलाज करें और शरीर के बदलते तापमान पर ध्यान रखें।
डॉ. पुनीत यह भी कहते हैं कि ल्यूपस का कोई इलाज नहीं है, बस इसके लक्षणों को कम या नियंत्रित करने की कोशिश कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम जल्द से जल्द इसके लक्षणों को पहजानें, इसकी गंभीरता को समझें और अपने डॉक्टर को दिखा कर इसका उपचार करवाएं। ऐसा इसलिए कि बहुत ज्यादा गंभीर रूप लेने पर ये धीमे-धीमे पूरे शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। यहां तक कि कई बार ये लोगों के लिए एक जानलेवा बीमारी भी साबित हो सकती है। तो, किसी को भी जिन्हें इस बीमारी का संकेत या कोई लक्षण महसूस हो, बिना देरी किए अपने डॉक्टर से मिलें।
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