Ayurvedic Ways to Reduce Water Retention: जब शरीर में पानी सामान्य से ज्यादा हो जाए, तो एलोपैथी में इसे वॉटर रिटेंशन कहते हैं और आयुर्वेद में इसे शोफ कहा जाता है। हालांकि यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इसकी वजह से शरीर में असंतुलन हो सकता है और किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। दरअसल, वॉटर रिटेंशन में शरीर के सेल्स और टिश्यूज में बहुत ज्यादा तरल पदार्थ जमा होने लगता है। इस वजह से आमतौर पर मरीज पैरों, टखनों, चेहरे, पेट और हाथों में सूजन होने लगती है। इस समस्या को आयुर्वेदिक तरीके से कैसे कम की जा सकती है, जानने के लिए हमने फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल की सीनियर आयुर्वेदिक कंसल्टेंट डॉ. चेतन शर्मा (Dr. Chetan Sharma, Sr. Ayurveda Consultant, Sarvodaya Hospital, Faridabad & Noida) से बात की। उन्होंने शोफ (Water Retention) के सभी कारणों और लक्षणों की भी जानकारी दी है।
आयुर्वेदिक में शोफ (वॉटर रिटेंशन) कितनी तरह का होता है?
डॉ. चेतन ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार शोफ वात, पित्त और कफ दोषों के असंतुलन की वजह से बनता है।
वातज शोफ - इसमें सूखी और कठोर सूजन के साथ दर्द महसूस होता है।
पित्तज शोफ - इसमें मरीज को लालिमा, गर्माहट और जलन के साथ सूजन होती है।
कफज शोफ - इसमें ठंडी, भारी और दबाने पर गड्ढा बनने वाली सूजन होती है।
इसे भी पढ़ें: वाटर रिटेंशन की समस्या में खीरा खा सकते हैं? एक्सपर्ट से जानें
वॉटर रिटेंशन के कारण
डॉ. चेतन कहते हैं कि आमतौर पर लाइफस्टाइल में बदलाव के कारण वॉटर रिटेंशन की समस्या होने लगती है।
- ज्यादा नमक और प्रोसेस्ड फूड का सेवन
- लंबे समय तक बैठना या खड़े रहना
- हार्मोनल असंतुलन
- किडनी या लिवर की कमजोरी
- हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज
- कम पानी पीना और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन
- तनाव और नींद की कमी
वॉटर रिटेंशन के लक्षण
डॉ. चेतन ने कहा कि अगर किसी को ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और वॉटर रिटेंशन का इलाज कराएं।
- पैरों, टखनों और उंगलियों में सूजन
- आंखों के नीचे पफीनेस
- पेट और शरीर में भारीपन
- अचानक वजन बढ़ना
- कपड़े या चप्पल टाइट लगना
- थकान और सुस्ती
इसे भी पढ़ें: सुबह उठते ही चेहरे पर दिखती है सूजन तो डाइट पर करें गौर, सोने से पहले न खाएं ये 7 चीजें
वॉटर रिटेंशन कम करने के आयुर्वेदिक तरीके
डॉ.चेतन कहते हैं कि वॉटर रिटेंशन को कम करने के लिए आयुर्वेद में कई ऐसे तरीके हैं, जिसमें लोगों को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ बदलाव करने की जरुरत है।
डाइट में बदलाव
आयुर्वेद में आहार को ही औषधि माना गया है। इसलिए खाने में नमक को सीमित करना जरूरी है। मूंग दाल खिचड़ी, लौकी, तोरी, टिंडा, जौ का सूप लेने से वॉटर रिटेंशन की समस्या को कम किया जा सकता है। इसके अलावा तरल फूड्स में नारियल पानी, खीरा, तरबूज, परवल, जौ और मक्का लिया जा सकता है। अपनी डाइट में तले-भुने, मीठे और डेयरी प्रोडेक्ट्स से परहेज करें, क्योंकि ये फूड्स कफ बढ़ाते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव
वॉटर रिटेंशन की समस्या को रेगुलर योग और एक्सरसाइज से मैनेज किया जा सकता है। योग में पवनमुक्तासन और सुप्त बद्धकोणासन से पेट और पैर की सूजन कम होती है। भस्त्रिका और कपालभाति प्राणायाम से कफ और जल दोष संतुलित होते हैं। लोगों को लंबे समय तक लगातार बैठने या खड़े रहने से बचना चाहिए। तिल या सरसों के तेल की मालिश करें और साथ ही स्ट्रेस मैनेज करें।
आयुर्वेदिक पंचकर्म
ये पंचकर्म वॉटर रिटेंशन में मददगार साबित हो सकते है।
वमन और विरेचन – दोष शुद्धि के लिए फायदेमंद
बस्ती (एनिमा थेरेपी) – वात दोष संतुलन के लिए मददगार
स्वेदन (स्टीम थेरेपी) – पसीने से अतिरिक्त तरल बाहर निकलना
जलौकावचारण (लीच थेरेपी) – रक्तसंचार सुधारने और शोफ घटाने में मददगार
घरेलू नुस्खे
जिन लोगों को वॉटर रिटेंशन की समस्या है, वे कुछ घरेलू नुस्खों को भी आजमा सकते हैं।
- सुबह खाली पेट गुनगुना पानी और शहद ले सकते हैं।
- धनिया या जीरे का काढ़ा ये नेचुरल तरल पेय है।
- अदरक-नींबू का रस लेने से पाचन सुधारता है।
- मेथीदाने को रातभर भिगोकर सुबह पीने से सूजन कम होती है।
निष्कर्ष
डॉ. चेतन कहते हैं कि आयुर्वेदिक की नजर से वॉटर रिटेंशन केवल शरीर में पानी रुकना नहीं है, बल्कि यह दोषों का असंतुलन और अग्नि (पाचन शक्ति) की कमजोरी को भी दर्शाता है। इसलिए अगर वॉटर रिटेंशन लंबे समय तक रहे औ साथ ही हाई ब्लड प्रेशर, सांस लेने में तकलीफ, किडनी और लिवर की गड़बड़ी हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।