आपने कभी सोचा है कि आपके बालों पर लगातार शैंपू और कंडीशनर के इस्तेमाल का क्या असर होता है? नहीं, तो आपको सोचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि असल में इन तमाम हेयर केयर वाली चीजों का आपके बालों को नुकसान पहुंच रहा होता है और आपको पता ही नहीं चलता। आयुर्वेद की मानें, तो इन्हीं वजहों के कारण आजकल के लोग अपनी सही उम्र से पहले बालों को खो देते हैं। अगर आप एक ऐसे हेयरकेयर रूटीन को खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जो आपकी बालों की चिंताओं को हल बन सके, तो आयुर्वेद के पास इलाज है। दरअसल आयुर्वेद में हेयरकेयर (ayurvedic hair care routine) का सिद्धांत यह है कि हमारे बाल भी शरीर तीन ऊर्जाओं- वात (वायु), पित्त (अग्नि / ऊष्मा) और कपा (जल और पृथ्वी) से संचालित होता है और तीनों के बीच सामंजस्य रखना ही इसके अच्छे स्वास्थ्य का राज है।
हेयरकेयर का आयुर्वेदिक तरीका (ayurvedic hair care routine)
आयुर्वेद के अनुसार, हमारे सभी ऊतक यानी कि टिशूज बाहरी रूप से बढ़ते हैं, जैसे कि बाल, नाखून और दांत, जो कि हड्डी प्रणाली का हिस्सा हैं, इसलिए हड्डी का स्वास्थ्य बालों के स्वास्थ्य का फैसला करता है। अगर हमने हड्डियों के पोषण से समझौता किया जाता है या शरीर में अधिक पित्त दोष यानी अम्लीय पीएच है, तो यह सीधे हमारे बालों को प्रभावित करते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप इन तीनों में एक बैलेंस बनाएं रखें।
1. वात हेयर केयर रूटीन
एक सामान्य वात प्रकार पतले और सीधे बालों के लिए है। माना जाता है कि वात दोष में असंतुलन अत्यधिक सूखापन, परतदार रूसी, घुंघराले और भंगुर बाल का कारण बनता है। इससे बालों का पतला होना और स्प्लिट एंड्स भी हो सकते हैं। इसके लिए विशेष देखभाल की अनुशंसा की जाती है कि आप सप्ताह में दो-तीन बार बादाम का तेल, अरंडी का तेल, जैतून का तेल या तिल का तेल आदि से बालों की मालिश करें। साथ ही इन्हें मजबूत करने वाली जड़ी-बूटियों जैसे भृंगराज और अश्वगंधा आदि के साथ बालों की देखभाल करें। साथ खाने में भी इसके अनुसार बदलाव करें। जैसे कि वात एक ठंडा और सूखा दोस है, इसलिए, नट्स और बीजों को खान पान में शामिल करें।
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2. पित्त हेयर केयर रूटीन
पित्त हेयरकेयर आपके बालों को मोटाई, उसका रंग और उसके लंबाई को बढ़ा सकता है। उत्तेजित पित्त अक्सर बालों के रोम में अतिरिक्त गर्मी की ओर जाता है, जो हानिकारक हो सकता है। इसमें आपके पित्त को शांक करने की बात की जाती है। इसके लिए हिबिस्कस, आंवला और कलोंजी के बीज जैसे शीतल जड़ी बूटियों को नारियल तेल में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। हिबिस्कस और ब्राह्मी जैसी मरम्मत करने वाली सामग्री के साथ साप्ताहिक हेयर मास्क उपयोग करने का भी सुझाव दिया जाता है। साथ ही खाने में लोगों को मसालेदार और कसैले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए, और उन खाद्य पदार्थों की तलाश करनी चाहिए जो बेसिक पीएच के हों और पेट को शांत कर सके।
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3. कफा हेयर केयर रूटीन
कपा हेयर केयर रूटीन को फॉलो करने से आपके बाल घने, चिकने, चमकदार, अच्छी तरह से हाइड्रेटेड और मजबूत हो सकते हैं। कपा दोसा में असंतुलन के परिणामस्वरूप अतिरिक्त तेल स्राव हो सकता है, जो आपकी स्कैल्प के रोम को अवरुद्ध करता है, जिससे गीला और चिपचिपा स्कैल्प रहता है। इसमें बालों और स्कैल्प पर दो से तीन बार रीठा, शिकाकाई और त्रिफला पाउडर जैसे प्राकृतिक जड़ी बूटियों को इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है। साछ ही आप नीम के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आहार में आपको कफ दोष को कम करने के लिए गर्म, हल्के, सूखे खाना पकाने के तरीकों जैसे बेकिंग, ब्रोइलिंग, ग्रिलिंग, सॉटिंग, आदि पर ध्यान देना चाहिए।
इस तरह आयुर्वेद का ये हेयर केयर तरीका हर तरीके से बालों के लिए स्वास्थ्यकारी है। तो कुछ दिनों के लिए अपने शैंपू और कंडीशनर जैसे महंगे हेयर केयर प्रोडक्ट को बाय-बाय कहें और हेयर केयर के इस नेचुरल तरीके को अपना कर देखें।
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