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प्रेग्नेंसी में पेट के आकार से शिशु के लिंग का पता लगाया जा सकता है?जानें लड़का या लड़की होने के पीछे का साइंस

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के पेट के आकार को देखकर लोग गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग के बारे में बताते हैं, आइए जानते हैं इसके पीछे की सच्चाई।
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प्रेग्नेंसी में पेट के आकार से शिशु के लिंग का पता लगाया जा सकता है?जानें लड़का या लड़की होने के पीछे का साइंस


पेरेंट्स बनना हर कपल का सपना होता है और प्रेग्नेंसी के दौरान के 9 महीने महिलाओं के लिए बेहद खास होते हैं। घर के हर एक सदस्य को भी नन्हे मेहमान का इंतजार रहता है और कई लोग तो गर्भवती महिला के पेट के आकार को देखकर ही होने वाले बच्चे का लिंग बताने लगते हैं। भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में, गर्भावस्था से जुड़े कई अंधविश्वास और मिथक प्रचलित हैं। इनमें से एक प्रमुख मिथक यह है कि गर्भवती महिला के पेट के आकार के आधार पर शिशु के लिंग का पता लगाया जा सकता है। कई गर्भवती महिलाएं इस पर विश्वास भी करने लगती हैं। दरअसल, बच्चे के लिंग की जांच कराना भारत में गैरकानूनी है, गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करने वाला और जांच कराने वाला दोनों को ही अपराधी माना जाता है और इसके लिए सजा का भी प्रावधान है। हालांकि, कई अन्य देशों में लिंग जांच करवाने की अनुमति है। 

हमारे समाज में फैले इस तरह के अंधविश्वास और मिथकों के पीछे छिपे साइंस (Pregnancy Myths And Facts) के बारे में सही जानकारी देने के लिए ओन्लीमायहेल्थ "अंधविश्वास या साइंस" सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के तहत हम अंधविश्वास और मिथकों की सच्चाई बताने की कोशिश करेंगे। आज इस सीरीज में नई दिल्ली के आनंद निकेतन में स्थित गायनिका: एवरी वुमन मैटर की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन, क्या प्रेग्नेंसी में पेट के आकार से लड़का है या लड़की का पता लगाया जा सकता है? इसके बारे में बता रही हैं।

पारंपरिक मान्यताएं और मिथक

लोग अक्सर गर्भवती महिलाओं के पेट के आकार को देखकर शिशु के लिंग का अनुमान लगाने लगते हैं। पेट का ऊंचा और गोल होना, लड़की का संकेत माना जाता है तो वहीं पेट का नीचा और आगे की ओर होना गर्भ में लड़के का संकेत माना जाता है। कई बार तो बिना पूछे ही लोग गर्भवती महिलाओं को अपनी ओर से सुझाव देने लगते हैं, जिसका बुरा असर गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। दरअसल, आज के समय में भी कई घरों में लड़का और लड़की में फर्क किया जाता है और ऐसे में जब गर्भवती महिला के पेट को देखकर लोग ऐसी बाते बनाएंगे तो इसका बुरा असर महिला के स्वास्थ्य पर हो सकता है।

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क्या प्रेग्नेंसी में पेट के आकार से लड़का है या लड़की इसका पता लगाया जा सकता है?

डॉक्टर (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन, ने बताया कि गर्भवती महिला के पेट के आकार से शिशु का लिंग पता लगाने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह केवल अंधविश्वास और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित है। गर्भवती महिला का पेट कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें शिशु की गर्भ में स्थिति, महिला के शरीर की बनावट और गर्भाशय की स्थिति शामिल हैं। 

baby gender

शिशु की स्थिति

प्रेग्नेंट महिला के गर्भ में शिशु किस प्रकार बैठा है, इसका गर्भवती महिला के पेट के आकार पर प्रभाव पड़ता है। शिशु का सिर नीचे की ओर हो सकता है, जिससे पेट नीचा दिख सकता है, या शिशु का शरीर आगे की ओर हो सकता है, जिससे पेट आगे की ओर दिखता है। ऐसे में पेट का आकार देखकर शिशु के लिंग का पता नहीं लगाया जा सकता।

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महिला की शारीरिक बनावट

महिला की लंबाई, वजन और पेट की मांसपेशियों की मजबूती भी पेट के आकार को प्रभावित करती है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि लंबी और पतली महिलाओं का पेट नीचे की ओर दिखता है, जबकि छोटी और भारी महिलाओं का पेट ऊंचा हो सकता है। ऐसे में पेट के आकार को देखकर गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग का पता लगाना सही नहीं हो सकता।

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गर्भाशय की स्थिति

गर्भवती महिला के गर्भाशय की स्थिति और शिशु का वजन भी गर्भवती महिला के पेट के आकार को बदल सकते हैं। कई बार गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का खानपान के कारण वजन ज्यादा बढ़ जाता है, जिससे पेट के आकार में बदलाव हो सकता है।

भ्रूण जांच के तरीके

1. अल्ट्रासाउंड

गर्भावस्था के 18 से 20 सप्ताह के बीच अल्ट्रासाउंड द्वारा शिशु का लिंग पता लगाया जा सकता है। हालांकि, भारत में लिंग परीक्षण गैरकानूनी अपराध है, जिसकी सजा होती है।

2. जैविक परीक्षण

जैविक परीक्षणों से भी शिशु का लिंग पता लगाया जा सकता है। यह परीक्षण आमतौर पर उन मामलों में किए जाते हैं जहां आनुवंशिक बीमारियों का संदेह होता है।

निष्कर्ष

गर्भवती महिला के पेट के आकार के आधार पर शिशु का लिंग पता लगाने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह केवल अंधविश्वास और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित है। इसलिए, इन अंधविश्वासों पर भरोसा करने के बजाय, वैज्ञानिक तरीकों पर विश्वास करें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों को यह समझना चाहिए कि अंधविश्वासों और मिथकों पर भरोसा करना न केवल भ्रामक हो सकता है, बल्कि यह मानसिक तनाव और चिंता का कारण भी बन सकता है। 

All Images Credit- Freepik

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