अर्थराइटिस में व्यक्ति काे जाेड़ाें में दर्द और सूजन की समस्या हाेती है। गठिया काे लेकर समाज में कई ऐसे मिथ हैं, जिन्हें आप सच मानते हैं। जानें-
आजकल अर्थराइटिस यानी गठिया (Arthritis) राेग सभी उम्र के लाेगाें में बेहद सामान्य हाे गया है। बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सभी इस राेग के शिकार हाे रहे हैं। इस राेग का मुख्य कारण आजकल की खराब या इनएक्टिव लाइफस्टाइल है। साथ ही धूम्रपान, शराब, जाेड़ाें में चाेट, माेटापा और शारीरिक सक्रियता की कमी भी अर्थराइटिस के सामान्य कारण हैं। अर्थराइटिस हाेने पर व्यक्ति काे असहनीय दर्द हाेता है। साथ ही जाेड़ाें में सूजन, कठाेरता और दर्द अर्थराइटिस के लक्षण हाे सकते हैं। इस बीमारी के शुरू हाेने पर व्यक्ति काे अकसर चलने-फिरने, उठने-बैठने में दिक्कत हाेती है। इन दिनाें यह एक बेहद आम बीमारी हाे गई है। इस बीमारी के बारे में लाेगाें के बीच आधी-अधूरी जानकारी के कारण कई सारे मिथक या भ्रम फैले हुए हैं। आज विश्व गठिया दिवस 2021 (World Arthritis Day 2021) के मौके पर इन मिथकाें की सच्चाई जानने के लिए हमने डॉक्टर रमन कुमार से बातचीत की-
अर्थराइटिस के 100 से अधिक प्रकार है। सभी के लक्षण, कारण और उपाचार अलग-अलग हाे सकते हैं। लेकिन दाे ऐसे अर्थराइटिस हैं, जाे अधिकतर लाेगाें में देखने काे मिलते हैं। इसमें रुमेटॉइड अर्थराइटिस और ऑस्टियाेअर्थराइटिस शामिल हैं।
ऑस्टियाेअर्थराइटिस : ऑस्टियाेअर्थराइटिस काे ओ ए भी कहा जाता है। यह अर्थराइटिस अधिकतर बढ़ती उम्र में लाेगाें काे परेशान करता है। इसमें जाेड़ाें में सूजन और कठाेरता आ जाती है। यह अर्थराइटिस घुटनाें, रीढ़ की हड्डी और नितंबाें काे प्रभावित करता है।
रुमेटॉइड अर्थराइटिस : रुमेटॉइड अर्थराइटिस, अर्थराइटिस का एक सामान्य प्रकार है। इसे आर ए भी कहा जाता है। यह अर्थराइटिस (रात काे क्याें बढ़ जाता है अर्थराइटिस का दर्द) भी अधिकतर लाेगाें में देखने काे मिलता है। इसमें बीमार व्यक्ति के उंगुलियाें, हाथाें और कलाई के जाेड़ाें में काफी दर्द हाेता है। यह हाथाें काे अधिक प्रभावित करता है।
अर्थराइटिस यानी गठिया दिवस के मौके पर हम आपकाे इससे जुड़े कुछ ऐसे मिथकाें के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें अकसर आप सच मानते हैं-
मिथ 1 : अर्थराइटिस या गठिया केवल बुजुर्गाें काे ही प्रभावित करता है।
सच्चाई : अधिकतर लाेगाें काे लगता है कि अर्थराइटिस की बीमारी सिर्फ बुजुर्गाें काे ही हाेती है। ऐसे में अगर युवावस्था में उनमें इसके लक्षण दिखाई देते हैं, ताे वे इसे नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि यह एक बहुत बड़ा मिथ है। आजकल गठिया राेग किसी भी आयु वर्ग के लाेगाें काे प्रभावित कर सकता है। यह बुजुर्गाें के साथ-साथ छाेटे बच्चाें और वयस्काें काे भी प्रभावित कर सकता है।
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मिथ 2 : गठिया (Arthritis) का काेई इलाज नहीं है। इसके लिए सर्जरी ही एक विकल्प है।
सच्चाई : अकसर लाेग मान चुके हैं कि गठिया का काेई इलाज नहीं है यानी यह एक लाइलाज बीमारी है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। लाेगाें के बीच यह मिथ है कि गठिया काे सिर्फ सर्जरी की मदद से ही ठीक किया जा सकता है। ऐसे में लाेग गठिया के दर्द काे दूर करने के लिए दर्दनिवारक दवाइयाें या फिर स्टेरॉयड का सेवन करते हैं, जिसका लंबे समय बाद नुकसान हाे सकता है। सच्चाई यह है कि गठिया के राेग काे फिजियाेथेरेपिस्ट व्यायाम के जरिए भी दूर कर देते हैं। साथ ही डॉक्टर के द्वारा बताई गई दवाइयाें, अच्छा खाना-पान और एक्सरसाइज इस बीमारी के लक्षणाें में काफी हद तक कमी कर सकता है। अगर अर्थराइटिस का समय रहते इलाज शुरू किया जाए, ताे बिना सर्जरी के भी इसके दर्द काे कम किया जा सकता है।
मिथ 3 : सभी जाेड़ाें का दर्द अर्थराइटिस या गठिया (Arthritis) हाेता है।
सच्चाई : लाेगाें काे किसी भी जाेड़ पर दर्द हाेता है, ताे वे इसे अर्थराइटिस मान लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं हाेता है, जाेड़ाें में हाेने वाला हर दर्द अर्थराइटिस या गठिया नहीं हाेता है। नरम ऊतकाें पर चाेट लगने, पैराें के किसी चीज से टकरा जाने, घुटनाें में कड़ापन (घुटनाें के अर्थराइटिस के लिए सही जूता) आने से भी जाेड़ाें में दर्द हाे सकता है। इतना ही नहीं शरीर में पाेषक तत्वाें की कमी भी जाेड़ाें में दर्द का कारण हाेता है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप अर्थराइटिस के राेगी है। इसलिए अगर आप जाेड़ाें के दर्द से परेशान हैं, ताे डॉक्टर से संपर्क कर इसकी जांच करवाएं।
भ्रम 4 : एक्सरसाइज करने से अर्थराटिस या जाेड़ाें का दर्द बढ़ जाता है।
सच्चाई : स्वस्थ रहने के लिए एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी हाेता है। यह व्यक्ति काे सभी तरह की बीमारियाें से मुक्त रखता है। वहीं एक्सरसाइज कई बीमारियाें काे ठीक करने में भी मददगार हाेता है। ऐसे में यह कहना गलत हाेगा कि एक्सरसाइज करने से अर्थराइटिस बढ़ जाता है। जबकि अर्थराइटिस हाेने पर इसके दर्द काे कम करने के लिए फिजियाेथेरेपिस्ट एक्सरसाइज ही करवाते हैं। अर्थराइटिस के दर्द में आराम पाने के लिए आप हल्के व्यायाम और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं।
मिथ 5 : अर्थराइटिस (Arthritis) वंशानुगत हाेती है।
सच्चाई : कई लाेगाें काे लगता है कि अगर अर्थराइटिस परिवार के किसी सदस्या काे है, ताे उसे भी जरूर हाेगी। यह एक भ्रम है। भले ही पारिवारिक इतिहास और आनुवांशिकी अर्थराइटिस के जाेखिम काे बढ़ाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपकाे भी यह राेग हाेगा ही। जाेड़ाें में गंभीर चाेट लगना, माेटापा, इनएक्टिव लाइफस्टाइल और मांसपेशियाें का कमजाेर हाेना अर्थराइटिस के जाेखिम काे बढ़ाते हैं।
मिथ 6 : खट्टे खाद्य पदार्थ खाने से अर्थराइटिस का दर्द (Arthritis Pain) बढ़ता है।
सच्चाई : कई लाेगाें का मानना है कि खट्टी चीजें खाने से अर्थराइटिस का दर्द बढ़ जाता है। लेकिन अभी तक इसका काेई वैज्ञानिक आधार नहीं है। खट्टी चीजें जैसे नींबू, दही, संतरा आदि। ये सभी तत्व पाेषक तत्वाें से भरपूर हाेते हैं, ऐसे में यह कहना गलत हाेगा कि इनके सेवन से अर्थराइटिस का दर्द बढ़ता है।
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मिथ 7 : अर्थराइटिस का दर्द उठने पर एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए।
सच्चाई : अर्थराइटिस का दर्द उठने पर एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए, यह भी लाेगाें के बीच फैला एक भ्रम है। अगर आपकाे अर्थराइटिस का तेज दर्द है, ताे इस स्थिति में आप हल्के व्यायाम आसानी से कर सकते हैं। साथ ही धीरे-धीरे स्ट्रेचिंग भी की जा सकती है। इससे आपकी मांसपेशियाें काे ताकत मिलती है। लेकिन दर्द हाेने पर आपकाे काेई भी हैवी एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। साथ ही डॉक्टर की एडवाइस पर ही एक्सरसाइज करें।
अगर आप भी ऊपर बताए गए इन मिथकाें काे सच मानते थे, ताे आज से इनकी वास्तविकता जान लें। इससे आप किसी तरह के भ्रम में नहीं रहेंगे और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
अर्थराइटिस एक दर्दनाक बीमारी है, अगर शुरुआत में ही इसके लक्षणाें काे ध्यान में रखकर डॉक्टर से इलाज करवा लिया जाए ताे व्यक्ति आसानी से ठीक हाे सकता है। लेकिन लंबे समय तक लक्षणाें काे नजरअंदाज करने पर इसके लक्षणाें काे कम करने में समय लगता है। अर्थराइटिस के टेस्ट से डॉक्टर पता लगा सकते हैं कि आपकाे अर्थराइटिस है या नहीं।
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