Depression: आज के समय में दुनियाभर में कई लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं, जो एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। हालांकि, हमारे समाज में डिप्रेशन को लेकर कई तरह की भ्रांतियां यानी मिथ फैली हुई हैं, जैसे कि डिप्रेशन सिर्फ मन का वहम है या यह सिर्फ महिलाओं को होता है। लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। आइए जानते हैं डिप्रेशन से जुड़े 10 मिथक और तथ्य। हमने इस विषय पर आर्टेमिस हॉस्पिटल की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट कंसल्टेंट जैस्मीन अरोड़ा(Ms. Jasmine Arora, Consultant - Clinical Psychologist, Artemis Hospital) से विस्तार में बात की।
1. डिप्रेशन असली बीमारी नहीं है।
मिथ- कुछ लोगों का मानना है कि डिप्रेशन कोई मेडिकल कंडीशन नहीं है। उन्हें लगता है कि यह व्यक्ति का खुद का चुनाव है। कुछ लोग डिप्रेशन को महज ज्यादा दुखी और उदासी के रूप में देखते हैं।
सच- डिप्रेशन को अक्सर उदासी या कमजोरी के रूप में गलत समझा जाता है, लेकिन यह उससे कई ज्यादा है। सच यह है कि डिप्रेशन एक असली मानसिक बीमारी है जो व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करती है।
2. दवाएं ही सबसे असरदार इलाज हैं।
मिथ- कुछ लोग मानते हैं कि डिप्रेशन का इलाज एंटीडिप्रेसेंट दवाओं से ही होता है। एंटीडिप्रेसेंट दवाएं या अवसादरोधी दवाएं जो डिप्रेशन के लक्षण का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती हैं। ये दवाएं मूड और भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
सच- दवाएं कुछ मामलों में मददगार होती हैं, लेकिन डिप्रेशन के लिए एंटीडिप्रेसेंट एकमात्र इलाज नहीं है। दरअसल, ये दवाएं हर स्थिति में काम नहीं करती हैं। डॉक्टर्स भी बहुत कम अवसाद रोधी दवाएं लिखते हैं, जबकि थेरेपी, लाइफस्टाइल में बदलाव और सपोर्ट सिस्टम भी उतने ही जरूरी हैं।
3. ट्रॉमा ही डिप्रेशन का कारण होता है।
मिथ- कुछ लोग इस बात को मानते हैं कि डिप्रेशन सिर्फ ट्रॉमा जैसे किसी अपने को खोना, हिंसा या दुर्घटना की वजह से होता है।
सच- दरअसल, ट्रॉमा डिप्रेशन का एक कारण हो सकता है, लेकिन एकमात्र कारण नहीं। डिप्रेशन की कई और वजह भी हो सकती हैं, जैसे हार्मोनल बदलाव, जेनेटिक फैक्टर, ब्रेन केमिस्ट्री और जीवनशैली से संबंधित समस्याएं।
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4. डिप्रेशन एक ट्रांजिशन फेज है।
मिथ- डिप्रेशन के मामले में यह भी एक मिथ है कि युवाओं में भावनात्मक बदलाव, गुस्सा, नींद ज्यादा आना और चिड़चिड़ापन सिर्फ एक ट्रांजिशन का हिस्सा होता है। यानी कि युवा पीढ़ी में भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक तौर पर एक बदलाव आता है या मुश्किल समय आता है। वह सिर्फ उनके जीवन का एक हिस्सा है।
सच- हां, यह सच है कि व्यस्कों में डिप्रेशन ज्यादा देखा गया है। 12-17 की उम्र के लोगों में डिप्रेशन की संख्या ज्यादा है। लेकिन जब व्यस्कों में उदासी, इरिटेशन और नाखुशी ज्यादा लंबे समय तक रहे और यह लक्षण व्यक्ति की सामान्य दिनचर्या पर असर डाले, तो यह डिप्रेशन का संकेत हो सकता है। यह केवल ट्रांजिशन नहीं बल्कि गंभीर समस्या हो सकती है।
5. डिप्रेशन सिर्फ महिलाओं में होता है।
मिथ- समाज में इस तरह का मिथ भी है कि डिप्रेशन सिर्फ महिलाओं को होता है, पुरुष इससे नहीं गुजरते।
सच- डिप्रेशन की स्थिति से कोई भी व्यक्ति गुजर सकता है। हां, यह हो सकता है कि पुरूषों और महिलाओं के डिप्रेशन के लक्षण अलग-अलग हों। पुरूषों में इसके लक्षण जैसे ज्यादा गुस्सा, चुप रहना या नशे की ओर झुकना आदि हो सकते हैं।
तो वहीं दूसरी ओर, महिलाओं में डिप्रेशन ज्यादा भावनात्मक रूप में दिखता है। डॉक्टरों का यह भी कहना है कि महिलाओं को बच्चे के जन्म देने के बाद पोस्टमॉर्टम डिप्रेशन भी होता है। इसमें तनाव, थकान और लो मूड रहता है।
6. डिप्रेशन आनुवांशिक होता है।
मिथ- कुछ लोगों का यह भी मानना है कि परिवार में किसी को डिप्रेशन हुआ है तो अगली पीढ़ी को भी होगा।
सच- परिवार में किसी को डिप्रेशन रहा हो, तो आगे की पीढ़ी को डिप्रेशन हो इसकी संभावना हो सकती है, लेकिन इसकी 100 प्रतिशत गारंटी नहीं हो सकती। जेनेटिक्स के अलावा डिप्रेशन में वातावरण, मनोवैज्ञानिक और आनुवांशिकता जैसे फैक्टर आते हैं।
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7. ज्यादा व्यस्त रहने से डिप्रेशन ठीक हो होता है।
मिथ- यह मिथ है कि खुद को ज्यादा बिजी रखने से डिप्रेशन दूर हो जाता है।
सच- ज्यादा बिजी रहना एक अस्थायी इलाज हो सकता है, लेकिन यह परमानेंट इलाज नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को डिप्रेशन है, तो वह ज्यादा एक्सरसाइज करे और अपने परिवार या दोस्तों के साथ समय बिताए। साथ ही मनपसंद एक्टिविटीज, एक्सरसाइज और थैरेपी ज्यादा प्रभावी इलाज हैं।
8. डिप्रेशन सिर्फ युवाओं में ही होता है।
मिथ- कुछ लोगों का यह भी मानना है कि डिप्रेशन बच्चों, टीनएजर्स या किशोरावस्था के मुकाबले युवाओं में ज्यादा होता है।
सच- डिप्रेशन किसी भी उम्र में हो सकता है। बच्चे, किशोर, युवा और बुजुर्ग सभी को यह स्थिति हो सकती है। उम्र एक फैक्टर हो सकती है लेकिन गारंटी नहीं।
9. डिप्रेशन के बारे में बात करना सही नहीं है।
मिथ- कुछ मिथ्स यह भी हैं कि डिप्रेशन के बारे में ज्यादा बात करना डिप्रेशन को ज्यादा बढ़ावा देता है। इसीलिए काफी लोग डिप्रेशन के बारे में बात नहीं करते।
सच- डिप्रेशन के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। व्यक्ति बात करेगा तो उसे मदद मिलेगी। व्यक्ति अपने परिवार, दोस्त या एक्सपर्ट से अपनी डिप्रेशन की स्थिति के बारे में खुलकर बात करेगा तो वे इलाज की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
10. हर्बल सप्लीमेंट से डिप्रेशन का इलाज संभव है।
मिथ- कुछ लोगों का मानना है कि आयुर्वेद या हर्बल सप्लीमेंट से डिप्रेशन का इलाज किया जा सकता है।
सच- बता दें कि कुछ हर्बल सप्लीमेंट मूड सुधारने में मदद कर सकते हैं, लेकिन इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना लेना जोखिम भरा हो सकता है। डिप्रेशन के इलाज के लिए किसी साइकोलोजिस्ट से ही मिलें।
निष्कर्ष
डिप्रेशन एक मन का वहम नहीं है, न ही यह कोई मूड स्विंग है। यह एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। इससे जुड़े कई मिथक हैं, जिसके चलते कई लोग समय रहते सही इलाज नहीं करा पाते। इसलिए जरूरी है कि हम इन मिथकों को दूर करें और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लें। जरूरी है कि जितनी अहमियत शारीरिक सेहत को दी जाती है, उतनी ही मानसिक सेहत को दें। अगर आप या आपकी करीबी कोई डिप्रेशन से जूझ रहा है, तो खुद की और उसकी मदद करें। अपने करीबी से बात करें और इलाज करवाएं।
FAQ
महिलाओं में डिप्रेशन का प्रमुख कारण क्या है?
महिलाओं में डिप्रेशन का कारण हार्मोनल बदलाव हो सकता है। हार्मोनल बदलाव की कई वजहें हो सकती हैं, जैसे गर्भावस्था, मासिक धर्म आदि।क्या डिप्रेशन पागलपन है?
डिप्रेशन पागलपन नहीं होता है। यह मानसिक स्वास्थ्य बीमारी होती है, जिसे इलाज से ठीक किया जा सकता है।बिना दवा के डिप्रेशन कैसे ठीक करें?
बिना दवा के डिप्रेशन को ठीक करने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करें। पर्याप्त नींद लें, सही डाइट अपनाएं और नशीली दवाओं का सेवन न करें। तो इसे आगे बढ़ने से रोका जा सकता है।