
बवासीर (Piles) एक आम लेकिन शर्म की वजह से छिपाई जाने वाली बीमारी है। इसके बारे में समाज में कई भ्रम और झूठे विश्वास (मिथक) फैले हुए हैं, जो सही इलाज और समझ में बाधा बनते हैं। इस लेख में हम फरीदाबाद स्थित मेट्रो अस्पताल के गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. विशाल खुराना से जानेंगे बवासीर से जुड़े 5 मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में।
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1. मिथक: बवासीर सिर्फ बुज़ुर्गों को होती है
सच्चाई:बवासीर किसी भी उम्र में हो सकती है। लंबे समय तक बैठना, खराब खानपान, कब्ज और तनाव के कारण बवासीर की परेशानी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। यह समस्या बुजुर्ग, बच्चे और युवाओं में भी देखी जाती है।
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2. मिथक: मसालेदार खाने से बवासीर होता है।
सच्चाई : मसालेदार खाना पेट में जलन बढ़ा सकता है, लेकिन कब्ज, फाइबर की कमी, पानी कम पीना और व्यायाम की कमी बवासीर के असली कारण हैं। सिर्फ मसालेदार खाने की वजह से किसी व्यक्ति को बवासीर की परेशानी नहीं होती है। अगर आप मसालेदार खाने के साथ पर्याप्त मात्रा में पानी पी रहे हैं, विभिन्न प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी कर रहे हैं, तो आपको चिंता करने की कोई बात नहीं है।
3. मिथक: बवासीर हमेशा खून बहने वाली होती है।
सच्चाई : डॉ. विशाल खुराना के अनुसार, बवासीर दो प्रकार की होती है – खूनी (Bleeding) और बिना खून वाली (Non-Bleeding)। बवासीर के हर मामले में मलद्वार से खून आना कोई जरूरी बात नहीं है।
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4. मिथक: बवासीर छूने से फैलने वाली बीमारी है
सच्चाई: बवासीर कोई वायरस या बैक्टीरिया से नहीं होती, यह जीवनशैली और आंतरिक कारणों से होती है। यह किसी को छूने या साथ बैठने से नहीं फैलती है। डॉ. विशाल खुराना का कहना है कि भारत जैसे क्षेत्रों में आज भी बवासीर और एड्स जैसी बीमारी को छुआ-छूत की नजर से देखा जाता है। लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। अब वक्त आ चुका है, जब हमें यह समझना चाहिए कि बवासीर छूने से, मरीज के साथ खाना खाने से नहीं फैलता है।
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5. मिथक: बवासीर सिर्फ पुरुषों को होती है
सच्चाई: बवासीर कोई लिंग संबंधी परेशान नहीं हैं। जीवनशैली, लंबे समय तक कब्ज, पेट में दर्द और मलद्वार में सूजन के कारण बवासीर पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकती है। महिलाओं में बवासीर की समस्या प्रेग्नेंसी, प्रसव और हार्मोनल बदलाव के कारण भी होती है।
डॉ. विशाल खुराना है कि अब वो वक्त आ चुका है, जब भारतीय समाज में लोगों को बवासीर जैसी बीमारियों के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। बवासीर या किसी भी बीमारी में जब तक खुलकर बात नहीं की जाएगी, तब तक उसके बारे में जागरूकता लाना असंभव है। बवासीर के बारे में गलतफहमियां न केवल बीमारी को बढ़ाती हैं, बल्कि इलाज में भी देरी करती हैं।
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