
समय के साथ शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। आपने खुद इस बात को नोटिस किया होगा कि उम्र बढ़ने के बाद से ही हाथ पैरोंं में दर्द, सूजन आदि समस्याओं को सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं में आप हड्डियों से जुड़ी बीमारियों को भी शामिल कर सकते हैं। हड्डियों के कमजोर होने के एक कारण ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) भी माना जाता है। यह रोग ज्यादातर बुजुर्गों को देखने को मिलता है। आज के समय में समाज में हड्डियों से जुड़ी समस्या को लेकर कई तरह के मिथक प्रचलित हैं। इनमें से कुछ मिथकों के बारे में आगे वेव क्योर सेंटर के आर्थोपेडिक्स सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अंकित पाठक द्वारा विस्तार से बताया गया है।
ओस्टियोपोरोसिस और हड्डियों की सेहत से जुड़े मिथक और इनकी सच्चाई - Common Myths About Osteoporosis And Bone Health In Hindi
अगर हड्डियों में दर्द नहीं हो रहा, तो हड्डियां स्वस्थ हैं
ऑस्टियोपोरोसिस को "साइलेंट डिजीज" कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते जब तक कि हड्डी टूट न जाए। हड्डियों के कमजोर होने का मतलब यह नहीं है कि दर्द होगा। नियमित जांच और बोन डेंसिटी टेस्ट से ही इसका पता लगाया जा सकता है।

ऑस्टियोपोरोसिस केवल बुजुर्गों को होता है
ऑस्टियोपोरोसिस अक्सर उम्र बढ़ने के साथ अधिक सामान्य हो जाता है, लेकिन यह केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है, खासकर यदि आपकी जीवनशैली खराब है या आपके शरीर में कैल्शियम और विटामिन D की कमी है। महिलाओं में रजोनिवृत्ति (Menopause) के बाद इसका खतरा अधिक होता है, लेकिन पुरुषों और युवा लोगों में भी यह समस्या हो सकती है।
दूध पीने से हड्डियां हमेशा मजबूत रहती हैं
दूध हड्डियों के लिए कैल्शियम का अच्छा स्रोत है, लेकिन केवल दूध पीना पर्याप्त नहीं है। हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन D, विटामिन सी, प्रोटीन और फिजिकल एक्टिविटी भी जरूरी है। शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने के लिए विटामिन D की आवश्यकता होती है, जिसे सूर्य की रोशनी और सप्लिमेंट्स के जरिए प्राप्त किया जा सकता है।
सिर्फ महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा होता है
हालांकि, महिलाओं में यह समस्या अधिक सामान्य है, लेकिन पुरुष भी इससे अछूते नहीं हैं। 50 साल की उम्र के बाद हर पांच पुरुषों में से एक को ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा होता है। पुरुषों में इस बीमारी का पता अक्सर देर से चलता है, क्योंकि इसे लेकर जागरूकता कम होती है।
व्यायाम करने से हड्डियां टूट सकती हैं
यह एक बड़ा मिथक है। व्यायाम, विशेष रूप से वजन उठाने वाले और वेट-बेयरिंग एक्सरसाइज, हड्डियों की ताकत बढ़ाने में मदद करती हैं। नियमित शारीरिक गतिविधि से बोन डेंसिटी को बनाए रखा जा सकता है और गिरने या हड्डी टूटने का जोखिम कम होता है। डॉक्टर की सलाह लेकर सुरक्षित एक्सरसाइज चुनें।
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ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों के स्वास्थ्य से जुड़े मिथक गलत जानकारी फैलाने का काम करते हैं। इन मिथकों से बचकर और सही जानकारी अपनाकर आप अपनी हड्डियों को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं। हड्डियों के स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें और यदि कोई समस्या हो, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
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