World Brain Tumor 2024: अक्सर ब्रेन ट्यूमर का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं, उनको लगता है कि इस स्थिति से बाहर आना बेहद मुश्किल हैं। साथ ही, उनको जान के जोखिम का भी डर सताने लगता है। दरअसल, ब्रेन ट्यूमर आपके मस्तिष्क में किसी भी समय हो सकता है। यह एक गंभीर रोग होता है, जो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। इस ट्यूमर को मेटस्टैटिक ट्यूमर के रूप में भी जाना जाता है। इसमें कैंसर की कोशिकाएं अन्य अंगों से आपके मस्तिष्क तक फैल सकती हैं। इस समस्या का इलाज यदि समय पर न किया जाए और इसके लक्षणों को अनदेखा किया जाए, तो यह एक गंभीर समस्या बन सकता है। लेकिन, समय पर इलाज से इस बीमारी से बाहर आया जा सकता है। मगर, हमारे समाज में ब्रेन ट्यूमर से जुड़े कई मिथक प्रचलित हैं, जिनको लोगों द्वारा सही समझ लिया जाता है। इस लेख में मणिपाल अस्पताल, गुरुग्राम के न्यूरोसर्जरी कंसल्टेंट डॉक्टर निशांत शंकर यागनिक और डॉ. उत्कर्ष भगत, डायरेक्टर और एचओडी, न्यूरो सर्जरी, नारायणा अस्पताल , गुरुग्राम से जानते हैं कि ब्रेन ट्यूमर से जुड़े कुछ मुख्य मिथक (Brain Tumor Myths) के बारे में।
ब्रेन ट्यूमर से जुड़े मिथक जिन पर न करें यकिन - Myths About Brain Tumor In Hindi
मिथक 1: ब्रेन ट्यूमर हमेशा घातक होते हैं
"ट्यूमर" शब्द को सुनते ही लोग घबरा जाते हैं और इसे जानलेवा समझ लेते हैं। ब्रेन ट्यूमर, मैलिगेंट (कैंसरयुक्त घातक) और बिनाइन (बिना कैंसरयुक्त- सौम्य) हो सकते हैं। बिनाइन ट्यूमर (सौम्य) धीरे-धीरे बढ़ते हैं और इनके फैलने की संभावना कम होती है। जबकि, मैलिगेंट ट्यूमर तेजी से फैलते हैं और इनको तुरंत इलाज की जरूरत होती है। लेकिन, दोनों ही स्थिति में आपको सही समय पर इलाज कराना चाहिए। साथ ही, इसकी हर स्थिति जानलेवा नहीं होती है।
मिथक 2: ब्रेन ट्यूमर से कैंसर होता हैं
ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि ब्रेन ट्यूमर के सभी मामलों से कैंसर हो सकता है। वास्तव में ब्रेन ट्यूमर बिनाइन (सौम्य - ट्यूमर का शुरुआती दौर) भी हो सकते हैं। इस स्थिति के ट्यूमर गैर कैंसर युक्त होते हैं, लेकिन इनको भी सही समय पर इलाज की आवश्यकता है। इसमें मेनिंगियोमा यौ पिट्यूटरी एडेनोमा को शामिल किया जाता है। इस तरह डॉक्टर का कहना है कि सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसर की वजह नहीं होते हैं।
मिथक 3: ब्रेन ट्यूमर में समान लक्षण होना
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। इसके सामान्य लक्षण में सिरदर्द, दौरे पड़ना, कॉग्नेटिव बदलाव, व्यवहार में बदलाव, देखने में समस्या और बोलने में परेशानी को शामिल किया जा सकता है। लेकिन, हर व्यक्ति को यह महसूस हो यह कह पाना सही नहीं होगा। व्यक्ति के ट्यूमर के स्थान, आकार और वृद्धि के आधार पर लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। हल्के लक्षणों को कई बार व्यक्ति अनदेखा कर देते हैं। इससे इनकी पहचान में देरी हो सकती है।
मिथक 4: सर्जरी ही इलाज का एकमात्र विकल्प है
कुछ प्रकार के ब्रेन ट्यूमर में इलाज के लिए सर्जरी की जा सकती है। लेकिन, इसको एकमात्र इलाज नहीं कहा जा सकता है। इसमें रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टारगेट थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी को भी शामिल किया जा सकता है। वहीं, एडवांस टक्नोलॉजी के बाद बड़ी सर्जरी की अपेक्षा कम चीरा लगाए इनवेसिव सर्जरी और स्टीरियोस्टैक्टिक रेडियोसर्जरी को चुना जा सकता है। ट्यूमर के प्रकार, स्थान और स्टेज के आधार पर डॉक्टर इलाज के सही तरीकों को चुन सकते हैं।
मिथक 5: केवल अधिक उम्र के लोगों को ही ब्रेन ट्यूमर होता है
कुछ लोगों का मानना है कि केवल अधिक उम्र के लोगों को ही ब्रेन ट्यूमर की समस्या हो सकती है। जबकि, यह एक मिथक है, ब्रेन ट्यूमर की समस्या किसी भी उम्र के लोगों को किसी भी समय हो सकती है। इसके होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। यह बीमारी बच्चों और वयस्कों को भी हो सकती है।
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इन मिथक के अलावा, मोबाइल के इस्तेमाल को भी ब्रेन ट्यूमर से संबंधित माना जाता है। ब्रेन ट्यूमर के कुछ मामले गंभीर हो सकते हैं। साथ ही, सही समय पर इलाज से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है। ब्रेन ट्यूमर के इलाज के बाद रिकवरी का समय व्यक्ति की मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों और ट्यूमर के प्रकार के आधार पर कम या ज्यादा हो सकती है।